पंजाब

धीरे-धीरे भाजपा में किनारे लगाए जा रहे हैं अविनाश राय खन्ना, अब राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले गए बाहर, केडी भंडारी की भी बढ़ सकती हैं मुश्किलें, पढ़ें कैसे?

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
सियासत की उठापटक कब किसको चारों खाने चित कर दे यह कोई नहीं जानता. खासतौर पर भारतीय जनता पार्टी में जिस तरह फैसले लिए जा रहे हैं उसने पुराने नेताओं की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ताजा मामला पंजाब में बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शुमार अविनाश राय खन्ना का है. खन्ना के बुरे दिन तो पहले ही शुरू हो चुके थे जब पार्टी ने उन्हें पंजाब भाजपा अध्यक्ष नहीं बनाया था. इसके बाद खन्ना की उस वक्त और ज्यादा फजीहत हुई जब विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें राजस्थान जैसे बड़े राज्य का प्रभारी बनाने के बाद उन्हें कपूरथला नगर निगम चुनाव के लिए प्रभारी बना दिया गया. अब तक तो फिर भी सब ठीक था लेकिन जिस दिन से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की है उस दिन से यह स्पष्ट हो गया है कि अब भाजपा अविनाश राय खन्ना को ज्यादा दिन ढोने वाली नहीं है. नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा के बाद यह भी साफ हो गया है कि पंजाब भाजपा में अब खन्ना का सिक्का नहीं चलने वाला. हिमाचली गुट यहां हावी नजर आ रहा है. साथ ही जालंधर की सियासत में भी बड़ा उलटफेर हो सकता है. खास तौर पर जालंधर नॉर्थ विधानसभा सीट पर. यहां अविनाश राय खन्ना के चहेते पूर्व विधायक केडी भंडारी तीन बार से लगातार चुनाव लड़ते आ रहे हैं. अंतिम चुनावों में उन्हें बावा हैनरी से मुंह की खानी पड़ी थी. भंडारी की नाकामियों की वजह से ही जनता ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था. अब जबकि उनके सरपरस्त कहे जाने वाले अविनाश राय खन्ना का सियासी वजूद ही खतरे में है तो भंडारी की मुश्किलें आप ही बढ़नी तय हैं.

Kd bhandari

इस बार वैसे भी भंडारी विरोधी गुट प्रदेश और जालंधर की सियासत में हावी हो चुका है. राकेश राठौर से लेकर मनोरंजन कालिया के चहेते रवि महेंद्रू तक हावी होते जा रहे हैं. भाजपा जिला अध्यक्ष का पद भी दो बार से लगातार भंडारी विरोधी खेमे के पास ही जा रहा है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बार नॉर्थ विधानसभा सीट से भंडारी का पत्ता साफ हो सकता है. पार्टी इस बार किसी नए चेहरे को मैदान में उतारने की तैयारी कर चुकी है. इसके कई कारण हैं जिनका खुलासा हम आगे की खबरों में करेंगे. लेकिन सबसे बड़ा कारण अविनाश राय खन्ना का भाजपा में घटता कद है. खन्ना अब तक पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे लेकिन अब वह पद भी उनसे छीन लिया गया है. पंजाब में मुख्यमंत्री के चेहरे पर भी कई दावेदार हैं. पार्टी सूत्रों की मानें तो खन्ना को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने में पार्टी की कोई दिलचस्पी नहीं है. खन्ना की फजीहत के साथ पार्टी में जो बदलाव हो रहे हैं वह इसीलिए किए जा रहे हैं कि पुराने नेताओं और उनके करीबियों की वजह से जो नुकसान उठाना पड़ रहा है वो आगे न उठाना पड़े. यही वह है कि खन्ना के साथ ही केडी भंडारी जैसे खन्ना के करीबियों के भी पर कतरने की तैयारी चल रही है. अगली किस्त में पढ़िये- केडी भंडारी से किस तरह और क्यों किनारा कर रही है भाजपा.

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