नीरज सिसौदिया, जालंधर
कभी-कभी नेताओं को अपने पीए की गलतियों का खामियाजा अपनी फजीहत करवाकर भुगतना पड़ता है. ऐसा कुछ इन दिनों पूर्व विधायक और वरिष्ठ भाजपा नेता केडी भंडारी के साथ भी हो रहा है. सत्ता का वनवास झेल रहे भंडारी की फजीहत उनके अपने ही कुछ चाटुकार और पीए जैसे लोग करवाने में जुटे हैं. ताजा मामला बुधवार का है. जब भंडारी माई हीरां गेट पर राम मंदिर का जश्न मना रहे थे. जश्न के दौरान पार्टी के कई अन्य दिग्गज नेता भी पहुंचे. इनमें कभी भंडारी के धुर विरोधी रहे भाजपा नेता किशनलाल शर्मा के करीबी रहे अशोक सरीन भी शामिल थे. भाजपा की सियासत में सरीन का कद दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. भंडारी के नेतृत्व में हुए इस कार्यक्रम का प्रेस नोट भेजने की जिम्मेदारी केडी भंडारी के पीए रोहित कपूर को दी गई लेकिन बेचारे भंडारी को क्या मालूम था कि उनका पीए ही उनकी फजीहत करवा बैठेगा. हुआ भी यही. भंडारी के पीए ने जो प्रेस नोट मीडिया को भेजा उसमें उनका अति उत्साह ही उनकी फजीहत का कारण बन गया. भंडारी के पीए यह भी भूल गए कि पंजाब भाजपा के अध्यक्ष कौन हैं. उन्हें पंजाब भाजपा अध्यक्ष का नाम तक याद नहीं रहा. तो उन्होंने अशोक सरीन को ही पंजाब भाजपा अध्यक्ष बना दिया. निश्चित तौर पर अशोक सरीन की काबिलियत उन्हें एक दिन पंजाब भाजपा के पद पर शोभायमान जरूर करेगी. वैसे भी सियासत में जिस तेजी से सरीन का कद बढ़ता जा रहा है उससे स्पष्ट है कि जालंधर भाजपा की सियासत का बड़ा चेहरा बनने में सरीन को ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. शायद यही वजह रही होगी कि भंडारी के पीए ने उन्हें अभी से पंजाब भाजपा का अध्यक्ष घोषित कर मीडिया में प्रेस नोट भी भेज डाला.
हैरानी की बात है कि ऐसे लापरवाह लोगों को भंडारी ने पीए जैसे जिम्मेदार पद पर कैसे विराजमान कर दिया? जो आदमी भाजपा के पदाधिकारियों के पद तक सही तरीके से नहीं लिख पाता वह जनता के कामों को कितना याद रखेगा इसका अंदाजा खुद ब खुद लगाया जा सकता है. शायद ऐसे साथियों की बदौलत ही विकास पुरुष का तमगा हासिल करने वाले केडी भंडारी को पहली बार चुनावी मैदान में उतरे एक युवा ने धूल चटा दी थी. अब भी वक्त है. अगर भंडारी नहीं संभले तो इस बार भी उनकी नैया डूबनी तय है. क्योंकि पिछली बार जिसे बच्चा समझकर भंडारी चुनाव लड़े और हार, इस बार वो बच्चा जालंधर की सियासत का सबसे बड़ा चेहरा बावा हैनरी बन चुका है. अगर अब भंडारी को अपनी फजीहत नहीं करानी है तो ऐसे लोगों से किनारा करना ही बेहतर होगा. साथ ही किसी गंभीर और समझदार को यह जिम्मेदारी दें.
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