पंजाब

भाजपा के विपरीत है सितारों की चाल, कमजोर पंजाब भाजपा प्रधान बिगाड़ सकता है पार्टी का हाल, विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य नरेश नाथ ने उठाए कई सवाल, पढ़ें क्या है पूरा मामला?

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
पंजाब में अलग सियासी वजूद तलाश रही भाजपा नेेेेेेतृत्व के संंकट से जूझ रही है. कमजाेर नेतृत्व के चलते भाजपा अब तक अकाली दल की बैशाखी के सहारे ही चल रही है. आखिर क्या वजह रही कि भाजपा पंजाब में अब तक अपना अलग वजूद स्थापित नहीं कर सकी? विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य नरेश नाथ इसके लिए पंजाब भाजपा केे उस नेतृत्व को मानते हैं जो हमेेेेशा अकालियों केे पिछलग्गू बनकर रहेे. नतीजा ये हुुुआ कि भाजपा वेंटीलेटर पर पहुंच गई. अब एक बार फिर ऐसे ही हाथों में पंंजाब भाजपा की कमान सौंपी  जा रही है.

इस बारे में पूछने पर नरेश नाथ कहते हैं, ‘सितारों की गणना भाजपा के फेवर में नहीं है. बार-बार लिखे जाने के बावजूद इस बार पंजाब भाजपा की कमान एक कमजोर को दी गई है. जो एक बार फिर डमी ही साबित होगा. उन्होंने कहा कि मेरा किसी भाजपा नेता से कोई लेना-देना नहीं है और न ही मैं किसी भाजपा नेता का हिमायती हूं लेकिन मैं सितारों की चाल के अनुसार सियासत की बात कर रहा हूं. बिना किसी झुकाव के नाथ गद्दी द्वारा मैं केद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष जेपी नड्डा से इस निर्णय पर दोबारा मंथन करने के लिए कहना चाहता हूं, क्योंकि पंजाब में हिंदू शोषित समाज है और भाजपा उसकी उम्मीद है. अगर भाजपा का नेतृत्व  ही कमजोर होगा तो यहां के हिंदुओं का क्या होगा? कांग्रेस और अकाली दल के सत्ता में आने पर सिर्फ सिख संप्रदाय की ही सुनी जाती रही है. हिंदू बाहुल्य क्षेत्रों की उपेक्षा की जाती है. विकास के नाम पर भी नाम मात्र ही काम किया जाता है.


एक उदाहरण देते हुए नरेश नाथ ने कहा कि जालंधर में ज्यादा हिंदू हैं या यूं कहें कि जालंधर हिंदू बाहुल्य क्षेत्र है. एक वक्त था जब यहां से पूर्व स्थानीय निकाय मंत्री मनोरंजन कालिया ने पंजाब भाजपा की कमान संभाली थी. वह हिंदुओं की भी आवाज बने थे. उन्होंने कभी अकालियों की डमी के तौर पर काम नहीं किया और गठबंधन धर्म भी बाखूबी निभाया. उन्होंने किसी की परवाह किये बगैर यहां विकास की नई इबारत लिखी थी और भाजपा की झोली में 19 सीटें जीतकर डाली थीं. लेकिन भाजपा की अंदरूनी कलह की वजह से मनोरंजन कालिया को साइडलाइन कर दिया गया. ये वो दौर था जब मनोरंजन कालिया पंजाब में भाजपा की ताकत बढ़ा रहे थे. उस वक्त अकाली दल के इतर भाजपा अपनी अलग पहचान बना रही थी. भाजपा अपना कद बढ़ा रही थी और उसका अपना अलग वजूद स्थापित हो रहा था. लेकिन मनोरंजन कालिया पार्टी में उपजी अंतरकलह का शिकार बन गए और फिर कोई ऐसा दिग्गज नेता पंजाब भाजपा को नहीं मिल सका जो अकाली दल को भाजपा पर हावी नहीं होने दे. कालिया के बाद जितने भी भाजपा नेता आए वह अकाली सरकार के चमचे बन गए और सिवाय अपना वक्त गुजारने के पार्टी के खाते में वह कोई उपलब्धि दर्ज नहीं करा सके.
आज फिर समय आया है जब भाजपा पंजाब से 25 से 30 सीटें ले सकती है. लेकिन यह तभी संभव है जब मनोरंजन कालिया जैसा ही कोई कर्मठ नेता पंजाब भाजपा की कमान संभाले. जरूरी नहीं है कि वो नेता सिर्फ मनोरंजन कालिया ही हो लेकिन वह कोई भी हो, उसमें मनोरंजन कालिया जैसे गुण जरूर हों ताकि वह पंजाब में भाजपा का अलग वजूद स्थापित कर सके और अकाली दल के हाथों की कठपुतली मात्र बनकर न रहे.
नरेश नाथ ने कहा कि मैं अध्यक्ष पद के लिए मनोरंजन कालिया के नाम की सिफारिश नहीं कर रहा बल्कि भाजपा द्वारा तय किए गए नाम पर अपनी राय और एक भारी जनमत का संदेश आप तक पहुंचाना मेरी जिम्मेदारी है. मैं माननीय मोदी जी से कहूंगा कि वह भाजपा को पंजाब में ताकत दें. एक सशक्त नेतृत्व प्रदान करें. पंजाब से 25 से 30 सीटें लेना भाजपा के लिए कोई मुश्किल काम नहीं है.
आप भाजपा को मजबूत करें. सहयोगी दल किसी भी सूरत में भाजपा के नाम पर मजबूती लेकर भाजपा का साथ छोड़ जाते हैं इसलिए पंजाब से इस क्रम की शुरुआत करें.
यह समय भाजपा के लिए ग्रह चाल के रूप में अच्छा नहीं है. इसलिए निर्णय लेने से पहले कृपया तारीख और ग्रह चाल को मद्देनजर रखते हुए डिसीजन लें. जैसा गुरु गोरखनाथ जी ने कहा मैंने वही आपके सामने रखा है. मानो तो भगवान है न मानो तो पत्थर है. नरेश नाथ ने इसे राष्ट्र के नाम समर्पित एक नाथ का संदेश बताया है.
बहरहाल, यह जगजाहिर है कि अगर भाजपा को पंजाब में अपना अलग सियासी वजूद स्थापित करना है तो उसके लिए मनोरंजन कालिया जैसे गुणों वाली शख्सियत को ही पंजाब भाजपा की कमान सौंपनी होगी.
साथ ही नाथ गद्दी के साधक नरेश नाथ की भविष्यवाणी को अनदेखा करना भाजपा को भारी पड़ सकता है, ठीक उसी तरह जिस तरह राहुल गांधी को नरेश नाथ की भविष्यवाणी को अनदेखा करना भारी पड़ा और वह अमेठी से लोकसभा चुनाव हार गए थे. बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि नरेश नाथ की भविष्यवाणी को भाजपा किस रूप में लेती है.

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