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डॉ. दीपा शुक्ला की कविताएं -1 ‘मेरा रुदन, तुम्हारी हँसी’
Share nowमेरे जीवन के अंधियारे पथ पर चलते हुए मेरी बदहाली में , मेरी फटेहाली में, मेरी फ़टी हुई जूतियों में ठुकी हुई कील जब मेरे पाँव को करती घायल तो , अनायास ही बिखरती मुस्कान तुम्हारे चेहरे पर और तुम्हारी दूध जैसी श्वेत दन्त पंक्ति मुझे मेरे जीवन के अंधेरे में आगे बढ़ने का […]
मैं तो भारत भाग्य विधाता हूँ,
Share nowमैं इक कर्तव्यनिष्ठ मतदाता हूँ। तू भारत भाग्य विधाता रखता मताधिकार है। तेरे वोट से ही तो चुनी जातीअच्छी सरकार है।। मतदान के दिन परम् कर्तव्य है यह तुम्हारा। वोट देकर दिखाना तुझे अपना सरोकार है।। मैं भारत भाग्य विधाता हूँ,मैं इक मतदाता हूँ। वोट से अपने देश की पहचान मैं बनाता हूँ।। उँगली […]
आस्तीन में नाग छिपे जो…
Share nowनाग पंचमी के अवसर पर, नागों का पूजन कर आएँ आस्तीन में नाग छिपे जो, उनसे तो भगवान बचाएँ। मानवता का ओढ़ लबादा, सेवा का जो ढोंग कर रहे जिसको चाहें डस लेते वे, पीड़ित कितना कष्ट अब सहे इच्छाधारी बने आज जो, वे तो हैं सब से टकराएँ आस्तीन में नाग छिपे जो, […]