पंजाब

नशा तस्करी, सट्टेबाजी और अवैध लॉटरी का गढ़ बना जालंधर वेस्ट विधानसभा क्षेत्र, नेताओं और पुलिस के संरक्षण में चल रहा गोरखधंधा, पढ़ें किस-किस इलाके में चल रहा काला खेल

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
जालंधर वेस्ट विधानसभा क्षेत्र अब नशा तस्करों, सट्टेबाजों और अवैध लॉटरी की दुकानों का गढ़ बन चुका है. यहां के कई इलाके ऐसे हैं जहां खुलेआम यह कारोबार कुछ तथाकथित जनप्रतिनिधियों और चुनिंदा भ्रष्ट वर्दी वालों के संरक्षण में फल फूल रहा है. हैरानी की बात तो यह है कि पिछले लगभग तीन साल से पुलिस सोई हुई है. मंगलवार को सीआईए स्टाफ ने जरूर छापेमारी की हिम्मत जुटाई लेकिन यह कार्रवाई ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही है. पिछले दिनों एक मीडिया हाउस ने यहां एक लॉटरी संचालक का भंडाफोड़ किया तो मामले का खुलासा हुआ.
दरअसल, जालंधर वेस्ट विधानसभा हलके के तहत पड़ते बस्ती बावा खेल, भार्गव कैंप, राजनगर, मधुबन कॉलोनी, बस्ती पीरदाद, बस्ती दानिशमंदा, शहीद बाबू लाभ सिंह नगर, न्यू शहीद बाबू लाभ सिंह नगर आदि इलाकों में अवैध शराब से लेकर सट्टेबाजी और लॉटरी का कारोबार पिछले कई सालों से बेरोकटोक चल रहा है. कुछ समय पहले शहीद बाबू लाभ सिंह नगर में रहने वाले पूर्व पार्षद प्रदीप राय ने जोर-शोर से यह मुद्दा उठाया था. इसके बावजूद कांग्रेस के एक बड़े नेता का हाथ होने के कारण प्रदीप राय की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. लेकिन कहते हैं कि बकरे की मां आखिर कब तक खैर मनाएगी, एक न एक दिन तो उसे हलाल होना ही है. प्रदीप राय ने जो चिंगारी भड़काई थी अब वो शोला बनती जा रही है. हाल ही में शिवसेना हिन्द ने भी इस मुद्दे पर स्थानीय पुलिस और नेताओं को घेरा. इसके बाद मजबूरन पुलिस को दिखावे की कार्रवाई करनी पड़ी. लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इस एक कार्रवाई से काम पूरा हो जाएगा.

लॉटरी की दुकान पर बैठा कर्मचारी
लॉटरी की दुकान पर बैठा कर्मचारी

ये तो छोटी-छोटी मछलियां हैं, बड़ी मछली के गले में फंदा डालने की हिम्मत पुलिस क्यों नहीं जुटा पा रही? क्योंकि एक नेता के इशारे पर पुलिस नाच रही है? आखिर क्यों पुलिस सत्ता के दलालों के आगे नतमस्तक होती जा रही है? जब तक पुलिस कानून को सत्ता के दलालों के हाथों की कठपुतली बनाती रहेगी तब तक न तो नशा खत्म होगा और न ही सट्टेबाजी का बाजार बंद हो पाएगा.
बता दें कि जालंधर वेस्ट विधानसभा हलके में ज्यादातर आबादी मेहनत मजदूरी करके गुजारा करने वाले लोगों की है या तो वे मध्यमवर्गीय परिवार यहां रहते हैं जिनकी आंखों में एक खुशहाल घर का सपना पलता रहता है. इन्हीं लोगों को ये नशा तस्कर और सट्टेबाज सपने बेचते हैं और सपनों को खरीदते-खरीदते ये लोग कब सबकुछ गंवा बैठते हैं इन्हें खुद भी पता नहीं चलता.

लॉटरी की दुकान पर बैठा कर्मचारी

पिछले चुनावों में यही मुद्दे थे जिन्होंने अकाली-भाजपा गठबंधन को उखाड़ फेंका था. लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस नेताओं ने भी वही किया जो अकाली-भाजपा गठबंधन के नेताओं ने किया था. गठबंधन के राज में तो फिर भी हालात काफी हद तक ठीक थे. जो भी होता था वो चोरी छुपे होता था लेकिन कांग्रेस का विधायक बनने के बाद तो जैसे इन नशा तस्करों और सट्टेबाजों को लाइसेंस ही मिल गया. अब यह कारोबार खुलेआम बेरोकटोक चल रहा है और स्थानीय विधायक भी इस पर पूरी तरह से लगाम लगवाने में नाकाम साबित हो रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि विधायक के ही कुछ करीबी नेता विधायक के नाम पर इन नशा तस्करों और सट्टेबाजों से मोटी रकम वसूलकर उन्हें संरक्षण प्रदान कर रहे हैं.
साथ ही कुछ स्थानीय पुलिस वाले भी इन लोगों से मोटी रकम वसूल कर रहे हैं.
बहरहाल, जालंधर वेस्ट में बढ़ती नशा तस्करी और सट्टेबाजी के कारोबार के छींटे विधायक सुशील कुमार रिंकू के दामन पर भी पड़ने लगे हैं. स्थानीय विधायक होने के नाते रिंकू का भी यह नैतिक फर्ज बनता है कि वह इन तस्करों और काले कारनामों को अंजाम देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करवाएं वरना आने वाले विधानसभा चुनाव में रिंकू का किला ढहने से कोई नहीं रोक पाएगा.
अवैध कॉलोनियों और अवैध बिल्डिंगों को संरक्षण देते हुए भले ही रिंकू ने सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोलकर अपने चहेतों को फायदा पहुंचाया हो लेकिन नशा तस्करों को संरक्षण देना रिंकू को महंगा पड़ सकता है.

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