नीरज सिसौदिया, बरेली
नगर निगम की जमीन पर अवैध कब्जे के आरोपों में मेयर उमेश गौतम चौतरफा घिरते नजर आ रहे हैं. विधानसभा चुनाव से पहले जहां समूचा विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने में जुट गया है वहीं पार्टी की छवि बचाने के लिए सत्ता पक्ष के नेता भी उच्च स्तरीय जांच कराने की बात कह रहे हैं.
दरअसल, सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे के मामलों को लेकर योगी सरकार सख्त हो गई है. यही वजह है कि सपा के दिग्गजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है. आजम खां और मुख्तार अंसारी जैसे नेताओं को भी नहीं बख्शा गया है. इसी बीच मेयर उमेश गौतम की इनवर्टिस यूनिवर्सिटी पर निगम की जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप एक बार फिर लगने लगे हैं. पिछले दिनों शासन स्तर से इस मामले की रिपोर्ट मंडलायुक्त रणवीर प्रसाद से तलब की गई. मंडलायुक्त ने नगर आयुक्त को मामले की जांच कर आख्या प्रस्तुत करने को कहा. नगर आयुक्त ने जो आख्या भेजी उसमें निगम की जमीन पर अवैध कब्जे की बात कही गई है. इसके बाद मेयर चौतरफा घिरते नजर आ रहे हैं. वहीं जनता के बीच पार्टी की छवि भी खराब हो रही है. इतना ही नहीं पूर्व नगर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव की भी गर्दन फंसती नजर आ रही है.
इस संबंध में पूर्व मेयर और कांग्रेस नेत्री सुप्रिया एरन का कहना है कि प्रदेश में सरकारें ही भ्रष्ट आ रही हैं. सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे सपा सरकार में भी हुए और भाजपा सरकार में भी हो रहे हैं. यह तो डेवलपमेंट अथॉरिटीज और नगर निगम को देखना चाहिए. अगर कहीं अवैध कब्जे हैं तो उन्हें हटाया जाना चाहिए.
सरकारें ही भूमाफिया को संरक्षण देती रही हैं.
वहीं समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी ने कहा कि उमेश गौतम एक तरफ तो अतिक्रमण हटाने के नाम पर गरीबों को उजाड़ रहे हैं. उनकी रोजी रोटी का जरिया भी खत्म कर रहे हैं और दूसरी तरफ खुद सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर रहे हैं. खुद अवैध कब्जा करने के साथ ही वह शहर भर में भूमाफियाओं के साथ मिलकर उन्हें सरकारी जमीनों पर कब्जा भी करवा रहे हैं.
हाल ही में एक वर्चुअल लाइव में कई विधायक थे तो मैंने कहा था कि डेलापीर के एक तालाब पर कब्जा हुआ जबकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है. हमारे मुल्क का संविधान है कि अगर संवैधानिक पद पर कोई व्यक्ति बैठा है और वह किसी सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा करता है तो वह पद पर नहीं रह सकता. उसे बर्खास्त किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब आजम खां नगर विकास मंत्री थे तो यह मामला काफी सुर्खियों में आया था और मेयर ने खुद भी स्वीकार किया था कि उन्होंने जमीन पर अवैध कब्जा किया है. अब अगर नगर आयुक्त ने इस पर संज्ञान लिया है और उस पर रिपोर्ट भेजी है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए. कानून सबके लिए बराबर है. मेयर शहर का प्रथम नागरिक होता है. उमेश गौतम को इस पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है.
वहीं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष और पूर्व डिप्टी मेयर डा. मोहम्मद खालिद ने कहा कि योगी सरकार अगर भूमाफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने का दावा करती है तो उसे सबके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
जिस तरह से आजम खां और मुख्तार अंसारी के खिलाफ कार्रवाई हुई है, उसी तरह अगर उमेश गौतम दोषी हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए.
वहीं, भाजपा महानगर अध्यक्ष केएम अरोड़ा ने कहा, ‘मेयर से मेरी इस संबंध में बात हुई है, जमीन पर कब्जा करने वाली कोई बात नहीं है. यह सिर्फ आरोप लगाए जा रहे हैं. इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. जांच के बाद सब साफ हो जाएगा. ‘ जब उनसे पूछा गया कि क्या पार्टी स्तर पर ऐसी कोई जांच की जाएगी तो उन्होंने कहा कि हमारे पास अभी ऐसा कोई आदेश नहीं आया है. अगर प्रदेश स्तर से कोई आदेश आएगा तो मामले की जांच की जाएगी. वहीं, मेयर उमेश गौतम ने कहा कि नगर आयुक्त ने झूठी रिपोर्ट बनाकर भेजी है. मैंने नगर निगम की जमीन पर कोई कब्जा नहीं किया है. उन्होंने 2019 में की गई एक जांच का हवाला देते हुए कहा कि निगम ने इनवर्टिस यूनिवर्सिटी की जमीन पर अवैध कब्जा किया है न कि इनवर्टिस विवि ने. उन्होंने कहा कि मैंने स्मार्ट सिटी में हो रहे घोटाले उजागर किए हैं इसलिए नगर आयुक्त और मंडलायुक्त मिलकर इस तरह से मुझ पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं.
बहरहाल, इस मामले में पार्टी और शासन का क्या रुख रहेगा यह देखना दिलचस्प होगा.