जो हराता है अंधकार को
वही फिर सूरज बनता है।
अपने अच्छे कर्मों से पूजी
जाये वो मूरत बनता है।।
परिश्रम जिनकी आदत हो
सफलता बनती है तकदीर।
हर व्यक्ति की चाहत फिर
वह ऐसी सूरत बनता है।।
कठनाई इक रुई थैले जैसी
भारी मजलूम होती है।
अगर उठा कर देखो तो
फिर हल्की मालूम होती है।।
हर समस्या का समाधान
चाहे आसान या मुश्किल।
करो सामना तो चुनौती
फिर नामालूम होती है।।
अपनों का साथ सदा रखो
कि सुख बढ़ता जाता है।
है समय दुःख का तो भी
वह बँटता जाता है।।
साथऔर सहयोग तो प्राण
ऊर्जा समान हैं जीवन में।
हर दर्द और पीड़ा का फिर
अहसास घटता जाता है।।
ना मानो तो फिर जिंदगी में
उम्र कुछ मायने नहीं रखती।
जज्बा हो तो फिर जिन्दगी
क्या कुछ नहीं कर सकती।।
उम्र बस एक गिनती है और
इससे ज्यादा कुछ भी नहीं।
हाँ टूट गया विश्वास जिंदगी
उस रफ्तार से नहीं चलती।।
-एस के कपूर “श्री हंस”