नीरज सिसौदिया, बरेली
गले में आला, आंखों में चश्मा और तन पर सफेद कोट, डाक्टर का नाम सुनते ही जेहन में जो तस्वीर उभरने लगती है वह कुछ ऐसी ही होती है। जब हम बीमार होते हैं तो यही शख्स हमें भगवान नजर आने लगता है लेकिन जब हम ठीक हो जाते हैं तो उसके आसपास तक नहीं जाना चाहते। अगर किसी डॉक्टर के पास लंबी लाइन लग जाती है तो हम परेशान हो जाते हैं लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि जिन मरीजों के बीच हम एक पल भी नहीं बिताना चाहते उन मरीजों के बीच ये डाक्टर पूरी जिंदगी कैसे गुजार देते हैं? क्या उस डाक्टर को कभी तनाव नहीं होता? शायद इसीलिए उन्हें धरती का भगवान कहा जाता है लेकिन धरती के इस भगवान के भीतर भी एक इंसान होता है। फर्ज की बेड़ियों में जकड़े उस इंसान की भी कुछ ख्वाहिशें होती हैं। डाक्टरों की इन्हीं ख्वाहिशों को पूरा करने और उनके तनाव को दूर कर कुछ अलग करने का संदेश देने के उद्देश्य से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बरेली ने वर्ष 2020 में एक अनूठी पहल की थी। इस खास पहल को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन प्रीमियर लीग का नाम दिया गया है। आईएमए बरेली की इस पहल को देशभर में सराहना मिल रही है।इतना ही नहीं इस लीग को स्टेट और नेशनल लेवल पर आयोजित करने की तैयारी भी की जा रही है।
आईएमए प्रीमियर लीग का कान्सेप्ट कहां से आया, इसकी शुरुआत कब हुई और इसका स्वरूप क्या है? पूछने पर आईएमए बरेली के स्पोर्ट्स चेयरमैन और जीवन ज्योति अस्पताल के संचालक डा. अजय अजय भारती बताते हैं, ‘आईएमए प्रीमियर लीग का कान्सेप्ट आईपीएल यानि इंडियन प्रीमियर लीग से ही लिया गया है। इसे शुरू करने का श्रेय आईएमए बरेली की पिछली टीम के अध्यक्ष डा. राजेश अग्रवाल, सचिव राजीव गोयल, कनवीनर डा. आरके सिंह और वीबी सिंह को जाता है।‘
डा. भारती कहते हैं, ‘डाक्टरों के परिजन भी इस आयोजन का हिस्सा बन सकें और कम समय में आयोजन को बेहतर बनाया जा सके इसलिए आईएमए प्रीमियर लीग को क्रिकेट के पारंपरिक स्वरूप से एकदम हटकर बनाया गया है। इसमें न तो आम क्रिकेट की तरह 11 खिलाड़ी रखे गए हैं और न ही पुरुष एवं महिलाओं की अलग-अलग टीम बनाई गई है।
हमारी टीम में एक कैप्टन और सात प्लेयर यानि कुल आठ लोगों को शामिल किया गया है। प्रत्येक टीम में एक महिला के साथ ही एक बच्चे को भी शामिल किया गया है। दुनिया की यह पहली प्रीमियर लीग है जिसमें पुरुष, महिलाएं और बच्चे एक साथ एक ही टीम का हिस्सा बन सकते हैं। इस लीग में प्रत्येक मैच सात ओवर का रखा गया है ताकि एक ही दिन में लीग को आसानी से पूरा किया जा सके।‘
पिछले साल इस लीग का आयोजन दिसंबर के महीने में किया गया था। फॉग के बावजूद डाक्टरों में इसे लेकर काफी उत्साह देखने को मिला था। डा. भारती बताते हैं, ‘पिछली बार कुल 16 टीमों ने इसमें भाग लिया था। तब दिसंबर का महीना था। रात दस बजे तक मैच चले थे। काफी धुंध पड़ रही थी फिर भी लोग डटे रहे। उस बार फाइनल में हमारे अस्पताल की टीम जीवन ज्योति अचीवर का मुकाबला संत क्लायर की टीम से हुआ था। फाइनल में हमारे अस्पताल की टीम रनरअप रही और संत क्लायर को आईएमए प्रीमियर लीग का पहला विजेता बनने का गौरव हासिल हुआ था।‘
एक साल बाद आईएमए प्रीमियर लीग को लेकर उत्साह के साथ ही इसका दायरा भी बढ़ गया है। इस वर्ष आईएमए की नई कार्यकारिणी के नेतृत्व में इस टूर्नामेंट का आयोजन इनवर्टिस यूनिवर्सिटी के मैदान पर हुआ। इस आयोजन में किसका कितना सहयोग मिल रहा है, पूछने पर डा. अजय भारती बताते हैं, ‘सबसे ज्यादा सहयोग तो हमें मेयर डा. उमेश गौतम का मिला जिन्होंने न सिर्फ एक बार कहने पर ही अपनी यूनिवर्सिटी का मैदान दिया बल्कि हरसंभव मदद का भरोसा भी दिलाया। इसके अलावा विनायक हॉस्पिटल के चेयरमैन अनुपम कपूर, डा. कविता पांडेय, मेगा ड्रीम होम्स, हमारे अध्यक्ष मनोज अग्रवाल और अन्य पदाधिकारियों का मिला।
