नीरज सिसौदिया, बरेली
मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जहां पूर्व मंत्री आजम खां, मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे नेताओं की अवैध संपत्तियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई कर भाजपा सरकार को भूमाफिया विरोधी साबित करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं वहीं, खुद भाजपा के मेयर उमेश गौतम सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा करने में लगेे हैं. दिलचस्प बात तो यह है कि मेयर नगर निगम की जमीन से अवैध कब्जे हटवाने की जगह खुद ही निगम की जमीन पर अवैध कब्जा करके बैठे हुए हैं. हैरानी की बात तो यह है कि किसान सम्मेलन के दिन जब योगी आदित्यनाथ बरेली के मंच से भूमाफियाओं के खिलाफ आग उगल रहे थे तो वहीं उनके साथ बरेली नगर निगम के मेयर की मौजूदगी योगी के भाषण का मजाक उड़ा रही थी. योगी को तो शायद यह पता भी नहीं था कि जिस शख्स से वह इतनी शालीनता से मिल रहे हैं वह खुद सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा जमाए बैठा है. यह हम नहीं कह रहे बल्कि खुद योगी सरकार के अधिकारी की जांच रिपोर्ट कह रही है. जी हां. दरअसल सरकारी संपत्तियों पर अवैध कब्जे को लेकर योगी सरकार ने कड़ा रुख इख्तियार किया है. बरेली के मेयर उमेश गौतम द्वारा नगर निगम की जमीन पर अवैध कब्जे का मामला जब सरकार के दरबार में पहुंचा तो शासन की ओर से एक पत्र भेजकर बरेली के मंडलायुक्त से जांच आख्या देने को कहा गया. मंडलायुक्त रणवीर प्रसाद ने बीते दो नवंबर को बरेली नगर निगम के आयुक्त अभिषेक आनंद को एक पत्र भेजकर चार बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी-
1- नगर निगम बरेली और इनवर्टिस यूनिवर्सिटी के बीच हुए एग्रीमेंट की अनुमति कहां से ली गई और उसका क्या उद्देश्य है?
2- वर्तमान में इनवर्टिस यूनिवर्सिटी का नगर निगम के स्वामित्व वाली जमीन पर कोई अतिक्रमण है अथवा नहीं? इसके संबंध में टीएसएस के माध्यम से से पैमाइश करवाकर सुस्पष्ट आख्या प्रस्तुत की जाए.
3- बरेली नगर निगम और इनवर्टिस यूनिवर्सिटी के मध्य लंबित पुराने विवादों में पूर्व नगर आयुक्त द्वारा प्रभावी पैरवी की गई थी या नहीं.
4- नगर निगम बरेली द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट हेतु ग्राम बहगुलपुर, फरीदपुप में क्रय की गई भूमि के विक्रय मूल्य का भुगतान उमेश गौतम कुलाधिपति इनवर्टिस यूनिवर्सिटी ने क्यों किया? तथा इसका उद्देश्य क्या है?
उक्त पहलुओं पर जांच के बाद नगर आयुक्त ने जो रिपोर्ट मंडलायुक्त को भेजी वह बेहद चौंकाने वाली है. जांच रिपोर्ट में बिंदुवार जवाब दे हुए कहा गया है कि राजस्व ग्राम बहगुल पुर में खरीदी गई 4.359 हेक्टेयर भूमि से संबंधित कोई पत्रावली निगम में मौजूद नहीं है इसलिए इनवर्टिस यूनिवर्सिटी और नगर निगम बरेली के बीच हुए एग्रीमेंट की आख्या देना संभव नहीं है. वहीं दूसरे बिंदु पर रिपोर्ट देते हुए नगर आयुक्त ने लिखा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सितंबर 2005 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने जो जांच की थी उसमें इनवर्टिस यूनिवर्सिटी द्वारा नगर निगम की .590 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा पाया गया था. वहीं 2007 की एक रिपोर्ट के अनुसार .482 हेक्टेयर जमीन रजऊ परसपुर प्लांट में कम पाई गई है जिस पर इनवर्टिस यूनिवर्सिटी की बाउंड्रीवॉल बनी हुई है.
नगर आयुक्त की रिपोर्ट में वर्ष 2013 में बरेली नगर निगम के आयुक्त रहे राजेश कुमार श्रीवास्तव की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान उठाए गए हैं. कहा गया है कि इनवर्टिस प्रकरण में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ यूनिवर्सिटी ने सुप्रीम कोर्ट में जो रिट डाली थी उसके खिलाफ राजेश श्रीवास्तव ने सही तरीके से पैरवी नहीं की और सुप्रीम कोर्ट में रिट वापस लेने की एप्लिकेशन डाल दी. इतना ही नहीं रिट वापस लेने के लिए उन्होंने सक्षम अधिकारी से अनुमति भी नहीं ली जिस कारण सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. वहीं इस जमीन के मामले में सत्यवीर सिंह और मुनीश शर्मा ने पीआईएल दायर की हुई है. नगर आयुक्त की रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि मेयर उमेश गौतम ने निगम यूनिवर्सिटी की आड़ में निगम की जमीन पर ही अवैध कब्जा किया हुआ है और नगर निगम के अधिकारी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे.
वहीं इस विवादित जमीन के संबंध में पूर्व पार्षद मुनीष कुमार औरइसके राजेश तिवारी बताते हैं कि वर्ष 1999 में मेयर उमेश गौतम ने इनवर्टिस यूनिवर्सिटी की शुरूआत की थी. उस समय शाहजहांपुर रोड पर ग्राम बहगुलपुर तहसील फरीदपुर में नगर निगम की 110 बीघा जमीन पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट तैयार किया जाना था. तब डा. आईएस तोमर मेयर थे और उन्होंने प्लांट के लिए 110 बीघा जमीन पास कर दी थी. वर्ष 2006 में डा. तोमर की जगह सुप्रिया ऐरन मेयर बनीं तो उन्होंने यूनिवर्सिटी के अवैध कब्जे को ध्वस्त करवा दिया. बाद में फिर कब्जा कर लिया गया. वर्ष 2012 में तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां ने अवैध कब्जा गिराने के निर्देश दिए. इसके बाद किसी ने मेयर के कब्जे से सरकारी जमीन मुक्त कराने की जहमत नहीं उठाई. मुनीश ने कहा कि योगी सरकार को अपनी पार्टी के मेयर उमेश गौतम का काला कारनामा क्यों नजर नहीं आ रहा. अगर योगी जी वाकई भूमाफिया को खत्म करना चाहते हैं तो फिर उमेश गौतम के खिलाफ कार्रवाई करके मिसाल पेश करें. उन्होंने कहा कि हम इस मामले को न्यायालय तक लेकर गए हैं और न्यायालय ही इसमें न्याय करेगा.
इस संबंध में जब मेयर उमेश गौतम से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका. अगर वह अपना पक्ष देना चाहें तो हमें मोबाइल नंबर 7528022520 पर संपर्क कर सकते हैं. हम उनका पक्ष भी प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे.