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सेहत की बात : एसिडिटी के कारण और निवारण, जानिए डा. रंजन विशद से..

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आयुर्वेद में एसिडिटी को अम्लपित्त कहा गया है क्योंकि इस शब्द में प्रत्यक्ष रूप से पित्त दोष जुड़ा है जिसके बढ़ने से सामान्य भाषा में इसे पित्त बनना भी कहते हैं। आयुर्वेद में दोषों के असंतुलन के कारण रोग उत्पन्न होता है। किसी दोष के अधिक बढ़ने या घटने के कारण दोष असंतुलित अवस्था में आकर रोगोत्पत्ति करते हैं. अम्लपित्त में मुख्यत: पित्त दोष बढ़कर अम्लता उत्पन्न करता है जिस कारण व्यक्ति को सीने में जलन और खट्टी डकारें, भारीपन व बेचैनी सी बनी रहती है।
जब पित्त बढ़ जाता है तो यह शरीर की पाचक अग्नि को नुकसान पहुंचाता है जिससे भोजन ठीक से पच नहीं पाता है और आमा बनता है. यह आमा पाचक स्रोतों में जमा होकर उनको अवरुद्ध करता है जिससे एसिडिटी हो जाती है.

एसिडिटी के कारण
एसिडिटी होने के बहुत सारे कारण हैं जिनमें ये प्रमुख हैं-
1- अत्यधिक मिर्च-मसालेदार और तैलीय भोजन करना।
2- पहले खाए हुए भोजन के बिना पचे ही पुनः भोजन करना जिसको शास्त्रीय भाषा में अध्यशन कहा जाता है।
3- अधिक अम्ल वाले पदार्थों का सेवन करना.
4- पर्याप्त नींद न लेने से भी हाइपर एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
5- बहुत देर तक भूखे रहने से भी एसिडिटी की समस्या होती है।
6- लम्बे समय तक दर्दनिवारक दवाओं के सेवन करने से।
7- कभी-कभी गर्भवती महिलाओं में भी एसिड रिफ्लक्स की समस्या हो जाती है।
8- नमक का अत्यधिक सेवन करने से।
9- शराब और कैफीन युक्त पदार्थ का अधिक सेवन।
10- अधिक भोजन करना और भोजन करते ही सो जाना।
11- अधिक धूम्रपान के कारण।
12- कभी-कभी अत्यधिक तनाव लेने के कारण भी भोजन ठीक प्रकार से हजम नहीं होता और एसिडिटी की समस्या हो जाती है।
13- आजकल किसान फसल उगाने में कई प्रकार के कीटनाशक और उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं जिससे यह जहरीले रासायनिक खाद्य पदार्थ खाद्य सामग्रियों के माध्यम से शरीर में पहुंच कर भी अम्लपित्त रोग उत्पन्न करते हैं।

लक्षण
वैसे तो एसिडिटी का मूल लक्षण पेट में गैस पैदा होना होता है लेकिन इसके सिवाय और भी लक्षण होते हैं जो आम होते हैं-
1- सीने में जलन जो भोजन करने के बाद कुछ घंटों तक लगातार रहती है।
2- खट्टी डकारों का आना, कई बार डकार के साथ खाना भी गले तक आता है।
3- अत्यधिक डकार आना और मुंह का स्वाद कड़वा होना
4- पेट फूलना
5- मिचलाहट होना एवं उल्टी आना
6- गले में घरघराहट होना
7- सांस लेते समय दुर्गन्ध आना
8- सिर और पेट में दर्द
9- बैचेनी होना और हिचकी आना
10- कब्ज होना
11- दांतों में ठंडा गर्म लगना
12- दांतों का पीला होना

अम्लपित्त से बचाव
आम तौर पर असंतुलित भोजन और जीवनशैली के कारण एसिडिटी की समस्या होती है। इसके लिए अपनी जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव लाने पर एसिडिटी की समस्या को कुछ हद तक नियंत्रण में लाया जा सकता है।
1- टमाटर भले ही खट्टा होता है लेकिन इससे शरीर में क्षार की मात्रा बढ़ती है और इसके नियमित सेवन से एसिडिटी की शिकायत नहीं होती।
2- खाने के बाद नियमित रूप से एक कप अनानास के रस का सेवन करें।
3- तैलीय एवं मिर्च-मसालेदार भोजन से दूर रहें, जितना हो सके सादा एवं कम मसाले वाला भोजन करें।
4- पेट भर भोजन के बाद तुरन्त न सोएं। सोने से लगभग दो घंटे पहले ही भोजन कर लें।
भोजन करने के बाद टहलने की आदत डालें।
5- सुबह उठकर नियमित रूप से 2–3 गिलास ठंडा पानी पिएं तथा उसके लगभग एक घंटे तक कुछ न खाएं।
6- जंकफूड, प्रिजरवेटिव युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन बिल्कुल न करें।
7- चाय और कॉफी का सेवन कम से कम करें।
8- एक ही बार में बहुत सारा खाना खाने की बजाय कम मात्रा में 2–3 बार खाएं।
9- अनार और आंवला को छोड़कर अन्य खट्टे फलों से परहेज करना चाहिए।
10- नाश्ते में पपीते के फल का सेवन करें।
11- योग एवं प्राणायाम करें।

