Arvind kejriwal
दिल्ली

अपना ही पानी पीने को तैयार नहीं दिल्ली सरकार, जनता में बांट रही मुफ्त का ‘जहर’

Share now

नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली

राजधानी दिल्ली की जनता को प्रति माह 20000 लीटर पानी मुफ्त देने वाली दिल्ली सरकार #delhigovernment अपना ही पानी पीने को तैयार नहीं है| मगर जनता को मुफ्त का जहर बांट रही है. आम आदमी पार्टी के आम नेताओं से लेकर मुख्यमंत्री Arvind kejriwal तक आरओ का फिल्टर किया हुआ पानी पीते हैं, दिल्ली जल बोर्ड का सप्लाई वाटर उन्हें रास नहीं आता| इतना ही नहीं पार्टी कार्यालय से लेकर विधानसभा तक फिल्टर पानी ही पीने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है| कहीं आरओ सिस्टम लगाए गए हैं तो कहीं बोतल बंद पानी खरीद कर मंगाया जा रहा है| जाहिर सी बात है कि अगर दिल्ली जल बोर्ड का पानी पीने लायक होता तो हालात इतने बदतर नहीं होते| जब सत्ताधारी पार्टी के विधायक और मुख्यमंत्री तक जल बोर्ड का पानी पीने को तैयार नहीं है तो ऐसे में वह जनता से कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वह दिल्ली जल बोर्ड द्वारा सप्लाई किया जा रहा दूषित पानी पिएगी|

हैरानी की बात है कि 6 साल में भी दिल्ली सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया| क्या इस संकट के समाधान के लिए 6 साल का वक्त कम है? या दिल्ली सरकार इस समस्या का हल निकालना ही नहीं चाहती? दिल्ली सरकार की नाकामी की वजह से ही आज दिल्ली में रोजाना करोड़ों रुपए के पानी का ही कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है| गली मोहल्ले में आरओ के प्लांट खुल गए हैं और फिल्टर और आरओ बेचने वाली कंपनियों की भी चांदी हो रही है|


वीडियो को लाइक करें, शेयर करें और चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें.

दरअसल, राजधानी दिल्ली में प्रतिदिन करोड़ों रुपए का कारोबार सिर्फ पीने का पानी का ही चल रहा है| यह पानी का खेल दिल्ली जल बोर्ड और निजी कंपनियों की सांठगांठ का भी नतीजा कहा जा सकता है| शुद्ध पानी सप्लाई ना होने के चलते लोग अपने घरों में भी आरओ  लगवाने को मजबूर हो गए हैं| आरओ कंपनियों का कारोबार सालाना करोड़ों रुपए का हो चुका है| हेमा मालिनी और जूही चावला जैसी फिल्म स्टार आरओ  कंपनियों का विज्ञापन कर रही हैं| इन विज्ञापनों का खर्च कहां से निकलता है? अगर दिल्ली जल बोर्ड का पानी पीने लायक हो तो आरओ सिस्टम की जरूरत क्यों पड़ेगी? लगभग दो करोड़ की दिल्ली की आबादी जिसमें आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े बिजनेस टाइकून तक शामिल हैं वह सभी आरओ का पानी ही पीते हैं| हाई क्लास में भले ही बोतलबंद पानी स्टैंडर्ड का प्रतीक माना जाता हो लेकिन आम आदमी के लिए निश्चित तौर पर पानी खरीद कर पीना दिखावा नहीं, मजबूरी है| दिल्ली की सड़कों पर नान, छोले कुलचे और पूरी कचोड़ी बेचने वालों के ठेलों पर भी अब आरओ का पानी ही नजर आता है| आखिर ये गरीब पानी खरीदने पर क्यों मजबूर हैं क्या इन्हें भी कोई स्टैंडर्ड मेंटेन करना है?

हालात दिन-ब-दिन बद से बदतर होते जा रहे हैं लेकिन आम आदमी पार्टी के मुखिया Arvind kejriwal को यह सब कुछ शायद नजर नहीं आता| अगर नजर आता है तो वह इसे नजरअंदाज क्यों कर रहे हैं, यह सबसे बड़ा सवाल है| एक तरफ तो वह जनता को मुफ्त पानी मुहैया कराने की बात करते हैं और दूसरी तरफ उन्हें आरओ का पानी पीने के लिए खरीदने पर मजबूर करके उनकी जेब काट रहे हैं| ऐसा मुफ्त का पानी किस काम का जो एक तरफ से आए और दूसरी तरफ से जेब खाली कर जाए| मुफ्त का जहर गरीब जनता को बांटने से पहले केजरीवाल सरकार को एक बार जरूर सोचना चाहिए था.

#delhijalboard दिल्ली जल बोर्ड के दूषित पानी का सबसे बड़ा उदाहरण दिल्ली विधानसभा है| आम आदमी पार्टी के लगभग सभी विधायकों के घरों और दफ्तरों में आरओ सिस्टम लगा हुआ है| मुख्यमंत्री कार्यालय हो या फिर राज्यपाल का दफ्तर वहां भी आरओ का पानी ही यूज किया जा रहा है| अगर दिल्ली सरकार यह मानती है कि वह जनता को शुद्ध पानी मुहैया करा रही है तो फिर खुद दिल्ली जल बोर्ड के उस शुद्ध पानी को पीने को तैयार क्यों नहीं है? क्यों आरओ सिस्टम लगाकर जनता के पैसे को बर्बाद किया और कराया जा रहा है? दिल्ली विधानसभा के सभी आरओ सिस्टम क्यों नहीं हटाए जाते? मुख्यमंत्री और उनके विधायक आरओ सिस्टम का बहिष्कार क्यों नहीं करते?

जब आप खुद अपना ही पानी पीने को तैयार नहीं है तो फिर आप जनता से उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि वह आपका गंदा पानी पीएगी? सिर्फ पानी जैसी मूलभूत समस्या के समाधान में दिल्ली सरकार को 6 साल लग गए लेकिन हल आज तक नहीं निकल पाया| Arvind kejriwal सरकार को और कितना वक्त चाहिए दिल्ली को शुद्ध पानी मुहैया कराने के लिए? आखिर क्यों Arvind kejriwal आरओ कंपनियों को फायदा पहुंचाने में लगे हुए हैं? क्या इन कंपनियों के साथ सरकार की कोई सांठगांठ है? अगर दिल्ली सरकार का इन कंपनियों के साथ कोई कांटेक्ट हुआ है तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए| अगर गली मोहल्ले में आरओ के प्लांट लगाने वाले छोटे कारोबारियों से दिल्ली सरकार का कोई समझौता हुआ है तो उसे भी जनता के सामने लाना चाहिए| अगर ऐसा कुछ नहीं है तो दिल्ली सरकार को नैतिकता के आधार पर अपनी गलती मानते हुए खुद ही सत्ता से इस्तीफा दे देना चाहिए| जो सरकार 6 साल में एक पानी की समस्या तक हल नहीं कर सकी वो सरकार अन्य मुद्दों को लेकर कितनी गंभीर होगी इसका अंदाजा खुद ब खुद लगाया जा सकता है| बहरहाल, Arvind kejriwal सरकार के दावे एक बार फिर खोखले साबित नजर आ रहे हैं| अब देखना यह है कि दिल्ली की जनता को कब तक पानी खरीद कर पीना पड़ेगा और दिल्ली जल बोर्ड कब तक जहरीला पानी सप्लाई करता रहेगा? केजरीवाल सरकार को यह बात जाने क्यों समझ नहीं आती कि जनता साफ पानी चाहती है उसे मुफ्त का जहर मत पिलाओ.

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *