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पीलीभीत में दिखी प्रसपा की ताकत, शिवपाल यादव की सभा में उमड़ा हुजूम, अब बरेली की बारी…क्या है तैयारी?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
विधानसभा चुनाव को लेकर विभिन्न सियासी दलों के नेता अपनी-अपनी ताकत का आकलन करने के लिए प्रदेश भर का दौरा कर रहे हैं. कहीं सम्मेलन के माध्यम से तो कहीं रैली के जरिये अपना-अपना सियासी कद मापा जा रहा है. दो दिन पूर्व जहां समाजवादी पार्टी के सहयोगी दल महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पीलीभीत से जन आक्रोश रैली का आगाज किया तो वहीं बुधवार को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव भी भाजपा नेत्री मेनका गांधी के गढ़ पीलीभीत में जमकर गरजे.
दरअसल, चुनावी अभियान के लिहाज से पीलीभीत जिले का महत्व दो कारणों से ज्यादा बढ़ जाता है. पहला यह कि पीलीभीत भाजपा नेत्री मेनका गांधी का गढ़ है और दूसरी वजह यह है कि पीलीभीत उत्तर प्रदेश का अंतर्राज्यीय सीमावर्ती जिला भी है. पीलीभीत के बाद उत्तराखंड की सीमा शुरू हो जाती है इसलिए भौगोलिक दृष्टिकोण से भी यह जिला काफी अहम हो जाता है. यहां से रैली निकालने वाली या यहां पर विशाल जनसभा का आयोजन करने के पीछे हर सियासी दल का स्पष्ट संदेश रहता है कि वह राज्य के अंतिम छोर तक अपना वर्चस्व कायम करना चाहता है. इसी उद्देश्य के साथ शिवपाल यादव ने अपनी पहली चुनावी सभा के लिए बरेली की जगह पीलीभीत को चुना.
बुधवार को पीलीभीत के थाना अमरिया के अंतर्गत स्थित जश्न रिसॉर्ट में शिवपाल के आगमन पर विशाल जनसभा का आयोजन किया गया. इसमें बरेली मंडल के वरिष्ठ पदाधिकारी भी शामिल हुए. यह जनसभा वैसे तो प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के प्रदेश सचिव शोएब खान की ओर से आयोजित की गई थी लेकिन इसमें बरेली के प्रसपा के दिग्गज नेता भी शामिल हुए. पीलीभीत की यह जनसभा कई मायनों में सफल रही. इस सभा के जरिये शिवपाल यादव रूहेलखंड में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रहे. जनसभा में उमड़ा हुजूम देखकर वह खासे गदगद नजर आए. साथ ही अन्य सियासी दलों को यह संदेश देने में भी कामयाब रहे कि समाजवादी पार्टी से वर्षों तक अलग रहने के बावजूद उनका सियासी वजूद कम नहीं हुआ है और आज भी हजारों समर्थक उनकी राहों में पलकें बिछाए बैठे हैं.


कोरोना गाइडलाइन के बावजूद पीलीभीत में शिवपाल यादव की जनसभा में उमड़ा हुजूम यह दर्शाता है कि शिवपाल यादव खुद भले ही सत्ता हासिल करने में सक्षम न हों पर किसी भी सियासी दल का चुनावी तिलिस्म तोड़ने में सक्षम जरूर हैं. फिर चाहे वह भाजपा हो या समाजवादी पार्टी. अगर समाजवादी पार्टी को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया और अखिलेश यादव को चाचा शिवपाल का साथ नहीं मिला तो भाजपा का किला भेदना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो सकता है.
पीलीभीत की सफलता से उत्साहित शिवपाल यादव जल्द ही बरेली में भी विशाल जनसभा का हिस्सा बन सकते हैं. उन्होंने पीलीभीत की सभा में इसके संकेत दे दिए हैं. पीलीभीत की सफलता से सिर्फ शिवपाल यादव ही गदगद नहीं हैं बल्कि बरेली के प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का हौसला भी बुलंदियों पर है.
प्रसपा के बरेली महानगर अध्यक्ष और पूर्व डिप्टी मेयर डा. मो. खालिद बताते हैं, “पीलीभीत की जनसभा शानदार रही. हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय शिवपाल सिंह यादव जी के नेतृत्व में इस जनसभा का आयोजन किया गया था जो पूरी तरह सफल रहा. बड़ी तादाद में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस सभा में शिरकत की. इतनी विशाल जनसभा के बाद पूरे बरेली मंडल के नेताओं और कार्यकर्ताओं में नए उत्साह और नई ऊर्जा का संचार हुआ है. जल्द ही बरेली में भी राष्ट्रीय अध्यक्ष एक विशाल जनसभा का हिस्सा बनते नजर आएंगे और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को निश्चित रूप से उखाड़ फेंकेगी.”


शिवपाल यादव के इस दौरे के बाद माना जा रहा है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बरेली मंडल में और मजबूत होगी और आगामी विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करेगी. बहरहाल, शिवपाल यादव ने इस जनसभा को ऐतिहासिक और सफल करार दिया है. अब देखना यह है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी इस सफलता को बरकरार रख पाती है अथवा नहीं.

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