उत्तराखंड

घायल गाय को देख मदद को आये गौ सेवक

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दीपक शर्मा, लोहाघाट
नगेन्द्र जोशी के अनुसार आम राहों पर चलना हर राहगीर की नियति होती है। कुछ राहगीरों को अपने लक्ष्य तक पहुंचने की हड़बड़ाहट होती है, तो कुछ राहगीर अपनी राह पर हर स्थिति परिस्थिति का आकलन करते हुए गुजरते हैं, और जरूरत पड़ने पर अपने कार्यों से ऐसे निशान छोड़ जाते हैं जिनको इन राहों से गुजरने वाले हर राहगीर वर्षों याद किया करते हैं।

शुक्रवार को रिंकू अधिकारी,लोहाघाट पाटन पुल के पास प्रातः कालीन सैर कर रहे थे, तभी उन्होंने एक गाय को लंगड़ाते हुए देखा। ध्यान से देखने पर उनको गाय के पीछे के दाहिने पैर में कुछ गहरा जख्म दिखाई दिया जिस से लगातार खून वह रहा था तथा मक्खी एवं कीड़े लगे हुए थे, जिस कारण गाय अत्यधिक कष्ट में थी। तभी रिंकू अधिकारी ने बिना समय बर्बाद किए बाजार की तरफ दवाई लेने के लिए चल दिए, रास्ते में अचानक उनकी मुलाकात पशु चिकित्सा अधिकारी लोहाघाट, दया कृष्ण चंद से हो गई, एक सामान्य से आग्रह में डाक्टर चंद भी उनके साथ चल कर जख्मी गाय को देखने पहुंच गए, गाय के जख्मी पैर को देखने पर पता लगा कि उसके अंदर चारों तरफ 2 इंच अंदर की तरफ एक लाइलोंन की रस्सी बंधी हुई थी, डाक्टर चंद ने तुरंत अस्पताल से संपर्क कर आवश्यक औजार एवं दवाइयां मंगाई और रास्ते में ही राहगीर विकास वर्मा, नगेन्द्र जोशी,योगेश तिवारी और पूरन सिंह कठायत की मदद लेकर एक घंटे में गाय के जख्मी पैर का ऑपरेशन कर रस्सी निकाल कर मरहम पट्टी कर दी। इस नेक कार्य हेतु रिंकू अधिकारी एवं डाक्टर चंद का कोटि-कोटि आभार एवं धन्यवाद।
डाक्टर चंद ने बताया कि यह लगभग 2 साल पुराना जख्म है, संभवतः गाय को बचपन में किसी ने रस्सी से बांधा होगा, और बिना रस्सी खोले ही गाय को लावारिस छोड़ दिया। बढ़ते बढ़ते यह रस्सी अंदर की तरफ जख्म करती रही और इस परेशानी का सबब बनी।
आज कई बनावटी गौ सेवक,गौ सेवा के नाम पर बड़ी से बड़ी राजनीति कर रहे हैं,मॉब लिंचिंग हो रही है। लोग गाय के नाम पर एक दूसरे को मरने मारने के लिए तैयार हो जाते हैं, सब कुछ हो रहा है परंतु सच्ची गौ सेवा नहीं हो रही है। गोवंश पर बहुत बड़ा संकट आया हुआ है, चारों तरफ गाय आवारा घूम रही हैं, लोगों ने उन्हें पालना छोड़ दिया है। लोग डंडे मार रहे हैं, कुछ लोग सड़कों पर गाड़ियों से दबा जाते हैं। कुछ लोग गाय जब कष्ट में होती है तो किनारा करके निकल जाते हैं, और यदि किसी अनजान कारण से गाय मर जाए तो उसके नाम पर राजनीति करने को आतुर रहते हैं ।
साथियों आज समाज को रिंकू अधिकारी जैसे सच्चे गौ सेवकों की जरूरत है तभी हम गोवंश पर आया यह संकट टाल सकते हैं।

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