सबसे ज्यादा सहयोग तो हमारे उन मेंबर्स का मिला जिन्होंने इसमें पार्टिसिपेट किया। मैं इन सभी का धन्यवाद अदा करता हूं. हमारी जो टीमें इस बार फाइनल में पहुंची उन्होंने एक ही दिन में सात-सात मैच खेले और हर मैच में नए जोश के साथ मैदान में उतरी।‘
इस बार के मैच में खुशलोक अस्पताल के डा. सलिल बलदेव के शानदार खेल पर सभी की निगाहें टिकी रहीं। उन्होंने बरेली एमआरआई की टीम के खिलाफ 59 रनों की शानदार पारी खेलते हुए इस बार के टूर्नामेंट का पहला अर्धशतक भी अपने नाम कर लिया। उन्होंने इसी मैच में छह छक्के लगाए और दिलचस्प बात यह रही कि जितने रन डा. सलिल ने अकेले बनाए उतने रन बरेली एमआरआई की पूरी टीम नहीं बना सकी। यही वजह रही कि उन्हें इस बार बेस्ट बैट्समैन मेल के खिताब से नवाजा गया।
हालांकि मैन ऑफ द सीरीज का पुरस्कार शानदार प्रदर्शन कर अपनी टीम को आईएमए प्रीमियर लीग की ट्राफी जिताने वाले डा. आरपी सिंह को मिला। इस बार की विनर टीम केयर फाक्स अस्पताल की रही जिसके चेयरमैन डा. निकुंज गोयल थे। वहीं रनरअप ट्राफी पर डीजीएच बजरंगी की टीम ने कब्जा जमाया जिसके कप्तान डा. इरफान और चेयरमैन डा. डीपी गंगवार रहे।
इस बार कुल 18 टीमों ने प्रतिभाग किया था। बेस्ट महिला बल्लेबाज का खिताब डा. सुप्रिया अग्रवाल ने जीता। वहीं फीमेल प्लेयर ऑफ द सीरीज का खिताब डा. पारुल वार्ष्णेय ने अपने नाम किया। चिल्ड्रन ऑफ द सीरीज दिव्यांश गुप्ता रहे।
इसके अलावा बेग हॉस्पिटल एंड फहमी मैटरनिटी सेंटर, खुशलोक अस्पताल, मेडिसिटी, मैक्स हॉस्पिटल समेत कई अन्य अस्पतालों की टीमों ने भी इस लीग में हिस्सा लिया था। बेग अस्पताल की टीम के कप्तान डा. अनित शर्मा थे। टीम की महिला खिलाड़ी डा. रिचा ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया। वहीं पुरुषों में डा. नीरज चंद्रा का प्रदर्शन भी अच्छा रहा।
समाजवादी पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष और बेग अस्पताल के संचालक डा. अनीस बेग ने आईएमए प्रीमियर लीग की सराहना करते हुए कहा कि बरेली आईएमए का यह प्रयास बेहद सराहनीय है। इससे सभी डाक्टर्स के परिवार को एक मंच पर आने और एक दूसरे के साथ यादगार पल बिताने का मौका मिलता है। इतना ही नहीं आईएमए नेे एक ही मंच पर अलग अलग दलों केेलोगों को जुटाकर स्पष्ट संदेेश दिया है कि खेेेल में राजनीति के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. इसमें शहर भाजपा विधायक अरुण कुमार भी शामिल हुए और सपा से मैं खुद इसका हिस्सा रहा.
वहीं आईएमए प्रीमियर लीग के दोनों सीजन का हिस्सा बनने वाली बेग लॉयंस टीम की मालकिन डा. फहमी खान ने भी इसकी सराहना करते हुए प्रेरणादायक बताया. डा. फहमी ने कहा कि ऐसे आयोजन यह साबित करते हैं कि आईएमए कोई संगठन नहीं बल्कि एक परिवार है. अन्य लोगों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
डा. भारती ने बताया कि हाल ही में आईएमए की ओर से नेशनल लेवल पर स्पोर्ट्स चेयरमैन का ग्रुप बनाया गया है जिसमें सभी चेयरमैन अपनी-अपनी इकाई की गतिविधियों को शेयर करते हैं. इसमें मैंने बरेली की ओर से कराई गई आईएमए प्रीमियर लीग को शेयर किया जिसे काफी सराहना मिली. इसी का नतीजा है कि राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर भी ऐसी लीग कराने पर विचार किया जा रहा है और जल्द ही कम से कम राज्य स्तर पर तो इसका आयोजन किया जाएगा.
डा. भारती ने बताया कि आईएमए की ओर से हर साल इनडोर स्पोर्ट्स मीट का भी आयोजन किया जाता है. इस बार यह मीट अप्रैल या मई में आयोजित की जाएगी. फुटबॉल और हॉकी जैसे आउटडोर गेम्स के लिए फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है.