पंजाब

एसडीओ जगवीर का काला खेल – तीसरी किस्त, जालंधर, होशियार पुर में कटवाईं सौ से भी अधिक अवैध कॉलोनियां, करोड़ों के वारे न्यारे कर पुडा को लगाया चूना

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
जालंधर विकास प्राधिकरण के एसडीओ जगवीर सिंह के काले खेल के रोज नए नए खुलासे हो रहे हैं. पिछली दो किस्तों में हमने आपको बताया था कि किस तरह से यह एसडीओ कॉलोनियों की जिम्मेदारी से मुक्त किए जाने के बावजूद अवैध कॉलोनियों के खेल में अहम भूमिका निभा रहा है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि जब यह एसडीओ पावर में था तो किस तरह से इसने धड़ल्ले से अवैध कॉलोनियां कटवाईं और करोड़ों रुपये के वारे न्यारे किये. जगवीर के इन सभी काले कारनामों की पुष्टि सूत्र करते हैं.
सूत्र बताते हैं कि लगभग दो साल पहले तक जब जगवीर के पास कोई खास पावर नहीं थी जालंधर में अवैध कॉलोनियों के खेल को अंजाम देने की तब तक वह छोटी मोटी ठगियां मारकर काम चलाता था. लगभग दो साल पहले पुडा का एक एसडीओ रिटायर हुआ जिसके पास जालंधर के दोनों डिवीजन की जिम्मेदारी हुआ करती थी. इस एसडीओ के रिटायर होते ही जगवीर के काले खेल का आगाज हुआ. जगवीर सिंह को जालंधर डिवीजन नंबर -2 की कमान सौंपी गई और एक नंबर की कमान दूसरे एसडीओ को दी गई. इस तरह जालंधर के दोनों डिवीजन अलग अलग एसडीओ के हाथों में आ गई. जगवीर को शायद इसी दिन का इंतजार था. एसडीओ बनते ही जगवीर का लाइफ स्टाइल पूरी तरह बदल गया. शहर के बड़े बड़े कॉलोनाइजर, पॉलिटिशियन, बिजनेसमैन अब उसके दरबार में हाजिरी लगाने लगे. सत्ता सुख में जगवीर इतना मगरूर हो चुका था कि अपने असल दायित्व को ही दरकिनार कर बैठा. अब उसका मकसद सिर्फ और सिर्फ ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना था. शायद उसे यह एहसास हो गया था कि ज्यादा देर तक उसका ये खेल चलने वाला नहीं है.
बहरहाल, सूत्र बताते हैं कि पावर में आते ही जगवीर सिंह ने अपना काला खेल शुरू कर दिया. जितनी बड़ी कॉलोनी होती जगवीर की फीस भी उतनी ही बढ़ जाती. किसी से लाख किसी से दो लाख तो किसी से पांच लाख रुपये तक भी वसूलने शुरू कर दिए गए. इसकी पुष्टि सूत्र करते हैं.

कुछ कॉलोनाइजरों ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि जगवीर ये रिश्वत की मोटी रकम सिर्फ अपने लिए लेता था. रिश्वत वसूलते वक्त वह यह स्पष्ट कर देता था कि अगर कोई भी व्यक्ति कॉलोनी की शिकायत करेगा तो वह उस कॉलोनी के खिलाफ कार्रवाई करने पर मजबूर हो जाएगा. साथ ही कॉलोनाइजर को यह भरोसा जरूर दिलाता था कि वह हर शिकायतकर्ता के बारे में उसे पहले ही बता देगा ताकि अवैध कॉलोनी को बचाया जा सके. कॉलोनाइजर बताते हैं कि जगवीर इस मामले में अपनी जुबान का पक्का था. उसे व्हिसल ब्लोअर एक्ट की कोई परवाह नहीं थी. बता दें कि व्हिसल ब्लोअर एक्ट के तहत किसी भी शिकायतकर्ता का नाम या पहचान सार्वजनिक नहीं की जा सकती है. अगर कोई अधिकारी ऐसा करता है तो वह कानूनन अपराध है. इसके लिए उसे सजा का भी प्रावधान भारतीय दंड संहिता में रखा गया है. यह एक्ट शिकायतकर्ता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाया गया था लेकिन जगवीर सिंह रिश्वतखोरी में इतना मशगूल हो गया था कि कोई जिये या मरे उसे सिर्फ अपने पैसे से मतलब था. अब चाहे कोई पत्रकार अवैध कॉलोनी की शिकायत करे या कोई आरटीआई एक्टिविस्ट या फिर समाजसेवक, जगवीर कॉलोनाइजरों के प्रति अपनी वफादारी पूरी निष्ठा पूर्वक निभाता था. उसके इलाके की किसी भी अवैध कॉलोनी की शिकायत होते ही कॉलोनाइजर के पास शिकायतकर्ता का नंबर पहुंच जाता था. इसके बाद कॉलोनाइजर शिकायतकर्ता को डरा धमका कर या पैसे देकर चुप करा देते थे. जगवीर के इन कारनामों के चलते कई शिकायतकर्ताओं की तो जान पर ही बन आई थी और वह दोबारा किसी कॉलोनी की शिकायत करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाए. जगवीर का यह कारोबार चल निकला था. अब तक जगवीर अपनी इस तकनीक से बुलंदपुर, मंड, रायपुर रसूलपुर, रंधावा मसंदा, लांबड़ा, लिद्दड़ां, लांबड़ी, लोहारां, करतारपुर रोड, कोट इब्राहिम खां, रामपुर लल्लियां रोड आदि जालंधर डिवीजन नंबर 2 के तहत पड़ते विभिन्न इलाकों में दर्जनों अवैध कॉलोनियां गुलजार करवा चुका था.

