नीरज सिसौदिया, टनकपुर
टनकपुर का सरकारी अस्पताल कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के चलते भारतीय जनता पार्टी की सरकार की छवि धूमिल करने में लगा हुआ है. एक तरफ तो विधायक कैलाश गहतोड़ी जनता को सभी प्रकार की सुविधाएं दिलाने के लिए जीतोड़ मेहनत करने में जुटे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पताल के कुछ आला अधिकारी उनकी मेहनत पर पानी फेरने में लगे हुए हैं. इस बार एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसने सरकारी अस्पताल में चल रहे खून के खेल का पर्दाफ़ाश कर दिया है.
पीड़ित व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह सरकारी अस्पताल में दिखाने के लिए गया था. यहां अस्पताल वालों ने उससे ब्लड टेस्ट कराने को कहा. जब पीड़ित ने अपनी पसंदीदा पैथोलॉजी में टेस्ट कराने को कहा तो अस्पताल वालों ने भारत पैथोलॉजी की ही रिपोर्ट मान्य होने की बात कहकर उसे वहीं से टेस्ट कराने का दबाव डाला. इसके बाद सबसे अधिक हैरान करने वाली बात यह रही कि पीड़ित का ब्लड सैम्पल अस्पताल में ही ले लिया गया लेकिन उसे ब्लड रिपोर्ट लेने के लिए भारत पैथोलॉजी भेजा गया. वहां रिपोर्ट के एवज में पीड़ित से चार सौ रुपये भी लिए गए. जब मरीज को ब्लड टेस्ट के चार सौ रुपये देने पड़ें तो फिर सरकारी अस्पताल का क्या फायदा? मोदी सरकार की आयुष्मान भारत की स्कीम किस काम की? पीड़ित व्यक्ति गरीब तबके से ताल्लुक़ रखता है. वह कहता है कि अगर चार सौ रुपये का ब्लड टेस्ट ही कराना पड़ेगा तो हम गरीब खाना कहां से खाएंगे. वह इतनी दहशत में है कि अपना नाम सार्वजनिक करने से भी डर रहा है. उसने स्थानीय विधायक कैलाश गहतोड़ी और प्रदेश के मुख्यमंत्री से टनकपुर के सरकारी अस्पताल का हाल सुधारने की मांग की है. इस संबंध में जब सीएमओ चंपावत से बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया. अगर वह चाहें तो मोबाइल नंबर 7528022520 पर फोन करके हमें अपना पक्ष बता सकते हैं. हम उसे भी प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे.
Facebook Comments