बोकारो थर्मल। रामचंद्र कुमार ‘अंजाना’
जो दुनिया मेंं आया है। उसे एक न एक दिन जाना ही होगा..? इस कटु सत्य को तो सभी मानते हैं, लेकिन मौत के बाद व्यक्ति की आत्मा आखिर कहां जाती है? इसको लेकर धर्मशास्त्रों और आधुनिक विज्ञान में मतभेद है। वैज्ञानिक गण धर्म को केवल व्यक्ति आस्था का विषय मानते हैं, लेकिन जब-तब कई ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं, जो वेद-शास्त्रों और पुराणों में लिखी वादों के वैज्ञानिक आधार को बल प्रदान करती हैं। ऐसा ही एक वाक्या ऊपरघाट के पिपराडीह में हुआ। यहां एक महिला की मौत के करीब पांच दस घटे बाद अचानक जीवित हो गयी। इसके बाद उसने मौत की यात्रा की जो कहानी सुनाई वह न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि गरुड़- पुराण में लिखी गई बातों को पुष्ट भी करती है। नावाडीह प्रखंड के ऊग्रवाद प्रभावित ऊपरघाट स्थित कंजकिरो पंचायत के पिपराडीह गांव के स्व. लखन लौहार की 65 वर्षीय शंकुलता देवी शुक्रवार की शाम लगभग छह बजे वह बैठे-बैठे लुढक़ गयी। परिजनों व ग्रामीणों ने डॉक्टर को भी दिखाया तो पता चला कि शंकुलता देवी की नब्ज थम चुकी है। उनके प्राण निकल चुके हैं। इसके बाद इनके परिजनों ने अपने सभी रिश्तेदारों को फोन से सूचित कर दिया गया कि शंकुलता देवी स्वर्गलोक सिधार गयी है। शनिवार को विधिवत दुमूहान नदी में दांह-संस्कार किया जाऐगा। शुक्रवार की रात में ही शंकुलता देवी की दो बेटी, दमाद ओर अन्य रिश्तेदार भी पिपराडीह पहुंच चुकी थी। गांव में भी सूचना दी गयी थी। अंतिम संस्कार की तैयार भी कर ली। लेकिन शनिवार की अहले सुबह चार बजे शंंकुुुलता देवी की शरीर में अचानक हलचल हुई। ओर शंकुुलता देवी खाट से उठकर बैठ गयी। ओर पानी मांगी। थोडी देर तो घर के सभी परिजन डर गए। कुछ लोग घर से भाग खडे़ हुए। परिजन दंग रह गए। साहस कर बुजुर्गों ने शंकुलता देवी केे चेहरे पर पानी की बूंदें छिडक़ीं तो उन्होंने आंखें खोल दीं। गम का माहौल तत्काल खुशी में बदल गया। फिर एक गिलास पानी पी। इसके बाद स्थानीय डॉक्टर ने जांच की। शंकुलता देवी केे तीन बेटे सुुुरेेेश, संतोष व उमेश ने बताया कि भगवान की कृपा से हमारी मां मर कर फिर जीवित हो गयी। हम किस तरह सेे भगवान की शुुुक्रिया अदा करेें। हम पांच भाई व बहनोंं के पास भगवान को शुुक्ररिया यदा करने के लिए कोई शब्द नही है। मांं की मौत के बाद फिर जीवित होने के बाद घर मेें खुशी का मााहौल है। सुनील इंजीनियर ने बताया कि चेहरे पर पानी डाले जाने के बाद शुंकलता देवी को पीने के लिए पानी दिया गया। पानी पीते ही उठकर बैठ गए। उन्होंने अपने हाथों की मुठ्ठी खोली तो उनमें कोयला व हल्दी की गांठें निकलीं। लोग उसे देख हैरान रह गए। शंकुलता ने बतायी कि ये गांठें उन्हें यमदूत ने दी हैं और वापस भेज दिया है। इसके बाद शंकुुलता देेेेवी ने जो कहानी सुनाई उसे सुनकर लोग हैरान रह गए।ग्रामीणों के अनुसार शंकुलता देवी ने बतायी कि दो यमदूत उनके पास आए। उन्होंने एक डंडे से उन पर प्रहार किया। उसके बाद वे उन्हें अपने साथ पकडकऱ कहीं ले गए। वे शंकुलता को एक दरबार में लेकर पहुंचे जहां मुकुट लगाए हुए कोई राजा जैसा बैठा हुआ था। राजा के पास कई वाहक व यमदूत खड़े थे। उन्होंने देखते ही बोल दिया कि तुम गलत व्यक्ति को पकडकऱ ले आए हो। इसकी अभी मौत नहीं आई है।
इसके बाद यमदूतों ने आपस में कुछ बात की और मेरी मुठियों में कुछ रखकर मुझे आसमान से नीचे की तरफ छोड़ दिया। इसके बाद क्या हुआ मुझे कुछ नहीं मालूम। मुझे तो आश्चर्य हो रहा है कि घर में इतनी भीड़ क्यों लगी है। लोगों ने शुंकलता को हकीकत बतायी और कहा कि तुम्हारी मौत हो चुकी थी। हम लोग तुम्हें श्मशान घाट ले जाने वाले थे। लेकिन तुम अचानक उठकर बैठ गए। शंकुलता की मौत के करीब दस घंटे बाद फिर जीवित हो गए। उनके साथ हुई यह सच्ची घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय है। शंकुलता की जब आंखें खुली तो घर पर रोते-बिलखते परिवार वालों को देखा। अब पता चल रहा है कि वास्तव में वह तो मर गए थे। ईश्वर की कृपा से नया जीवनदान मिला है।