इसी दौरान जालंधर डेवलपमेंट अथॉरिटी में एक तेज तर्रार युवा पीसीएस अधिकारी जयइंदर सिंह की एंट्री हुई. अवैध कॉलोनाइजरों के लिए जयइंदर सिंह सिंघम साबित हुए. अब शिकायतकर्ता सीधे जयइंदर से शिकायत करते और जयइंदर सिंह हर दूसरे दिन कोई न कोई अवैध कॉलोनी ढहाते नजर आते. जयइंदर सिंह को जब एक बार बुलंदपुर में जगवीर सिंह के एरिया में एक साथ बन रही तीन अवैध कॉलोनियाें की शिकायत इंडिया टाइम 24 की ओर से दी गई तो उन्होंने तीनों कॉलोनियों पर तत्काल कार्रवाई करते हुए डिच चला दी. इनमें से एक कॉलोनी एक पूर्व पार्षद के पार्टनर्स की भी थी जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. डिच चलने के बाद कॉलोनाइजर जगवीर सिंह के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए यह कहते नजर आए थे कि दो लाख रुपये भी ले लिए जगवीर ने और कॉलोनी भी गिरा दी. बहरहाल, तूफानों की उम्र बहुत छोटी होती है. जेडीए में आया जयइंदर सिंह नाम का तूफान भी ज्यादा देर तक यहां टिक नहीं सका और उनका तबादला कर दिया गया. हालांकि, जाने से पहले जयइंदर सिंह जगवीर से जालंधर डिवीजन नंबर दो का चार्ज वापस ले चुके थे और उसे होशियार पुर का चार्ज दे चुके थे. लेकिन हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े लिखे को फारसी क्या. सूत्र बताते हैं कि जगवीर तबादले के बाद और मजबूत हो गया. उसने अब तक चंडीगढ़ के एक आला अधिकारी को भी सेट कर लिया था.

जालंधर में तो वह कॉलोनाइजरों का काम तो करवाता ही था,होशियारपुर में भी करवाने लगा. इस तरह एक मामूली सी तनख्वाह पाने वाला जगवीर सिंह करोड़ों रुपये की चल अचल संपत्ति का मालिक बन बैठा. सूत्र बताते हैं कि इसकी मिलीभगत से लगभग सौ से भी अधिक अवैध कॉलोनियां जालंधर डिवीजन नंबर दो और होशियार पुर में काट दी गईं. इनके दर्जनों कॉलोनियों की फाइलें जमा करवा कर पुडा की आंखों में धूल झोंक दी गई. ये फाइलें आज तक ठंडे बस्ते में पड़ी हुई हैं जो न अभी तक पास हुईं और न ही कभी पास हो सकती हैं मगर ये सभी कॉलोनियां बिक चुकी हैं और इनमें अवैध इमारतें भी जगवीर सिंह की मेहरबानी से तैयार हो चुकी हैं. नए ईओ रणदीप सिंह गिल और जेडीए के मुख्य प्रशासक जतिंदर जोरवाल जगवीर सिंह जैसे भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उसे संरक्षण क्यों दे रहे हैं, यह बात समझ से परे है. जगवीर ने सिर्फ पुडा के राजस्व को ही चूना नहीं लगाया बल्कि करोड़ों रुपये का काला धन इकट्ठा कर आयकर विभाग को भी चपत लगाई है. कैप्टन सरकार के अधिकारी भले ही जगवीर के काले कारनामों को संरक्षण दें मगर मोदी सरकार के अधिकारियों से बचना जगवीर के लिए आसान नहीं होगा. अगर मामले की स्टेट विजिलेंस या हाईकोर्ट के जज के नेतृत्व वाली स्पेशल टीम से जांच कराई जाए तो सच सामने आ जाएगा.

इस संबंध में जब जगवीर से बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका. अगर वह चाहें तो हमें मोबाइल नंबर 7528022520 पर फोन कर अपना पक्ष दे सकते हैं. हम उसे भी प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे.

बहरहाल, जगवीर के काले कारनामों की फेहरिस्त बहुत लंबी है जिसे चंद शब्दों में नहीं समेटा जा सकता. इन काले कारनामों का खुलासा हम आगे की किस्तों में करते रहेंगे. अगली किस्त में हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों जगवीर पर मेहरबान हैं आला अधिकारी? क्या है जगवीर का चंडीगढ़ कनेक्शन? जानने के लिए पढ़ते रहें www.indiatime24.com

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