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विधवा को बच्चों के साथ खुदकुशी पर मजबूर कर रहे ढकिया चौकी इंचार्ज और शहाबाद थाना प्रभारी, ऑडियो में कैद हुई पुलिस की कारगुज़ारी, नाकाम साबित हो रहे एसपी गौतम 

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शहाबाद : रामपुर पुलिस के कुछ गैर जिम्मेदार अधिकारियों ने कानून को अपने हाथों की कठपुतली बना दिया है. अब ये अधिकारी अपने इशारों पर कानून को नचा रहे हैं. इन पुलिस अधिकारियों की इस मनमानी ने एक विधवा को खुदकुशी करने पर मजबूर कर दिया है. अब पीड़ित विधवा बच्चों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय के बाहर बच्चों आत्मदाह करने की तैयारी कर रही है. मामला रामपुर जिले के शहाबाद थाना इलाके का है. शहाबादा थाना क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाली ढकिया चौकी के तहत पड़ते गांव रुस्तम नगर के नन्हे खां का निकाह करीब सात साल पहले बरेली की शहाना के साथ हुआ था. लगभग पांच माह पूर्व संदिग्ध परिस्थितियों में नन्हे खां की जहर खाने से मौत हो गई. नन्हे की मौत के बाद शहाना को पता चला कि उसके जेठ ने उसकी 14 बीघा जमीन का भी फर्जी बैनामा करा लिया है. शहाना ने अपने जेठ इस्लाम खां उर्फ कल्लू के खिलाफ हत्या और धोखाधड़ी कर जमीन हड़पने की तहरीर दी थी लेकिन ढकिया चौकी इंचार्ज श्रीपाल सिंंह और शहाबाद थाना प्रभारी ने कथित तौर पर आरोपी से साठगांठ कर मामले को दबा दिया. आरोप है कि उक्त अधिकारियों ने रिश्वत के तौर पर लाखों रुपये आरोपी पक्ष से लिए हैं. इसका पता जब पीड़िता को चला तो उसने पुलिस क्षेत्राधिकारी से लेकर एसपी रामपुर शगुन गौतम तक इंसाफ की गुहार लगाई लेकिन एसपी ने भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया. नतीजतन अपराधियों और भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के हौसले और बुलंद हो गए. शहाना के समक्ष अब रोटी का संकट गहराने लगा था. इस पर उसने बरेली में अपर महानिदेशक अविनाश चंद्र से गुहार लगाई. अविनाश चंद्र ने मामले की निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए लेकिन रामपुर पुलिस उन आदेशों को भी दबा गई. इसके बाद शहाना ने मीडियाकर्मियों को आपबीती बताई तो एक दैनिक अखबार ने शहाना के दर्द को प्रमुखता से प्रकाशित किया. इसके बाद भ्रष्ट पुलिसकर्मियों में हड़कंप मच गया. लगभग चार माह बाद शहाबाद थाना प्रभारी शिवचरन सिंह ने दोनों पक्षों को थाने बुलाया और ढकिया चौकी इंचार्ज को भी तलब किया. थाने में पत्रकार की मौजूदगी में वार्ता हुई. जिसमें चौकी इंचार्ज ने कहा कि उन्होंने हत्या समेत धोखे से जमीन हड़पने के मामले की भी जांच की है जिसमें हत्या की बात तो सिद्ध नहीं होती लेकिन फर्जी बैनामा कर जमीन हड़पने की बात सौ फीसदी साबित होती है. इस पर इंस्पेक्टर ने आरोपी द्वारा फर्जीवाड़े करने की बात स्वीकार करते हुए पीड़िता को कोर्ट की शरण में जाकर आरोपी कल्लू के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाने की सलाह दे डाली. जब इंस्पेक्टर से पूछा गया कि आपने खुद धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज क्यों नहीं की तो शिवचरण सिंह का कहना था कि 420 की रिपोर्ट अधिकारियों के आदेश पर दर्ज होती है, कुछ पलों में ही उनका बयान फिर बदल गया और कहने लगे कि इसमें जांच लंबी चलेगी और हम मुकदमा दर्ज नहीं कर पाएंगे. कोर्ट जब आदेश करेगा तब मुकदमा दर्ज करेंगे. जब उनसे कहा गया कि मुकदमा दर्ज करने का पूरा अधिकार आपके पास है और आप ही की जांच में धोखाधड़ी की बात पुष्ट भी हुई है तो मुकदमा आप दर्ज क्यों नहीं कर रहे. इस पर वह कहने लगे कि धोखाधड़ी की कोई तहरीर ही उन्हें नहीं मिली है. जब उन्हें याद दिलाया गया कि तहरीर में स्पष्ट रूप से धोखाधड़ी कर जमीन हड़पने की बात लिखी गई है तो वह बोले ठीक है देखते हैं. इंस्पेक्टर की यह सारी बातचीत का ऑडियो इंडिया टाइम 24 के पास मौजूद है. जिसमें इंस्पेक्टर शिवचरन सिंह आरोपी के फर्जीवाड़े की बात कबूल कर रहे हैं और कोर्ट में जाने की सलाह भी दे रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि आखिर पुलिस आरोपी को बचाने में क्यों लगी है. क्या पुलिस ने आरोपी के साथ विधवा की जिंदगी का सौदा कर लिया है? क्या ढकिया चौकी इंचार्ज और शहाबाद थाना प्रभारी शिवचरन सिंह शहाना की मौत का इंतजार कर रहे हैं? या फिर ये दोनों पुलिसकर्मी एक सोची समझी साजिश के तहत योगी सरकार को बदनाम करना चाहते हैं. पहले से ही कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार विपक्ष के निशाने पर है. अब ये पुलिसकर्मी विपक्ष को एक और मौका दे रहे हैं. बात सिर्फ यहीं पर खत्म नहीं होती. थाने में इंस्पेक्टर और चौकी इंचार्ज ने मौखिक रूप से शहाना को छह माह तक जमीन जोतने को कहा और छह माह के अंदर फर्जी बैनामा कैंसिल करा लेने को भी कहा लेकिन आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को तैयार नहीं हुए.
इसके बाद शहाना इस तसल्ली पर घर चली गई कि छह माह तक तो उसके बच्चों की रोजी रोटी पर कोई संकट नहीं है लेकिन एक दिन बाद ही आरोपी के हौसले इतने बुलंद हो गए कि वह उन्हीं खेतों को जोतने की तैयारी करने लगा जिन्हें जोतने का अधिकार पुलिस ने छह माह तक शहाना को दिया था. इस पर शहाना जब मदद मांगने ढकिया चौकी इंचार्ज के पास पहुंची तो आरोप है कि चौकी इंचार्ज ने उसकी एक न सुनी और शहाना को चौकी से भगा दिया. पुुलिस के इस रवैये से स्पष्ट है कि रामपुर पुलिस आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है. एसपी शगुन गौतम इस पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे हैं. वहीं शहाना का कहना है कि मेरे पास अब आत्महत्या करने के सिवाय कोई चारा नहीं बचा है. अगर आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया तो मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय के बाहर बच्चों सहित आत्मदाह कर लूंगी.
बता दें कि पहले भी पुलिस की कार्यशैली के चलते कुछ महिलाओं ने मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर आत्मदाह कर लिया था. शायद शहाना के आत्मदाह के बाद पुलिस जाग जाये.

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