नीरज सिसौदिया, बरेली
124 बरेली शहर विधानसभा सीट से भाजपा के प्रबल दावेदारों में अपनी जगह बना चुके पूर्व उपसभापति सिर्फ टिकट के लिए ही नहीं चुनाव लड़ने के लिए भी तैयारी तेज कर चुके हैं. विधानसभा सीट की सोशल इंजीनियरिंग से वह भली भांति वाकिफ हैं और यही वजह है कि खत्री पंजाबी समाज के साथ ही वह गैर खत्री पंजाबी समाज के कद्दावर नेताओं के साथ भी नजर आ रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि इसके लिए अतुल कपूर ने एक स्पेशल प्लान भी तैयार किया है और इस प्लान पर अमल भी शुरू कर दिया है.
दरअसल, बरेली शहर विधानसभा सीट पर गैर खत्री पंजाबी समाज की आबादी निर्णायक भूमिका में है. इनमें कायस्थ, वैश्य, ब्राह्मण सहित विभिन्न बिरादरी के लोग शामिल हैं. दलित और ओबीसी जातियों का वोट भी बड़ी तादाद में है. चुनाव लड़ना है तो इन जातियों का समर्थन भी आवश्यक हो जाता है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि गैर खत्री पंजाबी समाज का वोट भी अतुल कपूर को मिले. इसी जरूरत को देखते हुए पूर्व उपसभापति अतुल कपूर का फोकस गैर खत्री पंजाबी मतदाताओं पर पिछले लगभग ढाई-तीन वर्षों से रहा है.
सूत्र बताते हैं कि अब तक पर्दे के पीछे से गोटियां सेट करते आ रहे अतुल कपूर अब खुलकर गैर खत्री पंजाबी वोट साधने का प्लान तैयार कर चुके हैं और उस पर अमल भी शुरू कर दिया है. इसके तहत वह हर वर्ग जाति के कद्दावर नेताओं के साथ ही आम जनता से भी मिल रहे हैं. हाल ही में रस्तोगी समाज के एक कार्यक्रम में वह बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत करते नजर आए थे. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिथरी विधायक राजेश मिश्र उर्फ पप्पू भरतौल थे यानि एक मंच से अतुल कपूर दो निशाने साधते नजर आए. एक तरफ रस्तोगी समाज का समर्थन उन्हें प्राप्त हुआ और दूसरी तरफ ब्राह्मण समाज के नेता विधायक पप्पू भरतौल का सानिध्य भी मिला. यह कार्यक्रम तो महज बानगी भर है. ऐसे कई कार्यक्रमों में इन दिनों अतुल कपूर शिरकत करते आए दिन नजर आते हैं. मतलब साफ है कि अतुल कपूर हर समाज के वोटरों को साधना चाहते हैं.
इतना ही नहीं शहर विधानसभा क्षेत्र के कई पार्षदों से अतुल कपूर के अच्छे संबंध हैं और अब वह इन संबंधों को भुनाने की तैयारी कर रहे हैं. इनमें कुछ पार्षद कायस्थ समाज से हैं तो कुछ वैश्य व अन्य पिछड़े समाज से ताल्लुक़ रखते हैं. इसके अलावा ईसाई, जैन और सिख धर्मावलंबियों पर भी उनकी पूरी नजर है.
बात अगर गैर खत्री पंजाबी वोटरों को जोड़ने की करें तो यह काम अतुल कपूर ने काफी पहले ही शुरू कर दिया था. शहर के नगरिया परीक्षित, संजय नगर, सीबीगंज, मथुरापुर, नंदौसी, बानखाना, कोहाड़ापीर, भूड़, प्रेम नगर, किला आदि इलाकों में अतुल कपूर ने कोरोना काल में जरूरतमंद गैर खत्री पंजाबी परिवारों की तन मन धन से पूरी मदद भी की थी.
इसके अलावा उन्होंने इन क्षेत्रों में वॉलंटियर्स भी बनाए जो पिछले लगभग दो साल से विभिन्न समाज के लोगों के विभिन्न प्रकार के काम लेकर आते रहे और अतुल कपूर उन कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर नगर निगम व अन्य सरकारी विभागों से संपादित भी कराते रहे. इन वालंटियर्स के माध्यम से अब अतुल कपूर हर समुदाय के बीच अच्छी पकड़ बना चुके हैं. चूंकि अतुल कपूर का लक्ष्य विधानसभा चुनाव था इसलिए उन्होंने सिर्फ लोगों को जोड़ने का काम किया और लोगों को जोड़ते वक्त उन्होंने सवर्ण या बैकवर्ड का कोई भेद नहीं किया. अतुल कपूर जानते थे कि चुनाव के वक्त अगर जनता के बीच जाते हैं तो वह प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन चुनाव से तीन साल पहले जो संबंध जोड़े जाते हैं वह ताउम्र काम आते हैं. इसलिए अतुल कपूर ने उपसभापति की कमान संभालते ही लोगों को जोड़ने का काम भी शुरू कर दिया था.
यही वजह है कि चुनाव आते-आते वह एक बड़ा गैर खत्री पंजाबी समाज और युवाओं का वोट बैंक भी अपने पक्ष में तैयार कर चुके हैं. चूंकि शहर विधानसभा क्षेत्र में भी खत्री पंजाबी समाज का वोट बैंक निर्णायक भूमिका में है और वह खुद भी खत्री पंजाबी समाज से आते हैं इसलिए इस समाज का भी नैतिक समर्थन उन्हें प्राप्त है. गैर खत्री पंजाबी समाज के वोटरों पर भी अच्छी पकड़ होने के चलते उनकी दावेदारी और भी मजबूत हो जाती है. बहरहाल, टिकट का फैसला तो पार्टी हाईकमान को करना है. अतुल कपूर हाईकमान की उस कसौटी पर खरे उतरेंगे या नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन यह स्पष्ट है कि अतुल कपूर की दावेदारी को नजरअंदाज करना अब पार्टी के लिए आसान नहीं होगा.