झारखण्ड

दुल्हन लेकर घर पहुंचा बेटा, बाप की निकली अर्थी

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बोकारो थर्मल। रामचंद्र कुमार अंजाना
हजारीबाग जिला के गाल्होबार पंचायत में एक घर शादी का जश्न उस समय गमगीन माहौल में तब्दील हो गया, जब दूल्हे की पिता का निधन हो गया। कहते हैं कि कुदरत का खेल ही न्यारा है। कब खुशी कब गम का होगा कोई नही जानता है। नावाडीह प्रखंड अंतर्गत ऊपरघाट के कोठी निवासी भुवनेश्वर महतो की बेटी ममता कुमारी की शादी 13 जून को गाल्होबार निवासी कामेश्वर उर्फ पांडेय महतो से तय थी। जिससे घर में खुशी का माहौल था। लगन को लेकर घर में दूल्हा और दूल्हन के घरों में रिश्तेदार जब डीजे की धुन पर नाच-गाने में मशगूल थे कि तभी अचानक 10 जून को दूल्हा के 84 वर्षीय पिता द्वारिका महतो की अचानक दिल का दौरा पड़ने से भगवान को प्यारे हो गए।

ऐसी गमगीन स्थिति में सगे-संबंधियों ने दूल्हा के पिता के शव को एक घर में बंद कर, आनन-फानन में गांव के गणमान्य लोग दूल्हन के गांव कोठी स्थित शिव मंदिर पहुंचे और शादी करा दी। इसके बाद दूल्हे के पिता का अंतिम संस्कार किया गया। इधर,दूल्हन के पिता प्रवासी मजदूर भुवनेश्वर महतो कोरोनटाइन में है। लाॅक लाउन से पहले शादी की तारीख मुकर्रर की गयी थी। दोनों के घरों में शादी को लेकर उत्साह चरम पर था।


दुल्हा-दूल्हन ने देखे थे कई सपने: दूल्हा कामेश्वर महतो और दुल्हन ने अपनी शादी का लेकर कई सपने देखे थे। दूल्हा पूर साज-सज्जा से दूल्हन के घर बारात लेकर पहुंता। दूल्हन हाथों में मेंहदी लगाती। बरमाला होता। बाराती संग दूल्हा नाचता, अपनी सहेलियों के संग दूल्हन नाचती। दोनों के सपनें अधुरे रह गए। आनन-फानन में शादी हो गयी। दूल्हा का बाप और दूल्हन के ससुर स्वर्ग सिधार गए थे। हांलाकि हर जगह सोशल डिंसटेट की पूरी ख्याल रखा था, चाहे शादी की रस्म हो या पिता का शव यात्रा।
बेटी, बहूओं व बेटे ने दिया अर्थी कंधा

द्वारिका महतो की अर्थी को बेटी, बहू और बेटे ने कंधा दिया। जिस घर में शादी की शहनाई बनजे वाली थी, उस घर में मातम पसर गयी थी। बेटी बेटी, बहू और बेटे के कंधे में अर्थी देख तरवाटांड की हर आंखे नम हो गयी थी।

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