दहेज एक सामाजिक अभिशाप है जो प्राचीन काल से लेकर अब तक न जाने कितनी बेटियों की जिंदगी निगल चुका और जाने कितने रिश्तों का खून कर चुका है. कई बार तो रिश्ता तय होने केे बाद ससुराल पक्ष के लोग इतना दहेज मांग लेते हैं कि लड़की वालों का सब कुछ लुट जाता है. ऐसे ससुरालियों की वजह से कई बार बेटियां खुद को बोझ समझ लेती हैं और खुदकुशी जैसा खौफनाक कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटतीं. वहीं कई बार यह कदम बेबस पिता या भाई को उठाने पर मजबूर होना पड़ता है. ऐसा सामाजिक बदनामी के डर और कानून की सही जानकारी न होने के कारण होता है. अगर आपके समक्ष समाज में कहीं भी ऐसी स्थिति आए तो घबराएं नहीं, ऐसे दहेजलोभियों के खिलाफ कानून का सहारा लें. शादी तय होने के बाद अगर कोई व्यक्ति लड़की पक्ष से दहेज की मांग करता है और दहेज न देने की स्थिति में रिश्ता तोड़ देता है अथवा तोड़ने की धमकी देता है तो वह दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत अपराधी माना जाएगा. ऐसी स्थिति में वधू पक्ष धारा 3 व 4 के तहत माननीय न्यायालय में वर पक्ष के खिलाफ मुकदमा दायर कर सकता है. आरोप साबित होने पर न्यायालय दहेजलोभी को तीन साल तक के कठोर कारावास की सजा दे सकता है. साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
प्रस्तुति – भगवत सरन साहू, एडवोकेट बरेली
