पंजाब

न्याय मोर्चा ने अवैध निर्माण पर मांगा जवाब तो बोले कमिश्नर लाकड़ा- धरने तो होते रहते हैं, अवैध हॉस्पिटल ऐसे ही चलते रहेंगे, मेरे पास इस मुद्दे पर बात करने का टाइम नहीं है

नीरज सिसौदिया, जालंधर 

नगर निगम के कमिश्नर दीपर्व लाकड़ा शहर में अवैध रूप से संचालित किए जा रहे अस्पतालों को लेकर बेशर्मी पर उतारू हो गए हैं. कार्रवाई करने की बजाय वह खुलेआम इन्हें संरक्षण देने में लगे हैं.
न्याय मोर्चा पंजाब के प्रधान रंजीत सिंह उर्फ़ मंगा ओबरॉय, युवा मोर्चा प्रधान पुनीत शर्मा पुन्नू, महासचिव राजू पहलवान और सचिव यूसफ कल्याण ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले दिनों न्याय मोर्चा की ओर से शहर में अवैध इमारतों में संचालित किए जा रहे अस्पतालों के खिलाफ सड़कों पर विशाल जुलूस निकालकर रोष प्रदर्शन किया था. इसके बाद कार्रवाई नहीं होने पर निगम कमिश्नर और मेयर के कमरे में ढोल बजाकर प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी थी लेकिन निगम कमिश्नर के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही. कार्रवाई करने की जगह वह उल्टा इन अस्पतालों को संरक्षण देने में लगे हैं. उन्होंने बताया कि आज वह अवैध अस्पतालों के खिलाफ लगभग एक माह पूर्व दी गई शिकायत पर निगम की ओर से की गई कार्रवाई के बारे में जानने के लिए जब मेयर जगदीश राज राजा के पास गये तो राजा ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उन्होंने तत्काल कार्रवाई के लिए कमिश्नर को शिकायत पत्र मार्क कर दिया था अब कमिश्नर ही जानें कि वह कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे. आप सभी कमिश्नर से मिलकर पूछिये कि वह कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे. न्याय मोर्चा के पदाधिकारियों ने कहा कि जिस तरह का गैर जिम्मेदाराना बयान मेयर ने दिया वह कांग्रेस के लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने जैसा है कि निगम कमिश्नर अब मेयर से भी ऊपर हो गया है और वह खुलेआम अवैध कामों को संरक्षण दे रहा है और मेयर कुछ भी नहीं कर पा रहे. ऐसे मेयर को शर्म आनी चाहिए और नैतिकता के आधार पर पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए.

मेयर जगदीश राजा से बात करते न्याय मोर्चा के पदाधिकारी.

उन्होंने कहा कि जब वह मेयर के बाद निगम कमिश्नर दीपर्व लाकड़ा के पास गए और अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के बारे में पूछने गए तो कमिश्नर ने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दीं. बेशर्म कमिश्नर हंसते हुए कहने लगे कि धरने प्रदर्शन तो होते रहते हैं, ये हास्पिटल ऐसे ही चलते रहेंगे. मेरे पास इस मुद्दे पर बात करने के लिए टाइम नहीं है. इसके बाद मोर्चा के पदाधिकारियों को गुस्सा आया और उन्होंने कमिश्नर से कहा कि जब अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते तो फिर इस विभाग की जरूरत ही क्या है? बिल्डिंग ब्रांच के अफसरों को इतनी मोटी तनख्वाह देने की जरूरत क्या है? जनता के टैक्स का पैसा इन अधिकारियों को रिश्वतखोरी के लिए क्यों दिया जा रहा है? मोर्चा के पदाधिकारियों के सवाल सुनते ही निगम कमिश्नर मौके से भाग खड़े हुए. मौर्चा के पदाधिकारियों ने उनका पीछा कर बात करने को कहा तो बोले कि बाद में बात करेंगे आप लोग बाद में आना.
मोर्चा ने आरोप लगाया कि नगर निगम के बेशर्म और रिश्वतखोर अधिकारियों ने निगम के कानून को अपनी रखैल बना लिया है. वह कानून को अपने इशारे पर नचा रहे हैं. जिस पर दिल करता है उस पर कानून थोप देते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे भ्रष्ट निगम कमिश्नर और अधितकारियों को तत्काल नौकरी से डिसमिश कर देना चाहिए. मोर्चा ने विधायकों को भी कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यहां के विधायकों की नाकामी का सुबूत निगम के निकम्मे अफसर दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार इतना निकम्मा, बेशर्म और लाचार मेयर जालंधर शहर को मिला है. क्या इसी दिन के लिए जनता ने कांग्रेस को चुना था? उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इन अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो मोर्चा अब मेयर व निगम कमिश्नर के कमरे और घर के अंदर घुसकर उनका ढोल बजाएगा.

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