विचार

धर्म का दुरुपयोग बन सकता है तीसरे विश्व युद्ध की वजह

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नरेश नाथ (ज्योतिष रत्नाकर)

हिंदू धर्म सनातन धर्म है यानी सबसे पुराना धर्म है. ब्रह्मा जी ने सृष्टि पर सबसे पहले इंसान को बनाया था जो हिंदू के रूप में था और फिर सप्त ऋषि ब्रह्मा जी के 10 मानस पुत्र और उसके बाद दक्ष प्रजापति की उत्पति की और उनसे आगे फिर मनु संहिता जो की सृष्टि को चलाने के लिए सबसे उत्तम मार्ग था उसे बनाया गया.
जैसे-जैसे कलयुग बढ़ता गया अलग-अलग धर्म अस्तित्व में आने शुरू हो गए जो जितना पुराना हो जाता है उसका अस्तित्व उतना ही कम हो जाता है जो जितना नया होता है वह उतना ही प्रज्वलित और विराट रूप में नजर आता है आजकल 2 धर्म मुसलमान और ईसाई धर्म प्रबलता में हैं क्योंकि यह नए हैं
हम ग्लोबल वार्मिंग की बात करते हैं सृष्टि की गर्मी प्राणियों में शिफ्ट हो रही है इसीलिए हर प्राणी में उग्रता बहुत बढ़ती जा रही है धरती में जल तत्व की कमी हो रही है समुंदर अपनी सीमाएं लांग ने के लिए तैयार बैठा है मेरी सभी धर्म प्रेमियों से विनती है कि आप धर्म को केवल अपनी आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग बताएं ना कि इससे समाज में अशांति फैलाएं
भगवान कृष्ण ने गीता में लिखा है जब-जब धर्म की हानि होती है और पाप का बोलबाला होता है प्राणियों में पाप की वृद्धि होती है तो मैं धरती पर अवतार लेता हूं अभी मैं इसी तथ्य को सत्य करने के आधार पर सभी धर्मों से और उनके पदाधिकारियों से विनती करूंगा कि आप धर्म को केवल आत्मा की उन्नति के लिए प्रयोग करें ना कि समाज की अशांति के लिए
इसके चार तरह के परिणाम होंगे
बड़ी-बड़ी दुर्घटनाएं जैसे ट्रेन दुर्घटना वायुयान दुर्घटना भूकंप के रूप में बहुत बड़ी त्रासदी इत्यादि जिसमें बहुत सी प्राण हानि हो सकती है आने वाले कुछ महीनों में संभावित है
पानी अपनी मर्यादा तोड़ेगा पानी की अति या कमी संसार को प्रताड़ित करने के लिए खासकर भारत और इसके साथ के पड़ोसी देशों में यह भयानक रूप में अस्तित्व में आ सकती है.
करोना वायरस जिसे असाध्य बीमारी कहा जा रहा है यह कोई नई बीमारी नहीं है भारत में गली में कुत्ते इसी बीमारी से मरते हैं उनके नाक पर जुकाम रूपी इंफेक्शन हो जाती है और वह तड़प तड़प के मरते हैं यही चीज अब प्राणियों में भी होनी शुरू हो गई है अर्थात जो धर्म से परे हैं उन्हें ईश्वर कुत्ते की मौत मार रहा है
जुलाई-अगस्त के उपरांत यदि जनता इसी तरह बढ़ती रही तो विश्व के कुछ देश अपने अहंकार को ना दबा सकते हुए तीसरे विश्वयुद्ध का नींव पत्थर रखने के बहाने बना देंगे जो आने वाले समय के लिए विनाश का कारण बनेंगे और भारी जनसंख्या की हानि होगी
संक्षेप में सिर्फ यही कहूंगा जब भी पांच विकार काम क्रोध लोभ मोह अहंकार अपनी मर्यादा तोड़ते हैं सृष्टि का विनाश जरूर होता है कृपया आत्ममंथन करें अपना और आने वाली पीढ़ियों का भविष्य देखते हुए अपने-अपने धर्म के अनुसार शांति पाठ करें
सत्य ही शिव है
शिव ही सुंदर है
जय गुरु गोरखनाथ.’

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