पंजाब

मजबूरी में चुनाव लड़े थे बावा हैनरी, दोगुनी उम्र के भंडारी को चटाई धूल, हलके से खत्म किया अपराध और गैंगवार, बेटियां भी हुईं सुरक्षित, पढ़ें जालंधर के सबसे युवा विधायक की उपलब्धियों की पहली किस्त 

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
कहते हैं भगवान जो करता है अच्छे के लिए ही करता है. इस बात को सही साबित कर दिखाया है पंजाब के जालंधर शहर के सबसे युवा और सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे विधायक बावा हैनरी ने. बावा हैनरी के विधायक बनने के बाद न तो जालंधर नॉर्थ विधानसभा हलके में गैंगवार हुई और न ही बेटियों पर सरेराह अत्याचार हुए. लुटेरे और बदमाश तो जैसे इलाका छोड़कर ही भाग गए. और ये सब संभव हुआ स्थानीय विधायक बावा हैनरी के प्रयासों की वजह से. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बावा हैनरी मजबूरी में चुनाव लड़े थे और विधायक बने थे? आइये जानते हैं कि किन परिस्थितियों में बावा हैनरी विधायक बने थे और विधायक बनने के बाद उन्होंने ऐसा क्या किया कि अपराधियों का गढ़ रहे नॉर्थ विधानसभा क्षेत्र में जनता और खास तौर पर बेटियां खुद को सुरक्षित महसूस करने लगी हैं.
बावा हैनरी के नाम से मशहूर जालंधर के इस सबसे युवा विधायक का पूरा नाम अवतार सिंह संघेड़ा जूनियर है. बात जनवरी 2017 की है. बावा हैनरी अपने पिता पूर्व मंत्री अवतार हैनरी के लिए चुनावी कैंपेन की तैयारी कर रहे थे. विरोधियों को डर था कि अगर अवतार हैनरी मैदान में उतरेंगे तो भाजपा प्रत्याशी एवं तत्कालीन विधायक केडी भंडारी किसी भी सूरत में चुनाव नहीं जीत सकेंगे. इसकी वजह यह थी कि दस साल के भंडारी के राज से जनता आजिज हो चुकी थी. बस यहीं से भंडारी और उनके समर्थकों ने सियासी साजिश की शुरुआत की और हैनरी को चुनावी मैदान में उतरने के लिए अयोग्य करार दे दिया गया. भंडारी खेमे को लगा था कि पूर्व मंत्री को चुनावी मैदान से बाहर कर देंगे तो भंडारी आसानी से चुनाव जीत जाएंगे लेकिन वह शायद भूल गए थे कि रेत के महलों को तबाह करने के लिए हवा का एक झोंका ही काफी होता है और भंडारी के लिए वो हवा का झोंका बावा हैनरी थे. पिता के अयोग्य करार दिए जाने के बाद बावा हैनरी मजबूरी में चुनावी मैदान में उतरे और पहली ही बार में स्वयं भू विकास पुरुष बनकर बैठे भंडारी की धज्जियां उड़ा दीं. बावा ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की और पहली ही बार में विधानसभा जा पहुंचे.

पिता के साथ बावा हैनरी.

सियासत तो बावा को विरासत में मिली थी. अब बारी थी खुद को साबित करने की तो बावा ने सबसे पहला लक्ष्य नॉर्थ विधानसभा हलके से अपराध के उस स्वरूप को खत्म करने की ठानी जिससे इलाके की आम जनता दहशत में थी. ये अपराध दो तरह के थे. पहला सरेराह बेटियों से बदसलूकी और अश्लील हरकतें करना और दूसरा कहीं भी कभी भी लूटपाट और हत्या करना. विधायक बनते ही बावा ने एक तरफ पुलिस को सख्ती के आदेश दिए तो दूसरी तरफ निजी तौर पर अपराधियों का इलाज करना शुरू कर दिया. सूत्र बताते हैं कि बावा ने इलाके में लूटपाट और बेटियों की आबरू से खिलवाड़ करने वालों के लिए अपने कुछ लोगों की टीम बनाई. यह टीम ऐसे लोगों की न सिर्फ शिनाख्त करती थी बल्कि उनकी इस कदर पिटाई करती थी कि अपराधी या तो इलाका छोड़कर भाग गए या सुधर गए. दहशत का जो दौर अकाली-भाजपा गठबंधन के राज में नॉर्थ विधानसभा हलके में चल रहा था उसे खत्म करके बावा हैनरी ने अपने खाते में सबसे बड़ी उपलब्धि दर्ज करा ली थी. जिन इलाकों में शाम ढलते ही बेटियां घरों में दुबक जाती थीं आज वहां देर रात तक सड़कों पर बेटियों की चहल कदमी आसानी से देखी जा सकती है. शायद बावा हैनरी विधायक न होते तो यह संभव नहीं हो पाता. दिलचस्प बात यह है कि बावा हैनरी के विधायक बनने के बाद शुरुआती 6 महीनों में तो कोई भी ऐसा अपराध तक दर्ज नहीं किया गया जिसमें पेशेवर अपराधी शामिल हों. बतौर विधायक बावा हैनरी की दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि है गैंगवार का खात्मा. बावा हैनरी के विधायक बनने के बाद नॉर्थ हलके के गैंगस्टर अंडरग्राउंड हो गए और गैंगवार की एक भी बड़ी वारदात पिछले लगभग साढ़े तीन साल के दौरान सामने नहीं आई. अगर बावा हैनरी विधायक नहीं होते तो शायद यह भी संभव नहीं हो पाता.
अब यहां अपराध तो दर्ज किए जाते थे लेकिन उनका स्वरूप बदल चुका था. अब जो अपराध होते थे उनमें अपराधी पेशेवर मुजरिम या गैंगस्टर की जगह आम आदमी होता था जो मामूली बात पर आपा खो देता था और मारपीट हो जाती थी. बेटियों से जो छेड़छाड़ के मामले सामने आते थे उनमें ज्यादातर उन्हीं बेटियों के आस-पड़ोस के लड़के ही अपराधी होते थे जो कुंठित मानसिकता के शिकार थे पेशेवर नहीं. अपराध का वो वीभत्स चेहरा अब कहीं नजर नहीं आता.
बावा हैनरी ने हलके की जनता को जो दहशत मुक्त माहौल दिया वह भंडारी दस वर्ष के कार्यकाल में भी नहीं दे पाए. शायद यही वजह रही कि पिछले चुनावों में तथाकथित स्वयंभू विकास पुरुष केडी भंडारी को जनता ने सिरे से खारिज कर दिया और बावा हैनरी को सिर आंखों पर बिठा लिया.
बावा हैनरी की उपलब्धियों का यह पहला चरण था. बावा हैनरी ने शुरू से ही अपनी प्राथमिकताएं तय कीं और एक-एक करके उन प्राथमिकताओं को पूरा करते आ रहे हैं. उनकी पहली प्राथमिकता दहशत मुक्त माहौल और बेटियों को सुरक्षा देने की थी जिसे उन्होंने बाखूबी पूरा कर दिखाया.
दूसरी किस्त में हम आपको बताएंगे कि किन-किन मोर्चों पर बावा हैनरी ने उपलब्धियां हासिल की हैं. विकास के वो कौन-कौन से काम हैं जिन्हें भंडारी दस वर्षों में नहीं करवा सके और बावा हैनरी ने तीन साल के भीतर ही करवा दिए.

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