दिल को चोट पहुंचाना जरूरी नहीं।
यूं आशियाना जलाना जरूरी नहीं।।
अच्छा नहीं गम में गुमराह होना।
दर्द हर किसी को सुनाना जरूरी नहीं।।
जिंदगी से दोस्ती निभाओ मौत आने तक।
यूं खामोशी में डूब जाना जरूरी नहीं।।
यह दुनिया बाग है बागवां बनो तुम।
यूँ कलेजा चीरकर घुमाना जरूरी नहीं।।
“श्रीहंस” हंस कर मुकम्मल होती जिंदगी।
खुद जिंदगी आग लगाना जरूरी नहीं।।
ऊपर वाले की इबादत है ये जिंदगी।
उसकी नियामत को झुकाना जरूरी नहीं।।
-एस के कपूर “श्री हंस”
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