विचार

तुम गैरों पर भी मेहरबान बन कर देखो…

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तुम गैरों पर भी मेहरबान बन कर देखो।
तुम जरा सही इंसान बन कर देखो।।

बच्चों के साथ बच्चे बन कर खेलो।
तुम भी जरा मासूम नादान बनकर देखो।।

मत भागो हमेशा झूठी शोहरत के पीछे।
तुम औरों के भी कद्रदान बन कर देखो।।

जमीं पर ही रह कर जरा सोच रखो ऊँची।
तुम जरा ऊपर आसमान बन कर देखो।।

जड़ से उखाड़ फेंकें काँटों के पेड़ को।
तुम जरा वह तूफान बन कर देखो।।

जज्बा और जनून हो खूब अंदर तेरे।
तुम वैसे इक़ रहमान बन कर देखो।।

अपने ही सुख में मत मशगूल रहो हमेशा।
किसीऔर के गम में परेशान बनकर देखो।।

मसीहा सी सूरत संबको नज़र आये तुममें।
तुम ऐसी ही सबकी शान बन कर देखो।।

*हंस* अपने अंदर भी झांको टटोलो खूब।
तुम खुदअंदर दुनिया जहान बन कर देखो।।

रचयिता – एस के कपूर “श्री हंस”
मो. 9897071046, 8218685464

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