जालंधर सेंट्रल विधानसभा सीट के पूर्व विधायक और पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजिंदर बेरी की गिनती जालंधर के जमीनी नेताओं में होती है। विधायक बनने के बाद भी पूरे पांच साल वह जनता के बीच सक्रिय नजर आए। यही वजह रही कि पूरे प्रदेश में आम आदमी पार्टी की लहर होने के बावजूद राजिंदर बेरी को महज 243 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। वैसे तो राजिंदर बेरी की इस हार की वजह पार्टी में भितरघात को बताया जाता है लेकिन बेरी का इस बारे में क्या सोचते हैं? कांग्रेस के मेयर जगदीश राज राजा और बेरी के बीच मनमुटाव की चर्चा पूरे शहर में हो रही है। राजिंदर बेरी का इस बारे में क्या कहना है? वर्तमान विधायक रमन अरोड़ा की कार्यशैली और मान सरकार के डेढ़ माह के कार्यकाल को वह किस नजरिये से देखते हैं? नगर निगम चुनाव को लेकर उनकी सेंट्रल विधानसभा में क्या तैयारियां हैं? क्या सिटिंग पार्षदों के टिकट काटे जाएंगे? कांग्रेस का संगठन पंजाब कमजोर होने के क्या कारण हैं? ऐसे कई मुद्दों पर राजिंदर बेरी ने इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया के साथ खुलकर बात की। पेश हैं पूर्व विधायक राजिंदर बेरी के साथ बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : विधानसभा चुनाव में आप सिर्फ 243 वोटों से पराजित हुए, यह कोई बहुत बड़ा अंतर तो नहीं था, क्या वजह रही?
जवाब : कभी सोचा ही नहीं था कि इलेक्शन हारेंगे लेकिन आम आदमी पार्टी की एक लहर ही ऐसी चल पड़ी कि नतीजे विपरीत आ गए।
सवाल : अब नगर निगम चुनाव आ रहे हैं। आपके विधानसभा क्षेत्र में कितने वार्ड हैं और कितने वार्डों में मौजूदा पार्षद कांग्रेस के हैं?
जवाब : मेरे सेंट्रल विधानसभा हलके में 22 वार्ड हैं जिनमें से तीन वार्डों में मौजूदा पार्षद भाजपा के हैं और 19 वार्डों में कांग्रेस के पार्षद हैं। मोहल्ला गोबिंदगढ़ वाले वार्ड में भाजपा के पार्षद हैं, दूसरा सूर्या एन्क्लेव और तीसरे गुरुनानकपुरा वाले वार्ड में भाजपा के पार्षद हैं।
सवाल : विगत विधानसभा चुनाव में भाजपा पार्षदों वाले तीनों वार्डों में आपकी स्थिति क्या रही? क्या किसी वार्ड में जीत मिली?
जवाब : जिन तीन वार्डों में मौजूदा पार्षद भाजपा के हैं उनमें से एक वार्ड से मैंने जीत हासिल की है और दो अन्य वार्डों में भी अच्छे वोट हासिल किए हैं। गुरुनानक पुरा और चुगिट्टी वाले जिस वार्ड से मनजिंदर सिंह चट्ठा पार्षद हैं उस वार्ड से मैंने जीत हासिल की है।
सवाल : अब नगर निगम चुनाव को लेकर आपकी क्या तैयारी चल रही है? चर्चा यह भी है कि कांग्रेस के कई पार्षद आम आदमी पार्टी के संपर्क में हैं। साथ ही कुछ ऐसे नेता भी हैं जिन्हें पिछले चुनाव में पार्षद का टिकट नहीं मिला था वे भी आप के संपर्क में हैं। क्या ऐसे लोगों को चिह्नित किया गया है या मनाने का कोई प्रयास किया गया है?
जवाब : देखिए, जब सरकारें बदलती हैं तो थोड़ा फर्क तो कार्यकर्ताओं पर पड़ता ही है। फिर भी जो पार्षद या एक्स पार्षद या हमारा वर्कर जाने की सोच रहा है और हमें पता चलता है तो हम उसे मनाने जाते हैं। उन्हें रोकने के लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है।
सवाल : क्या ऐसे कुछ नाम आए थे आपके समक्ष?
जवाब : हां, ऐसे कुछ नेता थे जो जाने के प्रयास में थे लेकिन अब सरकार बने आज डेढ़ महीना हो गया है। डेढ़ महीने बाद ही सरकार का असर लोगों पर कम हो गया है। पहले जब नई-नई सरकार बनती थी तो कम से कम एक साल तक सरकार का पीरियड बहुत अच्छा रहता था। लोग खुश रहते थे। लेकिन अब तो डेढ़ महीने में ही लोग इनके खिलाफ हो गए हैं। लाइट की ही समस्या देख लीजिए। रोज कट लग रहे हैं। इंडस्ट्रीज को लाइट बिल्कुल भी नहीं दे रहे हैं। इससे लोगों का मन टूट गया है। अब वर्कर नहीं सोचेगा आम आदमी पार्टी में जाने की।
सवाल : मतलब, आप कहना चाहते हैं कि आगामी नगर निगम चुनाव पर सरकार की निगेटिविटी का असर आम आदमी पार्टी पर पड़ेगा?
