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आदेश दरकिनार, टैक्स विभाग के काले कारनामों की फाइलें दबाकर बैठे हैं नगर आयुक्त, ललतेश सक्सेना सहित अन्य अधिकारियों के भ्रष्टाचार को दे रहे संरक्षण, पढ़ें क्या है पूरा मामला?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
नगर निगम भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है. क्लर्क से लेकर नगर आयुक्त तक भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं. खास तौर पर टैक्स विभाग में भ्रष्टाचार के रोज नए काले कारनामे सामने आने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. नगर आयुक्त के पास आने वाली शिकायतों पर तो कार्रवाई की बात सोचना बेईमानी है ही पर जो शिकायतें मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी द्वारा नगर आयुक्त को जांच हेतु अग्रसारित की जाती हैं उन्हें भी नगर आयुक्त कार्यालय में दबा दिया जाता है. ऐसे ही कुछ मामले सामने आए हैं जिनमें टैक्स विभाग के काले कारनामों की शिकायतें मुख्यमंत्री, मंडलायुक्त और जिलाधिकारी से की गई थी. वहां से सात दिन के भीतर मामले की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया था लेकिन 40 दिन बीतने के बावजूद नगर आयुक्त की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में नगर आयुक्त की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं. समाजसेवी राजकुमार मेहरोत्रा ने अब मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मामले की शिकायत कर कार्रवाई करने की मांग की है.
समाजसेवी राजकुमार मेहरोत्रा और एडवोकेट चंद्रप्रकाश गुप्ता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को भेजे गए शिकायती पत्र में कहा है कि बताया कि उन्होंने नगर निगम के टैक्स विभाग के अधिकारियों ने संपत्ति आईडी डिलीट कर नई आईडी बनाकर लाखों रुपए का टैक्स गायब कर दिया जिससे सरकारी खजाने को लाखों रुपये के राजस्व की चपत लगी है और नगर निगम अधिनियम को दरकिनार कर टैक्स के बकाएदार को लाखों रुपए का फायदा पहुंचाने का काम किया गया है. इतना ही नहीं लाखों रुपए का टैक्स फर्जी सत्यापन रिपोर्ट बनाकर माफ किया गया है.

 

उन्होंने मामले की शिकायत मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग, मंडलायुक्त और जिलाधिकारी को रजिस्टर्ड डाक से की थी. उक्त शिकायतों के संदर्भ में जिला अधिकारी कार्यालय के शिकायत प्रकोष्ठ द्वारा शिकायत संख्या 4605 विगत 12 जुलाई को नगर आयुक्त बरेली नगर निगम को भेजी जा चुकी है. पत्रांक में नगर आयुक्त को यह निर्देश दिया गया है कि उक्त वर्णित तथ्यों की जांच करा कर सात दिन में कार्रवाई कर शिकायतकर्ता को अवगत कराएं लेकिन 40 दिन बीतने के बावजूद नगर आयुक्त मामले की फाइल दबाकर बैठे हुए हैं. राजकुमार मेहरोत्रा व चंद्रप्रकाश गुप्ता ने आरोप लगाया है कि 40 दिन बाद भी कार्रवाई न करना और मामले को दबाना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर भाजपा सरकार की छवि को खराब करने का प्रयास है. नगर आयुक्त अभिषेक आनंद द्वारा जिस तरह से भ्रष्टाचार को संरक्षण और बढ़ावा दिया जा रहा है और अधिकारियों व कर्मचारियों कोई जांच एवं कार्रवाई न करके मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है उससे भ्रष्टाचार व नियम विरुद्ध कार्य करने वाले अधिकारियों का मनोबल बढ़ रहा है और भारतीय जनता पार्टी की छवि खराब हो रही है.
राजकुमार मेहरोत्रा व चंद्रप्रकाश गुप्ता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मांग की है कि भ्रष्टाचार मुक्त शासन की परिकल्पना को जनहित में साकार करने एवं भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों का मनोबल तोड़ने के लिए उक्त शिकायतों की जांच नगर निगम को छोड़कर किसी अन्य विभाग के अधिकारी या भ्रष्टाचार अपराध अनुसंधान अथवा किसी अन्य एजेंसी से कराई जाए जिससे भ्रष्टाचारियों के काले कारनामे जनता के सामने उजागर हो सकें.

राजकुमार मेहरोत्रा
एडवोकेट चंद्र प्रकाश गुप्ता

अब सवाल यह उठता है कि आखिर नगर आयुक्त अभिषेक आनंद भ्रष्टाचार के इन काले कारनामों की फाइलों को दबाकर क्यों बैठे हैं? ऐसी कौन सी मजबूरी है कि वह आला अधिकारियों और शासन तक के आदेशों को दबाकर बैठे हुए हैं? सूत्र बताते हैं कि कर निर्धारण अधिकारी ललतेश सक्सेना नगर आयुक्त अभिषेक आनंद के करीबी हैं जिस वजह से नगर आयुक्त ललतेश सक्सेना और उनके भ्रष्ट साथियों की गर्दन बचाने में लगे हैं. सूत्र यह भी बताते हैं कि भ्रष्टाचार के इस काले खेल से अर्जित किए जाने वाले काले धन का एक हिस्सा नगर आयुक्त की जेब में भी जा रहा है जिस कारण नगर आयुक्त आला अधिकारियों के आदेशों को भी दबाने पर मजबूर हो रहे हैं. बहरहाल, नगर आयुक्त अभिषेक आनंद के संरक्षण में भ्रष्टाचारी फल-फूल रहे हैं और भाजपा सरकार की छवि धूमिल होती जा रही है. इस संबंध में जब नगर आयुक्त अभिषेक आनंद से उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका. अगर वह चाहें तो मोबाइल नंबर 7528022520 पर संपर्क कर अपना पक्ष दे सकते हैं हम उसे भी प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे.

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