पंजाब

माटी का लाल ‘किशनलाल’

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नीरज सिसौदिया
उत्तर भारत का एक राज्य है पंजाब जो अपनी खुशहाली के लिए हिन्दुस्तान ही नहीं पूरी दुनिया में मशहूर है. वक्त के साथ हालात बदल रहे हैं और पंजाब की खुशहाली में बदहाली दस्तक देने लगी है. नेता, अफसर, मंत्री, विधायक सब अपनी अपनी दुनिया रंगीन बनाने में जुटे हैं. समाजसेवा पर निजी स्वार्थ हावी हो गया है. गरीबों और बेबसों की फिक्र सिर्फ अखबारी बयानों तक सिमट कर रह गई है. अब तो नेता फोटो खिंचवाने के लिए भी बदहाल बस्तियों का रूख नहीं करते. पंजाब के लगभग हर बड़े शहर का यही आलम है. ऐसा ही एक शहर है जालंधर.
कहने को भले ही जालंधर पंजाब के बड़े शहरों में शुमार होता है मगर यहां की बदहाली इसके गांव से भी बदतर होने की गवाही देती है. इसी शहर का एक लाल ऐसा भी है जो दिखावे से कोसों दूर है. वो मीडिया को पैसा नहीं देता इसलिए इक्का-दुक्का मीडिया कर्मियों को छोड़ उसके कार्यों को कोई प्रकाशित करना जरूरी नहीं समझता. फिर भी वो लोगों की लड़ाई लड़ता है. न सिर्फ लड़ता है बल्कि प्रशासन, मंत्रियों और विधायकों को मजबूर कर देता है कि वह लोगों की समस्याओं का समाधान करें.
दो दिन पहले का ही एक उदाहरण लेते हैं. सूर्या एन्क्लेव, गुरु गोविंद सिंह एवेन्यू और उपकार नगर इलाके में पानी के कहर से पीड़ित लोग सुबह-सुबह किशनलाल के घर पहुंचे और अपनी समस्या बताई. किशनलाल तत्काल मौके पर पहुंचे और नगर निगम के कमिश्नर को मौके पर आकर समस्या के समाधान के लिए मजबूर किया. निगम कमिश्नर दिनभर मौके का जायजा लेते रहे. अगले दिन किशनलाल की मेहनत ने एक और रंग दिखाया. जो विधायक कभी इस समस्या के समाधान बारे सोचते भी नहीं थे वह हाजिरी लगाने मौके पर पहुंच गए. दिलचस्प बात यह है कि विधायक सत्ताधारी पार्टी के थे और किशनलाल विपक्षी पार्टी का एक मामूली सा कार्यकर्ता जिसे अपनी पार्टी का कार्यकर्ता बनने को लेकर भी अपनी ही पार्टी के आला दर्जे के नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ा था. जब किशनलाल इन लोगों के लिए संघर्ष कर रहा था तो उसके साथ पार्टी का कोई भी आला नेता नहीं खड़ा था. वह अकेला ही डटा रहा और उसने वो काम कर दिखाया जो सत्ता धारी पार्टी का पार्षद पिछले कई दिनों से नहीं कर पा रहा था. पार्षद के प्रयास में कोई कमी नहीं थी लेकिन अफसर उसे नजरअंदाज करते रहे.
यह तो एक उदाहरण मात्र है. ऐसे कई सामाजिक और साहसिक कार्य किशनलाल के खाते में दर्ज हो चुके हैं. सरकारी दफ्तरों का भ्रष्टाचार हो या गरीब व जरूरतमंद लोगों की मदद का मुद्दा, किशनलाल ने हर मोर्चा फतह किया है. वो कोई साहूकार नहीं है मगर उसके जज्बातों की ताकत ही है कि वह कभी सिलाई मशीनें, कभी राशन, कभी कपड़ा आदि बांटकर असहायों की मदद करता है.

बीमार महिला का हाल जानते किशनलाल. (फाइल फोटो)

बेबस जनता उसे भगवान मानती है और सियासतदान उसकी परछाईं से भी कतराते हैं. यही वजह है कि जनविरोधी उसे बर्दाश्त नहीं कर पाते और लापरवाह सरकारी अधिकारी उसकी एक दहाड़ पर दौड़े चले आते हैं. नतीजा ये होता है कि नामुमकिन काम भी मुमकिन हो जाता है. येे जमीन से जुड़ी वो शख््सियत है जो बुलंदियों पर जाने की शिफत रखती है.
अब सवाल यह उठता है कि जो काम किशनलाल शर्मा कर सकता है वो दूसरे नेता या तथाकथित पत्रकार क्यों नहीं कर सकते? अगर पंजाब का हर नेता या समाजसेवी किशनलाल शर्मा की तरह बन जाए तो पंजाब की खुशहाली फिर से वापस आ सकती है. हर नेता को किशनलाल जैसे नेता से सीख लेने की जरूरत है.

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