सोहना, संजय राघव
7 सितंबर को गांव आटा भारत के राज्य के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में छात्रों के झगड़े के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है. ग्रामीणों ने उपायुक्त से गुहार लगाई है कि अगर गांव उदाका के छात्रों को स्कूल से नहीं निकाला गया तो गांव आटा बारोट के छात्रों को स्कूल से निकाल लिया जाएगा. हालांकि प्रशासन ने गांव में जाकर गांव वालों को इस बात का पहले आश्वासन दिया था गांव वालों का आरोप है कि गांव पौधा का के छात्र वह ग्रामवासी स्कूल में छात्राओं के साथ छेड़खानी करते हैं वह विरोध करने पर लड़ाई झगड़े पर उतारू हो जाते हैं ऐसे कई बार मामले हो चुके हैं अपनी मांगों को लेकर ग्राम वासियों ने उपायुक्त लोगों को एक मांग पत्र सौंपा है.
7 सितंबर को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय आटा-बारोटा में पढऩे वाले ऊदाका गांव के समुदाय विशेष के लडक़ों ने एक लडक़ी के साथ छेड़छाड की थी, जिसका विरोध करने के लिए लडक़ी के परिजन स्कूल गए थे। ऊदाका गांव के बच्चों ने अपने गांव में फोन कर अफवाह फैला दी कि बारोटा गांव के लोगों ने उन्हें बुरी तरह से पीटा है। इस पर ऊदाका गांव के दर्जनों लोग गाडिय़ों और मोटरसाकिलों पर लाठी, डंडे, जैली व अवैध हथियारों के साथ स्कूल पर पहुंच गए और वहां जो भी मिला, उसे पीट दिया। इसका पता जैसे ही बारोटा गांव के लोगों को लगा और वे स्कूल की तरफ बढ़े तो ऊदाका गांव के लोग वहां से भाग गए। इसके थोड़ी देर बाद वे फिर से अवैध हथियारों व ज्यादा लोगों को साथ लेकर आटा गांव तक पहुंच गए, लेकिन पुलिस की मुस्तैदी के चलते दो गांवों के बीच होने वाले खूनी संघर्ष को टाल दिया गया।
आए दिन करते हैं हरकतें
बारोटा गांव के सरपंच धमेंद्र, आटा के सरपंच आनंद सिंह, सुरेंद्र नंबरदार बारोटा, लालसिंह नंबरदार, एडवोकेट दिनेश यादव, जवाहर, जिले सिंह, योगेश, राजेश, चरण सिंह, मनोहर लाल, धर्मबीर, गजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि ऊदाका गांव के बच्चों की यह कोई पहली हरकत नहीं है। इससे पहले भी वे कई बार लड़कियों के साथ छेड़छाड कर चुके है और स्कूल में जंगलराज बनाए रखते है। घटनाओं को लेकर दोनों गांवों के लोगों के बीच पंचायतें भी हुई और पंचायतों में ऊदाका गांव के लोगों ने माफी मांगकर आगे से इस प्रकार की घटनाएं नहीं होने का भरोसा दिलाया। लेकिन फिर भी हरकतें बंद नहीं हुई और 7 सितंबर को फिर से एक घटना को अंजाम दिया गया। इसके साथ ही स्कूल में पढ़ाने वाले ऊदाका गांव के एक अध्यापक ने भी लोगों के साथ मिलकर सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया। ग्रामीणों ने प्रशासन से अनुरोध किया कि वे इस विवाद को निपटाने के लिए ऊदाका गांव के बच्चों को किसी दूसरे स्कूल में दाखिल कराएं, अन्यथा कभी भी कोई बड़ी घटना घटित हो सकती है, जिसके लिए प्रशासन जिम्मेदार होगा।
छात्राओं ने हमें नहीं पढऩा: मामले की शिकायत लेकर उपायुक्त से मिलने पहुंची आटा व बारोटा गांव की छात्राओं ने कहा कि वे किस प्रकार से स्कूल में रहती है, ये बयां नहीं किया जा सकता। लडक़े हर समय उन्हें परेशान करते रहते है, उनके घर तक पीछा करते है। स्कूल में स्कूल जैसा कोई माहौल ही नहीं बल्कि हर समय शरारती लडक़ों का जंगलराज रहता है, कई बार तो उन्होंने अध्यापकों को भी पीट दिया। ऐसे में यदि ये लडके उस स्कूल में पढेंगे तो वे अपने घर बैठ जाएंगी और स्कूल नहीं जाएंगी।