नीरज सिसौदिया, बरेली
समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बरेली दौरा कई मायनों में अहम रहा. बिखरती हुई सपा को एकसूत्र में पिरोने के साथ ही छोटे दलों के साथ गठबंधन की घुड़की देकर अखिलेश ने यह जरूर समझाने का प्रयास किया कि अगर गुटबाजी बंद नहीं हुई तो उनके पास विकल्प की कोई कमी नहीं है. इस दौरान जहां कुछ पुराने नेता उपेक्षित नजर आए वहीं कुछ नए नेताओं के साथ अखिलेश यादव की नजदीकियां भी देखने को मिलीं. इनमें एक नाम था सपा के चिकित्सा प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष डा. अनीस बेग का और दूसरा पूर्व मेयर डा. आईएस तोमर का. शुक्रवार को डा. अनीस बेग को मंडलीय कार्यशाला में अखिलेश यादव द्वारा तरजीह देना यह संकेत दे गया कि डा. अनीस उनके दिल के करीब हैं. दूसरे दिन शुक्रवार को अखिलेश के मंच पर नजर आए पूूर्व विधायक सुल्तान बेग के छोटे भाई अनीस बेग पर अखिलेश खासे मेहरबान रहे. अनीस बेग के साथ अखिलेश के खड़े होने से अटकलें ये भी लगाई जा रही हैं कि कहीं अनीस बेग विधानसभा चुनाव में सपा के उम्मीदवार तो नहीं होने जा रहे क्योंकि सपा को डा. अनीस बेग जैसे साफ सुथरी छवि वाले बेदाग चेहरे की जरूरत भी है.
वहीं, डा. आईएस तोमर को मंच पर जगह मिलने के भी कई मायने लगाए जा रहे हैं. चूंकि तोमर पूर्व मेयर हैं और उन्हें पार्टी में शामिल कराने वाले वीरपाल सिंह यादव थे जो आज खुद सपा को छोड़कर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का दामन थाम चुके हैं, इसके बावजूद तोमर को अखिलेश के साथ मंच पर जगह मिलना यह संकेत देता है कि तोमर भी आगामी विधानसभा चुनाव में सपा से प्रत्याशी हो सकते हैं. अंदरखाते तोमर इसकी तैयारी भी कर रहे हैं. डा. अनीस बेग और तोमर के अलावा शहर और कैंट विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी करने वाले कलीमुद्दीन को भी अखिलेश द्वारा तरजीह देना चर्चा का विषय बना रहा जबकि कांग्रेस छोड़कर सपा में आए टिकट की दावेदारी करने वाले विष्णु शर्मा को अखिलेश ने कोई खास तवज्जो नहीं दी. विजयपाल सिंह पर जरूर अखिलेश मेहरबान दिखे. पहले दिन जहां अखिलेश ने मंडलीय कार्यशाला में न पहुंचकर पार्टी कार्यकर्ताओं को निराश किया वहीं, दूसरे दिन कार्यशाला का हिस्सा बनकर उनका हौसला भी बढ़ाया. अखिलेश यादव का यह दौरा कितना कारगर रहा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन कुछ नए चेहरों को तवज्जो देना पार्टी के ही कुछ नेताओं की आंखों की किरकिरी जरूर बन गया है.