नीरज सिसौदिया, जालंधर
लोकसभा चुनाव में देश भर में जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी जालंधर में भी सफलता की सीढ़ियां चढ़ती जा रही है. इसी कड़ी में आज जालंधर के पूर्व मेयर सुरेंद्र महे और पूर्व कांग्रेस स्वर्ण सिंह ने आज भाजपा का दामन थाम लिया है. भाजपा जालंधर में कांग्रेस के लिए इसे बड़ा झटका मान रही है लेकिन महे जिस इलाके से ताल्लुक रखते हैं वहां उनका कोई खास वजूद नहीं है. सुरेंद्र महे कांग्रेस से बगावत कर सुशील रिंकू के खिलाफ चुनाव लड़े थे और जमानत भी जब्त करा बैठे थे. जालंधर वेस्ट में महे को कांग्रेस के चले हए कारतूस के रूप में जाना जाता है.
वहीं, स्वर्ण सिंह भी फिलहाल गुमनाम सियासी सफर पर थे. भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा को फायदा हो न हो पर इन दोनों नेताओं को संरक्षण जरूर मिलेगा जिसकी इन्हें जरूरत भी थी.
वेस्ट में फिलहाल सुशील रिंकू का कद काफी ऊंचा हो चुका है. ऐसे में रिंकू को महे के कांग्रेस छोड़ने से कोई खास नुकसान नहीं होने वाला क्योंकि महे का सियासी वजूद तो विधानसभा चुनाव में आंका जा चुका है. अब जो महे विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं वो आने वाले समय में भाजपा से भी विधानसभा का टिकट लेने की तमन्ना जरूर रखेंगे. ऐसे में सबसे ज्यादा मुश्किलें मोहिंदर भगत की बढ़ेंगी क्योंकि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि जो शख्स कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ सकता है वह भाजपा से बगावत नहीं करेगा.
बहरहाल, महे को भगवा ब्रिगेड का हिस्सा बनाना वेस्ट में भाजपा के लिए कलह का सबब बन सकता है.