अम्लपित्त के कुछ घरेलू उपाय
1- एसिडिटी होने पर ठंडे दूध में एक मिश्री मिलाकर पीने से राहत मिलती है।
2- एक चम्मच जीरे और अजवायन को भूनकर पानी में उबाल लें और इसे ठण्डा कर के चीनी मिलाकर पिएं।
3- खाना खाने के बाद सौंफ चबाने से एसिडिटी से राहत मिलती है।
4- दालचीनी एक नेचुरल एंटी एसिड के रूप में काम करता है और पाचन शक्ति को बढ़ाकर अतिरिक्त एसिड बनने से रोकता है।
5- भोजन के बाद या दिन में कभी भी गुड़ का सेवन करें। गुड़ पाचन क्रिया को सुधार कर पाचन तंत्र को अधिक क्षारीय बनाता है और पेट की अम्लता को कम करता है।
6- एसिडिटी की समस्या होने पर रोज एक केला खाने पर आराम मिलता है।
7- एसिडिटी होने पर नारियल पानी का सेवन करें।
8- पानी में 5–7 तुलसी की पत्तियों को उबाल लें। अब इसे ठंडा करके इसमें थोड़ी चीनी मिलाकर पिएं।
9- गुलकन्द का सेवन करें, यह हाइपर एसिडिटी में बहुत लाभदायक होता है।
10- सौंफ, आंवला और गुलाब के फूलों का चूर्ण बनाकर सुबह-शाम आधा-आधा चम्मच लेने से एसिडिटी में आराम मिलता है।
11- जायफल तथा सोंठ को मिलाकर चूर्ण बना लें और इसे एक-एक चुटकी लेने से एसिडिटी समाप्त हो जाती है।
12- एसिडिटी कम करने में गिलोय फायदेमंद औषधि है। पांच से सात गिलोय की जड़ के टुकड़े लेकर पानी में उबाल लें तथा इसे गुनगुना करके पिएं।
13- सौंफ का चूर्ण, मुलेठी का चूर्ण, तुलसी की पत्तियां और धनिया के बीज, सबको समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण तैयार कर लें। इस मिश्रण का आधा चम्मच, आधे चम्मच पिसी मिश्री के साथ दोपहर और रात के खाने से 15 मिनट पहले लें।
14- मिश्री, सौंफ और छोटी इलायची को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। जब भी आपको पेट में जलन महसूस हो, इस चूर्ण का एक चम्मच आधा कप ठंडे दूध के साथ लें।
15- सोते समय पानी के साथ ईसबगोल की भूसी 2-3 चम्मच लेने से पेट को साफ रखने में तथा पित्त के विरेचन में मदद मिलती है।
16- दोपहर और रात के खाने के बाद गुड़ का एक छोटा सा टुकड़ा लेकर खाएं। अगर अम्लता रहती है तो इसे दोबारा ले सकते हैं।
17- एक बोतल में 2-3 चम्मच धनिया का पाउडर लें और इसमें एक कप उबला हुआ पानी डालें। रात भर इसको रखा रहने दें। सुबह एक कपड़े से इसे छान लें। इसमें एक चम्मच मिश्री मिलाकर पी लें।
18- 1 चम्मच जीरा आधा लीटर पानी में मिलाकर 3-5 मिनट तक उबाल लें। इस पानी को छान कर पी लें। इसे कई दिन लगातार लें।

डॉक्टरी सहायता कब?
अगर एसिडिटी की समस्या बार-बार हो और घरेलू उपायों से भी राहत न मिले तो डॉक्टर से संपर्क करें. यह समस्या बरसात के मौसम में आम होती है।

-डॉ रंजन विशद
वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी
मीरगंज, बरेली

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