मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़

पुलिस की नौकरी में कितनी मुश्किलें झेलती हैं महिलाएं, सब इंस्पेक्टर शैलजा सिंह ने बयां किया दर्द

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आज तोमर जी,सिकरवार जी,भदौरिया जी,कुशवाह जी और मिश्रा जी के करीबियों पर कुछ लिखने का बहुत मन कर रहा है जो पिछले चार सालों में मुझे अपनी पुलिस की नौकरी में वाहन चैकिंग,night petrolling और थाने में किसी प्रकरण की विवेचना के दौरान देखने को मिला है…लेकिन नींद बहुत तेज अा गई है,एंटी बायोटिक tablate azithromycin और anti allergic tablate allegra-M खाने के बाद…मुझे ये समझ में नहीं अा रहा है कि लिखूँ या नहीं…बताओ लिख दूँ ,
बहुत कठिन है पुलिस की नौकरी क्योंकि यहाँ ईमानदार बने रहना बहुत बड़ा गुनाह है अगर आपको चापलूसी करना आता है तो अच्छी बात है अगर आप पुरूष हैं तो ऐसे माहौल में समय के साथ खुद को ढालने में कोई बुराई नहीं हैं क्योंकि हर किसी के पीछे उसका परिवार और अन्य ज़िम्मेदारियाँ हैं और समय की माँग भी तो यही है लेकिन यदि आप एक महिला हैं और साथ में किसी की बहिन और बेटी भी हैं तो किसी की चापलूसी करना दुनियाँ का सबसे कठिन काम है क्योंकि तब नौकरी की ज़िम्मेदारी के साथ-साथ आपको एक बहिन और बेटी का भी फर्ज निभाना है और उसकी गरिमा बनाये रखना है.
कोई टुट्टू-पुच्चु सा इंसान भी जिसने कभी कोई exam qualify न किया हो वह भी कभी भी किसी भी समय call करे और बोले कि हम उनके office से बोल रहें हैं या फिर उनका कार्यकर्ता बोल रहा हूं और फलाना व्यक्ति मेरा रिस्तेदार है भले ही वह धारा 302 का आरोपी ही क्यों न हो उसे देख लेना.
लोग एक महिला अधिकारी से भी पुरूष अधिकारी जैसा व्यवहार करते हैं. लोग कैसे भूल जाते हैं कि अपनी बहन के पास रात को कॉल आये तो खून खौलता है और दूसरों की बहनों के लिए वक़्त और गरिमा का कोई ख्याल ही नहीं रहता. लोग महिला पुलिस अधिकारी को सुपरमैन समझते हैं, अरे ! हमारे भी मां -बाप और भाई होते हैं. जैसे आपको अपनी बहन, बेटी की फिक्र होती है, वैसे ही हमारे भी घरवालों को हमारी फिक्र होती है जो आप फोन पर ही सब कुछ जानना चाहते हो. आप इज्जत के साथ थाने पर आकर भी वही ज़ानकारी प्राप्त कर सकते हो जिससे आपका भी काम हो जाये और सामने वाले की भी गरिमा बनी रहे. वाहन चेकिंग के दौरान रोज transffer करवाने की धमकी, night petrolling में अवैध tractor और truck छुड़वाने की धमकी.
इधर, विभाग का दबाव कि आपके क्षेत्र में शराब, जुआ, गांजा और स्मैक चल रहा है और उधर दूसरा दबाव कि ये मेरे रिस्तेदार हैं देख लो. फिर 107/16 की कार्रवाई. कोई व्यक्ति भले ही सुधर कर अपने परिवार के साथ मेहनत मजदूरी करके सुकून से 2 रोटी खा रहा हो. फिर भी कहो पिछले 10 साल से उसी को हर 6 महीने के बाद रगड़ा जा रहा है.
इन्हीं सब चीजों से तंग आकर मैंने general थाने से महिला थाने में transffer कराया. नहीं तो रोज स्पष्टीकरण कि आपके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. मुझे झूठ बोलकर किसी बेकसूर पर कार्रवाई करना नहीं आता, कहां से कर दूँ arms act की कार्रवाई. जब मुझे कभी चक्कू, छुरी और अन्य हथियार मिले ही नहीं. मुझे नहीं चाहिए ऐसी झूठी शान, नहीं चाहिए ऐसा झूठा रूतबा कि रातों की नींद और दिन का सुकून चला जाये.
किसी व्यक्ति पर झूठी कार्रवाई करने वाला रात को सोते वक़्त एक बार तो जरूर सोचता होगा कि आज मैंने एक बेकसूर को गलत फँसाया है. इसकी सजा मुझे एक दिन जरूर मिलेगी.

अंत में तोमर जी, सिकरवार जी, भदौरिया जी, कुशवाह जी, मिश्रा जी और उनके करीबियों से मैं यही निवेदन करना चाहती हूं कि किसी भी महिला अधिकारी से फोन पर बात न करते हुये थाने पर ही आकर अपनी समस्या का समाधान करवायें क्योंकि पुरूषों और महिलाओं की परवरिश में थोड़ा अंतर रखा जाता है, इस कारण महिलाओं को चापलूसी करने के अलावा सब कुछ आता है.
आपको जो करना है करो लेकिन महिलाओं की गरिमा बनाये रखो उन पर अनावश्यक दबाव बनाने से खुद को दूर रखें आपकी अति कृपा होगी.

(साभार : ग्वालियर पुलिस की सब इंस्पेक्टर शैलजा सिंह की फेसबुक वॉल से)

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