झारखण्ड

नावाडीह-ऊपरघाट के बाजारों में उतरे टेकनेस व फुटका

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बोकारो थर्मल। रामचंद्र अंजाना
बारिश व गरज के बीच बेरमो अनुमंडल के ग्रामीण क्षेत्रों से सटे जंगलों में टेकनेस और फुटका भी नजर आने लगा है। अभी नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट क्षेत्र में जहां अत्यधिक जंगली इलाका होने के कारण टेकनेस और फुटका अधिक निकल रहे हैं। इसके स्वाद को लेकर लोग इस कदर दीवाने हैं कि टेकनेस 400 रुपए तो फुटका 300 रुपए के किलो भाव में भी खरीद रहे हैं। कई क्षेत्रों में तो यह बाजार तक भी नहीं पहुंच पाता है। बाजार पहुंचने से पहले ही टोकरियां खाली हो जाती है।
सावन के महीने में इन ग्रामीण इलाकों में टेकनेस और फुटका रोजगार का साधन भी बन गया है। गांव के बच्चे और महिलाएं अहले सुबह ही टेकनेस और फुटका को चुनने घर से जंगल निकल जाती हैं। रात में अगर जमकर बारिश व गरज हुई तो टेकनेस और फुटका ढूंढ़ने बच्चे भी जंगल कूच कर जाते हैं।
गरज से जमीं के अंदर से बाहर आते: टेकनेस और फुटका बरसात के मौसम में अधिकतर सखुआ के जंगलों में मिलता है। बरसात में जब बादल गरजते हैं, तब टेकनेस और फुटका धरती के अंदर से बाहर आने लगता है और जमीं पर एक निशान सा बन जाता है। गांव के ग्रामीण यह समझ जाते है कि अंदर फुटका है। हाथ में लिए एक छोटी सी लकड़ी से उस उठे स्थान को कोड़ते है और अंदर फुटका दिख जाता है।
टेकनेस में कई खनिज और विटामिन: टेकनेस जितना खाने में स्वादिष्ट है, बताया जाता है कि यह इतना फायदेमंद भी है। विटामिन बी, डी, पोटेशियम, कॉपर, आयरन और सेलेनियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसमें विशेष तत्व रहने के कारण यह मांसपेशियों को सक्रियता और यादाश्त बरकरार रखने में सहायक है।
फोटो- ऊपरघाट में टेकनेस ।

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