जवाब : जी, बिल्कुल पड़ेगा।
सवाल : कांग्रेस पूरे देश में खत्म होती जा रही है। पंजाब में भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस का असर खत्म हो रहा है और भाजपा को इसका फायदा मिल रहा है। आप जिला प्रधान भी रहे हैं कांग्रेस के। जालंधर जिले में कांग्रेस को कहां पाते हैं?
जवाब : जितनी देर वर्कर कायम रहेगा तो पार्टी कायम रहेगी, अगर वर्कर कायम नहीं रहेगा तो पार्टी भी कायम नहीं हो सकती। हमारे जो अनुषांगिक संगठन या इकाईयां थीं वह अब निष्क्रिय हैं। जैसे- एनएसयूआई थी, यूथ कांग्रेस थी, सेवा दल था, इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) थी, वे सभी अब बहुत पीछे चली गई हैं। जिससे हमारी पार्टी को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। जब तक ये संगठन ठीक नहीं रहेंगे तब तक पार्टी आगे नहीं जा सकती।

सवाल : क्या इन आनुषांगिक संगठनों को रिन्यू करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं?
जवाब : हां, हमारे जो पंजाब के नए प्रधान बने हैं राजा वडिंग जी और आशु जी इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने महिला कांग्रेस की भी मीटिंग बुलाई थी। एनएसयूआई वालों को भी बुलाया और यूथ वालों को भी बुलाया था और सभी को क्षेत्र में सक्रिय रहने के लिए प्रेरित किया था। पहले जब मजदूर दिवस था वह इंटक की ओर से हर फैक्ट्री पर मनाया जाता था लेकिन अब वह चीजें खत्म हो रही हैं। अब जब ये चीजें खत्म होती जाएंगी तो पार्टी को तो नुकसान होगा ही।
सवाल : क्या आप मानते हैं कि जालंधर में भी ये आनुषांगिक संगठन सक्रिय नहीं हैं?
जवाब : पूरे देश में ही यही स्थिति है। जालंधर में भी जब तक हम वर्करों को बूस्ट नहीं करेंगे तब तक पार्टी खड़ी नहीं हो सकती।
सवाल : …तो वर्करों को बूस्ट करने के लिए क्या करना चाहिए?
जवाब : उनसे लगातार डोर-टु-डोर जाकर संपर्क बनाना चाहिए। उनसे बात करनी चाहिए। एक समस्या यह भी आती है कि जब वर्कर से बात करो तो वह संगठन में पद चाहता है। जिसे वार्ड में एडजस्ट करते हैं वह जिला इकाई में जाना चाहता है। जिसे जिले में जिम्मेदारी दी जाती है वह प्रदेश में स्थान चाहता है। यह एक बड़ी समस्या है। बूथ स्तर पर वर्कर काम ही नहीं करना चाहता। मैंने भी बूथ स्तर से काम शुरू किया था। फिर वार्ड स्तर पर आया और फिर विधायक भी बना। इसलिए मेहनत करेंगे तो पार्टी फल जरूर देगी। यही राजनीतिक महत्वाकांक्षा संगठन की मजबूती में आड़े आ रही है। संगठन को रिवाइव करना पड़ेगा। वर्करों को बूस्ट करना पड़ेगा।

सवाल : आम आदमी पार्टी के सेंट्रल हलके के विधायक रमन अरोड़ा काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं। उनके पिछले डेढ़ महीने के कार्यकाल को आप किस नजरिये से देखते हैं?
जवाब : देखिये, अभी तो वह नए-नए बने हैं। वो तो कभी कौंसलर भी नहीं बने। वार्ड में भी सक्रिय नहीं रहे। सीधा ही एमएलए बने हैं। अभी उन्हें थोड़ा-बहुत समझना पड़ेगा राजनीति के बारे में क्योंकि राजनीति में बड़े फूंक-फूंक कर कदम रखने पड़ते हैं।
सवाल : चुनावी वादों पर आप आम आदमी पार्टी को कहां देखते हैं?
