यूपी

साहित्यकार ‘कुमुद’ जी की पुण्यतिथि पर कवियों को किया सम्मानित

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नीरज सिसौदिया, बरेली

कवि गोष्ठी आयोजन समिति एवं साहित्यकार ज्ञान स्वरूप ‘कुमुद’ स्मृति- सम्मान समिति के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय कुमुद निवास कुंवरपुर में सामाजिक दूरी के निर्वहन के साथ ‘कुमुद’ जी की 6वीं पुण्यतिथि साहित्य चेतना दिवस के रूप में मनाई गई । जिसकी अध्यक्षता साहित्यकार श्री रणधीर प्रसाद गौड़ ‘धीर’ ने की ।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे व ‘कुमुद’ जी के चित्र पर माल्यार्पण कर हुआ मां शारदे की वंदना डॉ राम शंकर शर्मा प्रेमी ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन कवि श्री जगदीश निमिष ने किया।
इस अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार डॉ महेश मधुकर को कुमुद साहित्य शिरोमणि सम्मान- 2020 एवं प्रख्यात गीतकार डॉ शिव शंकर यजुर्वेदी को कुमुद गीत महारथी सम्मान -2020 से उनकी उत्कृष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए प्रदान किया गया। सम्मान स्वरूप उत्तरीय, प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह संस्थापक/सचिव श्री उपमेन्द्र सक्सेना एडवोकेट ने प्रदान किया ।
अध्यक्ष पद से संबोधित करते हुए साहित्यकार श्री रणधीर प्रसाद गौड़ धीर ने कहा कि साहित्य सृजन एक कला है जिसको उचित प्रोत्साहन दिया जाना अपेक्षित है। साहित्य समाज का दर्पण है जिसके स्तर से ही समाज के स्तर एवं अभिरूचि का ज्ञान होता है। साहित्य की अभिवृद्धि समाज की अपरिहार्य आवश्यकता है इस दिशा में ‘कुमुद’ जी द्वारा जो कार्य किया गया वह सराहनीय है। उन्होंने साहित्यकारों एवं कवियों का आव्हान कर कहा कि वे परस्पर अहम् को त्याग कर समाज एवं राष्ट्र के उत्थान में सहयोग की भावना से उच्च स्तरीय साहित्य का सृजन करें।
प्रख्यात साहित्यकार डॉ महेश मधुकर जी ने अपनी काव्यांजलि इस प्रकार दी
आज के ही दिन धरा पर, अवतरे थे कुमुद जी
जगत में रहते हुए, जग से परे थे कुमुद जी
संस्था- संस्थापक उपमेन्द्र सक्सेना एडवोकेट ने कहा कि आज समाज में अपनत्व का अभाव है। केवल भौतिकवाद को ही महत्त्व दिया जा रहा है ऐसी परिस्थिति में साहित्यकार का यह दायित्व है कि वह अपने साहित्य के माध्यम से समाज में मानवीय भावना जागृत करे।
उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने स्वार्थ को अपना हित मानता है और दूसरों के हितों पर हमला करता है। यह भावना ही समाज को पतन की ओर ले जा रही है। इसे रोकने हेतु साहित्यकार अपने साहित्य के माध्यम से चेतना बिखेर सकता है ।
प्रख्यात गीतकार डॉ शिव शंकर यजुर्वेदी ने वर्तमान समाज में साहित्यिक अभिरूचि की ओर जन सामान्य की उदासीनता एवं साहित्य में गिरते स्तर पर विशेष चिंता व्यक्त करते हुए साहित्यिक अभिचेतना जागृत करने के लिए प्रबुद्ध साहित्यकार एवं कवियों को अपने कर्तव्य निर्वाह के लिए आव्हान किया।
वरिष्ठ कवि डॉ राम शंकर शर्मा प्रेमी ने कहा ने कहा कि ‘कुमुद’ जी अच्छे साहित्यकार के साथ ही एक अच्छे इंसान भी थे। वह अपने उत्कृष्ट साहित्य से सदैव स्मरणीय रहेंगे। उन्होंने स्वच्छ आत्मबल का प्रदर्शन करते हुए जनमानस की आकांक्षाओं को अपने शब्दों में ढाला अत: जागरूक लेखकों के लिए भी अनुकरणीय हैं।
समाजसेवी नरेंद्र कुमार आर्य ने ‘कुमुद’ जी को संवेदना, क्षमता एवं दृष्टि का एक सुंदर समन्वित व्यक्तित्व बतलाते हुए कहा कि उन्होंने निर्धनता में रहकर भी सदैव मानवीय मूल्यों को अपनाया और उनके लिए संघर्ष किया।
रजत कुमार ने ने ‘कुमुद’ जी को एक प्रतिभाशाली, मर्मज्ञ तथा मधुर स्वभाव का धनी बताते हुए कहा कि उन्होंने अपनी लेखनी से ऐसे साहित्य का निर्माण किया जो युग- युग तक मानवीय मूल्यों की स्थापना का आधार स्तंभ रहेगा।
इस अवसर पर सर्वश्री सरोज कुमार भांजा, प्रकाश बाबू ,सुलीला रानी सक्सेना, उत्पल स्वरूप ,पूनम सक्सेना, प्रीती सक्सेना, शंकर स्वरूप, रतन सिंह, अनुज सक्सेना व संजय सक्सेना आदि कवि व समाजसेवी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में संस्थापक/ सचिव उपमेन्द्र सक्सेना एड. ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

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