सबसे बड़ी पूंजी अच्छे
विचार और आशा है।
एक यही नियम कि मन
में आये न निराशा है।।
जो भाये न स्वयं को न
करें दूसरों के साथ।
एक सफल जीवन की
सरल परिभाषा है।।
विचारऔर व्यवहार यह
दोनों हमारे श्रृंगार हैं।
दुनिया को केवल इनसे
ही सरोकार है।।
धन और बल का केवल
सदुपयोग ही हो।
कर्तव्य पूर्ण हो तभी तो
आता अधिकार है।।
इरादे तक़दीर बदलने का
राज़ होते हैं।
कर्मशील लकीरों के नहीं
मोहताज होते हैं।।
जो सीखते हैं असफलता
के अनुभव से।
आगे चल कर उन्हीं के
सर ताज होते हैं।।
अहम अच्छी बात नहीं
यह टूट जाता है।
गिरकर आसमां से जमीं
पर फूट जाता है।।
कुछ जाता नहीं है साथ
सिवाअच्छे कर्मों के।
धागा सांसों का इक़ दिन
जब छूट जाता है।।
रचयिता-एस के कपूर
“श्री हंस”बरेली
मो- 9897071046
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