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भाजपा का विधायक, भाजपा का मेयर और पार्षद भी भाजपा का, फिर भी दलदल से बाहर नहीं निकल पा रहे विकास के दावे, पहले से भी ज्यादा बदतर हो गया यहां का हाल, लोगों में आक्रोश, विस्तार से पढ़ें…

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नीरज सिसौदिया, बरेली
विकास के नाम पर कागजों में तो कोरोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए मगर धरातल पर यह विकास छिटपुट ही नजर आ रहा है. मेयर डा. उमेश गौतम की मानें तो अपने पिछले तीन साल से भी अधिक के अपने कार्यकाल में लगभग एक हजार करोड़ रुपये से भी अधिक के विकास कार्य करवाए हैं. निश्चित तौर पर मेयर द्वारा किया गया यह दावा एकदम सही होगा या एक हजार करोड़ से भी अधिक की राशि विकास के नाम पर खर्च कर दी गई होगी लेकिन धरातल पर उन विकास कार्यों की हालत क्या है इस बारे में मेयर ने कभी भी जानने की जरूरत नहीं समझी. यही वजह है कि शहर की बदहाली मेयर के विकास के दावों को मुंह चिढ़ा रही है. मेयर के दावे कितने खोखले हैं इसकी बानगी वार्ड नंबर 55 सैदपुर हॉकिंस में देखने को मिल रही है. दिलचस्प बात तो यह है कि इस वार्ड से पार्षद भी भाजपा का ही है. यहां के भाजपा पार्षद दीपक सक्सेना सत्ताधारी दल से होने के बावजूद अपने वार्ड की बदहाली दूर नहीं करा पा रहे. भाजपा का विधायक, भाजपा का मेयर और भाजपा का पार्षद फिर भी वार्ड बदहाल और जनता परेशान.
गुरुवार को हुई बरसात ने मेयर के सभी दावों को धो दिया. वार्ड 55 के खुशबू नर्सरी के बराबर से पहलवान की डेयरी तक सड़क की बदहाली नगर निगम के अधिकारियों और जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है. स्थानीय निवासी सुरेश चंद्र अग्निहोत्री, नरेश केशवानी और मोइन खान बताते हैं कि लगभग लगभग 7-8 माह पूर्व उक्त सड़क का ठेका नगर निगम की ओर से ठेकेदार गौरव चौहान की कंपनी को दिया गया था. गौरव चौहान ने जनवरी माह में सड़क पर मिट्टी डाली तो जनता में जल्द राहत मिलने की उम्मीद जगी लेकिन जनता को क्या पता था कि यह मिट्टी सड़क पर नहीं बल्कि उनकी उम्मीदों पर डाली गई है.

मिट्टी डालने के बाद ठेकेदार लापता हो गया. कुछ दिन तक तो जनता इंतजार करती रही. उसे लगा कि शायद कुछ दिन बाद काम शुरू हो जाएगा मगर ऐसा नहीं हुआ. फिर स्थानीय लोगों ने नगर निगम के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के चक्कर काटने शुरू कर दिए लेकिन राहत फिर भी नहीं मिली. जब-जब दवा की कोशिश की गई तब-तब मर्ज बढ़ता गया. जब-जब बारिश होती रही सड़क दलदल में तब्दील होती रही. गुरुवार को एक बार फिर बारिश हुई तो सड़क दलदल में तब्दील हो गई. इससे लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. वह मेयर, पार्षद और विधायक पर जमकर बरसे. उनका कहना था कि महीनों बाद भी सड़क का काम पूरा नहीं हुआ और किसी ने हालत नहीं सुधारी. स्थानीय पार्षद ने मेयर और नगर निगम कमिश्नर को इस संबंध में सूचित भी किया मगर आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई. यह हाल सिर्फ इस सड़क का ही नहीं है बल्कि इसी वार्ड में गौरव चौहान ने कुछ दिन पहले एक और सड़क का निर्माण किया था जिसने भी केवल पत्थर डालकर छोड़ दिया गया है वहां के लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.


इस संबंध में स्थानीय पार्षद दीपक सक्सेना का कहना है कि उनके वार्ड में कई काम ऐसे हैं जिनके टेंडर तो सात-आठ माह पहले ही हो चुके हैं लेकिन ठेकेदार काम पूरा ही नहीं कर रहा. उन्होंने कई बार नगर निगम के अधिकारियों को लिखित में भी दिया मगर न तो काम पूरा हुआ और न ही संबंधित ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई.
बता दें कि ठेकेदार गौरव चौहान पर नगर निगम प्रशासन और जनप्रतिनिधि खासे मेहरबान हैं. सूत्र बताते हैं कि निगम अधिकारियों को रिश्वत की मोटी रकम पहुंचाई गई है जिसके कारण वे ठेकेदार की मनमानी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे. सूत्र यह भी बताते हैं कि टेंडर में सड़कों का जो डिजाइन तय किया गया था उसके अनुसार सड़कों का निर्माण नहीं किया जा रहा है.
इस संबंध में जब मेयर डा. उमेश गौतम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से कुछ काम रुके हुए हैं. उक्त सड़क का निर्माण कब शुरू हुआ था यह देखना होगा. अगर काम अधूरा है तो जल्द पूरा करवाया जाएगा.

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