दिल्ली

आदर्श नगर विधानसभा सीट : कांग्रेस को छोड़ना होगा मंगतराम सिंघल और मुकेश गोयल का मोह

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली

दिल्ली की आदर्श नगर विधानसभा सीट एक ऐसी सीट है जहां पर आम आदमी पार्टी को न सिर्फ कड़ी टक्कर दी जा सकती है बल्कि कांग्रेस इस सीट पर जीत भी हासिल कर सकती है लेकिन इसके लिए उसे पार्टी के दो दिग्गज नेताओं मंगतराम सिंघल और मुकेश गोयल का मोह छोड़ना होगा. अगर इन दोनों में से कोई भी मैदान में उतारा जाता है तो कांग्रेस पहले दिन से ही मैदान से बाहर हो जाएगी. क्योंकि मंगतराम मैदान में उतरते हैं तो मुकेश गोयल के समर्थक कांग्रेस उम्मीदवार का सपोर्ट नहीं करेंगे और अगर मुकेश गोयल प्रत्याशी बनाये जाते हैं तो मंगतराम सिंघल के समर्थकों का साथ मुकेश को नहीं मिलने वाला, जिसकी बानगी हम पिछले चुनावों में देख चुके हैं.

अब एक नजर डालते हैं आदर्श नगर विधानसभा सीट के सियासी इतिहास पर| वर्ष 1993 में आदर्श नगर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी| यहां पहली बार हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के जयप्रकाश यादव सभी विरोधियों को पछाड़ते हुए विधायक बनने में कामयाब हुए| इतिहास में जयप्रकाश यादव का नाम आदर्श नगर विधानसभा सीट के पहले विधायक के रूप में दर्ज हो गया| लेकिन अगले चुनाव में भाजपा यह सीट नहीं बचा सकी और उसे करारी शिकस्त झेलनी पड़ी| इसके बाद यहां लगभग 15 वर्षों तक मंगत राम सिंघल ने अपना वर्चस्व कायम रखा और वह दिल्ली में उद्योग मंत्री जैसे पद पर भी काबिज हुए| लेकिन आम आदमी पार्टी के उदय के साथ ही मंगतराम सिंघल का सूरज भी अस्त होता गया और 2013 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के रामकिशन सिंघल ने मंगतराम सिंघल को करारी शिकस्त दी| यह दूसरा मौका था जब भारतीय जनता पार्टी ने आदर्श नगर विधानसभा सीट अपने खाते में दर्ज कराई थी| लेकिन उस वक्त दिल्ली में केजरीवाल सरकार का कांग्रेस से गठबंधन टूट गया और वह सरकार ज्यादा देर तक सत्ता में नहीं रह सकी| परिणाम यह हुआ कि दिल्ली एक बार फिर विधानसभा चुनाव के मुहाने पर आकर खड़ी हो गई थी| 2015 में फिर विधानसभा चुनाव हुए और इस बार आम आदमी पार्टी के पवन शर्मा चुनाव जीत गए| 2013 के चुनाव में जहां आम आदमी पार्टी के जगदीप राणा को शिकस्त झेलनी पड़ी थी वहीं 2015 के चुनाव में नया चेहरा पेश करके आम आदमी पार्टी ने सत्ता हथिया ली| 2013 में कांग्रेस ने जहां मंगतराम सिंघल को मैदान में उतारा था वहीं 2015 में उसने मुकेश गोयल पर दांव खेला| नतीजा यह हुआ कि जिस मंगतराम सिंघल ने कांग्रेस के लिए 25000 से भी ज्यादा वोट हासिल किए थे उस मंगतराम को दरकिनार करना कांग्रेस के लिए और भी ज्यादा नुकसानदायक साबित हुआ|

मंगतराम सिंघल

कांग्रेस के उम्मीदवार मुकेश गोयल 2015 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 15000 वोटों तक ही सिमट गए| अब एक बार फिर आदर्श नगर विधानसभा हॉट सीट बनी हुई है| इस बार यहां एक तरफ आम आदमी पार्टी फिर से नए चेहरे पर दांव खेलने की तैयारी कर रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस की सुई अभी तक मंगतराम सिंघल और मुकेश गोयल पर ही अटकी हुई है| लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या मंगतराम सिंघल और मुकेश गोयल की आपसी लड़ाई एक बार फिर से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का कारण नहीं बनेगी?

मुकेश गोयल

दरअसल, आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्र में मुकेश गोयल को विधानसभा के चुनावी मैदान में उतारकर कांग्रेस ने सबसे बड़ी गलती की थी| मुकेश गोयल कभी मंगतराम सिंघल की छत्रछाया में राजनीति किया करते थे| लेकिन अपनी मेहनत और काबिलियत के बल पर उन्होंने अपना अलग वजूद स्थापित कर लिया| यहां तक तो सब ठीक था लेकिन जब मुकेश विधायक बनने का सपना देखने लगे तो मंगतराम को अपना सिंहासन डोलता नजर आया. यहीं से मंगतराम सिंघल और मुकेश गोयल की आपसी तनातनी और ज्यादा बढ़ गई लेकिन इसका असर पार्टी पर ज्यादा नहीं पड़ रहा था| पार्टी को नुकसान तब होना शुरू हुआ जब पार्टी ने 2015 में इस सीट से मुकेश गोयल को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारा| मंगत राम सिंघल को यह नागवार गुजरा| बस यहीं से आदर्श नगर में कांग्रेस दो फाड़ हो गई| आधे कांग्रेस के सिपाही मंगतराम सिंघल के गुट में शामिल हो गए तो आधी कांग्रेस मुकेश गोयल के खाते में चली गई| कांग्रेस की जिस एकता ने मंगतराम सिंघल को यहां से तीन बार विधायक बनाया था अब कांग्रेस में आई नई दरार ने इस सीट को ही कांग्रेस से हमेशा के लिए जुदा कर दिया| स्थानीय लोगों की मानें तो इस सीट पर कॉन्ग्रेस तब तक वापसी नहीं कर सकती जब तक मंगतराम सिंघल या मुकेश गोयल की जगह कोई तीसरा चेहरा चुनावी मैदान में नहीं उतरता| हालांकि यह भी सच है कि इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस चेहरों के संकट से जूझ रही है| ऐसे में मुकेश गोयल या मंगतराम सिंघल के अलावा उसके पास कोई तीसरा चेहरा विकल्प के तौर पर मौजूद नहीं है| जो गिने चुने चेहरे मौजूद भी हैं उनका वजूद इतना बड़ा नहीं है कि वह विधानसभा का किला फतह करके कांग्रेस की झोली में डाल सकें| कांग्रेस को यहां एक ऐसा चेहरा तलाशना होगा जिसे मंगतराम सिंघल और मुकेश गोयल दोनों का समर्थन मिल सके| या फिर दोनों की सुलह हाईकमान के लेवल पर कराई जाए और जिसे भी टिकट मिले, दूसरा नेता उसके साथ चुनाव प्रचार में दिन-रात खड़ा नजर आए. यह बात तय है कि अगर कांग्रेस के यह दोनों दिग्गज एक साथ एक मंच पर आ जाते हैं तो आदर्श नगर विधानसभा सीट से कांग्रेस को हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो सकता है| बहरहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस बार किस चेहरे पर दांव खेलती है|

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