जवाब : वो तो स्थानीय मुद्दों पर चुनाव ही नहीं लड़े थे। आम आदमी पार्टी ने तो यह कहकर चुनाव लड़ा था कि तीन सौ यूनिट बिजली फ्री कर देंगे, महिलाओं को एक हजार रुपये महीना दे देंगे, दिल्ली मॉडल देखो। सारे के सारे न पूरे करने वाले वादे करके सत्ता में आए हैं। बिजली के वादे की भी हवा निकल गई। वह कोई स्ट्रेटजी ही नहीं बना पाए। महिलाओं को हजार-हजार रुपये भी नहीं देने हैं। हमारी सरकार ने जो महिलाओं के लिए सरकारी बसों में यात्रा फ्री की थी। अब उनके पास सरकारी बसों में डालने के लिए डीजल तक के पैसे नहीं हैं। ऐसी कई समस्याएं हैं जो एक महीने में ही खड़ी हो गई हैं। एक महीने में ही हमारे मुख्यमंत्री मान साहब ने लोन लेना शुरू कर दिया है। पहले कहते थे कि यहां से जेनरेट करेंगे फंड, वहां से जेनरेट करेंगे फंड, वो सारी बातें भूल ही गए हैं। अब वो लोन वाले रास्ते चले गए हैं। आज उन्होंने सभी अखबारों में एड दी है कि सरकार का जो बजट बनेगा वो लोग बनाएंगे। लोगों ने तो आपकी सरकार बना दी अब बजट तो आपको बनाना है। बस यही जूठ का पुलदिंा है।
सवाल : चुनाव हारने के बाद अब आपकी भूमिका क्या होगी? फिलहाल आपकी दिनचर्या में क्या बदलाव आया है?
जवाब : प्रदेश में सरकार तो नहीं रही हमारी लेकिन विपक्ष में रहते हुए जनहित के मुद्दों को मजबूती से उठाएंगे। अपने स्तर से जनता के जो काम करवा सकते हैं जरूर करेंगे। मेरा रूटीन अभी भी वही है जो पहले था। मैं आज भी सुबह नौ से 11 बजे तक अपने कार्यालय में बैठता हूं। यहां लोगों की समस्याएं सुनता हूं। 11 बजे के बाद उन समस्याओं के समाधान के लिए क्षेत्र में जाता हूं। जनता के सुख-दुख में शामिल होता हूं। मैं पहले की तरह ही जनता के बीच सक्रिय हूं।
सवाल : अब नगर निगम चुनाव को लेकर क्या रणनीति होगी?
जवाब : नगर निगम चुनाव हम डटकर लड़ेंगे। सारे कौंसलर हमारे जीतेंगे और मेयर भी हमारा ही बनेगा।
सवाल : कहा जा रहा है कि आपकी हार की एक वजह आपके मेयर भी रहे। उनके वार्ड से आपकी वोट नहीं मिले?
जवाब : अब तो यह सोच ही रह गई है। जो हुआ उसे अब तो हम भूल चुके हैं। अब आगे सोचेंगे कि आगे कैसे लड़ना है। हमने तो पूरी ईमानदारी के साथ इलेक्शन लड़ा था।
सवाल : प्रत्याशियों का चयन किस आधार पर किया जाएगा? क्या आपके हलके के सभी पार्षद रिपीट किए जाएंगे या कुछ चेहरे बदले भी जाएंगे?
जवाब : कुछ पार्षद बदले भी जाएंगे। जनता के बीच सर्वे के आधार पर उन्हें बदला जाएगा। अगले दस-पंद्रह दिनों में सर्वे शुरू हो जाएगा। चूंकि अभी वार्डबंदी भी नए सिरे से होनी है इसलिए थोड़ा इंतजार भी करना पड़ सकता है। हमारी विधानसभा सीट पर हमारा होमवर्क पूरा है। सेंट्रल हलके के मौजूदा 19 कांग्रेस पार्षदों में से तीन-चार चेहरे बदलना तय हैं। अभी मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर या डिप्टी मेयर का कोई चेहरा प्रोजेक्ट नहीं किया जाएगा। संगठन के आधार पर ही चुनाव लड़ा जाएगा।
सवाल : अंत में कार्यकर्ताओं को क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब : मैं तो यही कहूंगा कि मेहनत करनी चाहिए। अगर आज कोई कार्यकर्ता बूथ के अंदर बैठता है तो उसे यह नहीं सोचना चाहिए कि वह बूथ स्तर तक ही सीमित रह जाएगा। मैं भी कभी बूथ के अंदर ही बैठता था। फिर वार्ड में गया। फिर एनएसयूआई में गया। पार्षद बना और फिर जिला प्रधान व विधायक बना। मैं वर्करों से अपील करता हूं कि अपने कारोबार के बाद वह जितना समय पार्टी को दे सकते हैं, जरूर दें। तो ही पार्टी आगे बढ़ेगी, वर्कर का मनोबल भी बढ़ेगा और वर्कर भी आगे बढ़ेगा।