नीरज सिसौदिया, बरेली
सियासतदान वैसे तो एक-दूसरे को हमेशा पटखनी देने का मौका तलाशते रहते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी राजनेता होते हैं जिनके लिए वोटर से ज्यादा लोगों की जिंदगी मायने रखती है. ऐसे ही एक सियासतदान हैं बरेली शहर के वरिष्ठ भाजपा नेता और पार्षद सतीश चंद्र सक्सेना कातिब मम्मा. मम्मा अक्सर अपने अलग-अलग कारनामों की वजह से सुर्खियां बटोरते रहते हैं. ये वह राजनेता हैं जो समाजसेवा करते हैं पर उसका ढिंढोरा नहीं पीटते. इन दिनों मम्मा अपने साथी वार्ड पार्षद के वार्ड वासियों की मदद को लेकर सुर्खियों में हैं.
दरअसल, वार्ड-23 के पार्षद सतीश चंद्र सक्सेना कातिब मम्मा के वार्ड से ही वार्ड नंबर 50 जुड़ा हुआ है. उसके पार्षद भाजपा के ही आरेंद्र अरोरा कुक्की हैं. वार्ड में पिछले काफी दिनों से रोजाना कोरोना जांच कैंप का आयोजन मनोहर भूषण इंटर कॉलेज में किया जा रहा है. कुछ दिन पहले मम्मा काफी बीमार हो गए थे. इस बीमारी के दौरान भी वह फोन के माध्यम से अपने वार्ड में सैनेटाइजेशन आदि कार्य कराते रहते थे. लगभग 10 दिन की गंभीर बीमारी के बाद जब मम्मा की हालत में सुधार हुआ तो वह पड़ोसी वार्ड नंबर-50 में जन सेवा को निकल पड़े. इस वार्ड के वर्तमान पार्षद वैसे तो कुक्की अरोरा हैं लेकिन चूंकि बात लोगों की जिंदगी से जुड़ी थी इसलिए मम्मा को वार्ड की बंदिशें रोक नहीं सकीं. पिछले लगभग तीन-चार दिन से मम्मा लगातार रोजाना एमबी इंटर कॉलेज के मैदान में आयोजित कोरोना जांच शिविर में कुक्की अरोरा के साथ कड़ी धूप में भी मौजूद रहकर लोगों की कोरोना जांच कराते रहे. एक दिन तो कोरोना जांच किट खत्म हो गईं तो मम्मा ने खुद अधिकारियों से इसकी शिकायत की. इस दौरान मम्मा को स्वास्थ्य कर्मियों की बदतमीजी और अभद्रता को भी झेलना पड़ा. स्वास्थ्य कर्मी से जब मम्मा ने बात की तो उसने मम्मा से यहां तक कह दिया कि ‘उड़ कर आ जाऊं क्या’. यह वार्ड मम्मा का नहीं था और न ही मम्मा कभी इस वार्ड से चुनाव लड़े थे लेकिन चूंकि बात आम जनता की जिंदगी से जुड़ी थी इसलिए मम्मा के कदम बिल्कुल भी नहीं डगमगाए. मम्मा ने सीएमओ से लेकर मंडलायुक्त और विधायक से लेकर केंद्रीय मंत्री तक इसकी शिकायत की. इसका असर यह हुआ कि अगले ही दिन डा. मो. आरिफ के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची और पूरे सिस्टम से लोगों की कोरोना जांच की गई. यह सब मम्मा ने उस वार्ड की जनता के लिए किया जिस वार्ड से वह चुनाव तक नहीं लड़े और न ही निकट भविष्य में उनके वहां से चुनाव लड़ने की कोई संभावना ही है.

बात सिर्फ यहीं पर खत्म नहीं होती. असल इम्तिहान तो शनिवार से शुरू हुआ. वार्ड 50 के पार्षद आरेंद्र अरोरा कुक्की को अपनी भतीजी की शादी के चलते दो दिन के लिए जाना था. ऐसे में कुक्की अरोरा ने कैंप में मौजूद रहने में असमर्थता जताई और मम्मा से सहयोग मांगा. जनता के लिए हर मोर्चे पर डटे रहने वाले मम्मा यहां भी पीछे नहीं हटे. उन्होंने तत्काल कुक्की का साथ देने का वचन दिया और शनिवार को अकेले ही पूरा दिन मौके पर डटकर जनता की कोरोना जांच करवाई. इस दौरान मम्मा इतने मग्न हो गए कि वह अपनी दवा तक लेना भूल गए जो उन्हें नाश्ते के बाद लेनी थी. इस पर घर पहुंचते ही उन्हें अपनी पत्नी और भाजपा नेत्री माया सक्सेना की नाराजगी का अलग से सामना करना पड़ा. बीमारी की हालत में भी मम्मा का सेवा का ऐसा जज्बा वाकई फोटो खिंचवा कर खानापूर्ति करने वाले नेताओं को आईना दिखा रहा है. मम्मा का सेवा यह जज्बा वाकई काबिल-ए-तारीफ है. दूसरों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए.