देश

अब दालें भी हुईं महंगी, जानिये कितने बढ़े दाम

Share now

नई दिल्ली, एजेंसी
पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी के साथ अब दालें भी महंगी हो गई हैं. दालों की कीमतों में पांच सौ रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अभी इसमें और बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है.
दाल कारोबारी बताते हैं कि घरेलू उत्पादन बीते दो साल में खपत के मुकाबले कम रहा है, जबकि आयात के जो कोटे तय किए गए हैं। उसके लिए भी लाइसेंस जारी करने में देर होने की वजह से कीमतों में वृद्धि हुई है। कारोबारी व दलहन बाजार विशेषज्ञ चालू खरीफ सीजन की दलहन फसलों पर मौसम की मार से फसल खराब होने की भी आशंका जता रहे हैं।

बीते महीने एक जुलाई को देश के प्रमुख दलहन बाजारों में उड़द के दाम में 500 रुपये प्रतिक्विंटल का इजाफा हुआ है, जबकि तुअर के दाम में करीब 600 रुपये प्रतिक्विंटल की वृद्धि हुई है। वहीं, मूंग के भाव में 800 रुपये प्रतिक्विंटल की बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ-साथ चना के भाव में भी बीते सप्ताह तक 500 रुपये प्रतिक्विंटल का उछाल आया।

ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के प्रेसीडेंट सुरेश अग्रवाल ने बताया कि तुअर और मूंग के आयात के लाइसेंस के लिए करीब 3,000 आवेदन किए गए हैं, लेकिन सरकार ने अब तक लाइसेंस जारी नहीं किए हैं। उन्होंने कहा कि देश में मांग के मुकाबले दाल की आपूर्ति कम है, इसलिए विदेशों से समय पर आयात नहीं होने से त्योहारी सीजन में दालों की कीमतों में और इजाफा हो सकता है।

देश की प्रमुख दलहन मंडियों में बर्मा से आयातित एफएक्यू उड़द का भाव बीते महीने एक जुलाई को जहां 5,700 रुपये प्रतिक्विंटल था, वहीं अब 6,200 रुपये प्रतिक्विंटल हो गया है। इसी प्रकार, तुअर का भाव 4,700 रुपये से बढ़कर 5,300 रुपये प्रतिक्विंटल हो गया है। मूंग का दाम 5,500 रुपये से बढ़कर 6,300 रुपये प्रतिक्विंटल हो गया है। चने का भाव बीते सप्ताह 4,800 रुपये प्रतिक्विंटल हो गया था, जो एक जुलाई को 4,300 रुपये प्रतिक्विंटल था।

अगर प्रसंस्कृत दाल की बात करें तो तुअर दाल खुदरा बाजार में 100-120 रुपये प्रतिकिलो, उड़द दाल 120-130 रुपये प्रतिकिलो, मूंग दाल 130 रुपये किलो मिल रही है। दलहनों के दाम में बीते एक महीने में तेजी आने के बाद आने वाले दिनों में दालों के दाम में और इजाफा होने की संभावना बनी हुई है।

देश-विदेश के दलहन बाजार पर पैनी निगाह रखने वाले मुंबई के अमित शुक्ला ने बताया कि खपत के मुकाबले घरेलू आपूर्ति कम होने से कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है। उन्होंने कहा कि देश में दलहनों की सालाना खपत तकरीबन 240 लाख टन है, जबकि बीते दो फसल फसल वर्षो के दौरान घरेलू उत्पादन कम रहा है। वहीं, सब्जियां जब महंगी हो जाती ह तो उपभोक्ता सब्जी के बदले दाल का उपभोग ज्यादा करते हैं। यह भी एक वजह है कि दालों के दाम में इजाफा हो रहा है।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) में सभी दलहन फसलों का कुल उत्पादन 230.01 लाख टन था, जबकि इससे पहले 218-19 में 220.8 लाख टन। बता दें कि फसल वर्ष 2017-18 में भारत में दलहनों का रिकॉर्ड 254.42 लाख टन उत्पादन हुआ था।

सुरेश अग्रवाल ने बताया कि किसान सूत्रों से जो खबर मिल रही है उसके अनुसार, प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों में जुलाई के दौरान बारिश की कमी के चलते फसल का विकास कम हुआ जबकि अगस्त में भारी बारिश के चलते कई इलाकों में बाढ़ के हालात पैदा हो गए, जिससे चालू सीजन में पैदावार पर भी असर पड़ सकता है।

चालू खरीफ बुआई सीजन में देशभर में दलहनों की बुवाई में किसानों ने खूब दिलचस्पी दिखाई है। बीते सप्ताह तक देशभर में 134.57 लाख हेक्टेयर में दलहनों की बुवाई हो चुकी थी, जबकि पिछले साल की समान अवधि से 5.91 लाख हेक्टेयर अधिक है।

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *