शहजिल इस्लाम
यूपी

भोजीपुरा के ग्रामीणों को ‘साइकिल’ चाहिए पर शहजिल इस्लाम नहीं चाहिए, चार गांवों के ग्रामीणों ने बताई वजह, पढ़ें पूरा मामला.

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गांव-गांव में होने लगा पूर्व मंत्री शहजिल इस्लाम का विरोध, समाजवादी नेता और कार्यकर्ता हैं नाराज, जानिये क्यों?
नीरज सिसौदिया, बरेली
विधानसभा चुनाव से पहले टिकट की लड़ाई अब तेज हो चुकी है. दावेदारों के समर्थक अपने-अपने चहेते नेता को टिकट दिलाने के लिए माहौल बनाने में जुट गए हैं. कोई बैठकें करवा रहा है तो कोई बैनर और पोस्टर लगवा रहा है. बात अगर बरेली जिले की करें तो यहां भी अलग-अलग सीटों पर अलग तरह की राजनीति और विरोध देखने को मिल रहा है. समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे पूर्व मंत्री और 120 भोजीपुरा विधानसभा सीट से पूर्व प्रत्याशी शहजिल इस्लाम का विभिन्न गांवों में विरोध तेज हो गया है. खास तौर पर मुस्लिम बाहुल्य गांवों में तो खुद समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी शहजिल इस्लाम से नाराज नजर आ रहे हैं.
इंडिया टाइम 24 की टीम ने जब समाजवादी पार्टी के मुस्लिम दावेदारों की जमीनी हकीकत जानने के लिए भोजीपुरा विधानसभा सीट के चार गांवों का दौरा किया तो हैरान करने वाला खुलासा हुआ. इन गांवों में वर्तमान विधायक बहोरनलाल मौर्य के साथ ही पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री शहजिल इस्लाम के प्रति भी लोगों में भारी रोष देखने को मिला. हमारी टीम सबसे पहले गांव अभयपुर पहुंची यहां लोगों से बात की तो उन्होंने कहा कि वोट तो अबकी बार समाजवादी पार्टी को ही देंगे मगर शहजिल इस्लाम को नहीं देंगे. शहजिल इस्लाम को छोड़कर पार्टी जिसे भी टिकट देगी उसे चुनाव लड़ाया जाएगा. गांव के संभ्रांत लोगों का कहना था कि शहजिल इस्लाम ने मंत्री बनने के बाद गांव की ओर मुड़ कर कभी नहीं देखा. लोगों के दुख दर्द से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है. इसलिए अबकी बार शहजिल इस्लाम को टिकट मिला तो हम सपा को वोट नहीं करेंगे.
गांव अभयपुर के बाद हमारी टीम गांव अंबरपुर पहुंची. यहां कुछ समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं से बात की गई तो वह खुलकर शहजिल इस्लाम का विरोध करते नजर आए. इनमें से ज्यादातर लोग मेवाती समाज से ताल्लुक़ रखते थे और समाज की उपेक्षा को लेकर आहत नजर आए. उनकी शिकायत शहजिल इस्लाम के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री और सपा मुखिया अखिलेश यादव से भी थी. उनका कहना था कि वे लोग हमेशा समाजवादी पार्टी को ही वोट करते हैं मगर सपा नेताओं ने उनके समाज को आगे बढ़ाने के लिए कभी कोई प्रयास नहीं किया. इस बार अगर उनके समाज के किसी नेता को टिकट नहीं दिया गया तो वे उस पार्टी को वोट देंगे जो मेवाती समाज के उम्मीदवार को मैदान में उतारेगी. उनका कहना था कि उनके समाज के लगभग 40 से 50 हजार वोट हैं लेकिन टिकट हमेशा 15-बीस हज़ार के वोट वाले अंसारी समाज के नेता को मिलता है. शहजिल इस्लाम का विरोध करते हुए लोगों ने कहा कि इलाके में तो कभी शहजिल इस्लाम नजर ही नहीं आते और जब भी उनसे मिलने फार्म हाउस पर जाते हैं तो वह सीसीटीवी से देखकर गार्ड को भेजकर मिलने से ही इनकार कर देते हैं. अब ऐसे नेता को वोट देकर क्या फायदा जिसके पास जनता के लिए समय ही न हो.
गांव अंबरपुर के बाद हमारी टीम गांव नऊआ नगला पहुंची. वहां भी समाजवादी पार्टी की लहर दिखाई दी मगर शहजिल इस्लाम क विरोधी यहां भी कम नहीं थे. उनका कहना था कि शहजिल इस्लाम जब विधायक और मंत्री बने तो उन्होंने सिर्फ अपना विकास किया. सत्ता जाने के बाद एक सशक्त विपक्ष की जो भूमिका निभाई जानी चाहिए थी वह भी उन्होंने नहीं निभाई. गांव के लोगों से मिलने का उनके पास समय ही नहीं है. इस बार उन्हें टिकट मिलता है तो हम लोग किसी और पार्टी को वोट करेंगे लेकिन शहजिल इस्लाम और भाजपा को वोट किसी भी सूरत में नहीं देंगे.
गांव नऊआ नगला के बाद हमारी टीम गांव डहिया पहुंची जहां कुछ भाजपा समर्थक तो कुछ सपा समर्थक मिले. भाजपा समर्थकों का कहना था कि वर्तमान विधायक ने यहां काफी विकास कराया है मगर वह विकास कहां कराया गया है यह बताने में वे लोग नाकाम रहे. सपा समर्थक यहां हाजी तसव्वर खां के लिए टिकट की मांग करते नजर आए. पूर्व मंत्री शहजिल इस्लाम का विरोध यहां भी देखने को मिला. लोगों को बस एक ही शिकायत थी कि शहजिल इस्लाम के पास लोगों से मिलने का समय नहीं है. स्थानीय मुद्दों पर सत्ता पक्ष को घेरने का समय नहीं है, लोगों के सुख दुःख में भागीदार बनने का समय नहीं है. इसलिए शहजिल इस्लाम को छोड़कर पार्टी जिस किसी को भी टिकट देगी उसे ही वोट दिया जाएगा.
बहरहाल, चार गांवों के सर्वे के दौरान यह तो स्पष्ट हो गया कि यहां समाजवादी पार्टी की लहर है मगर वोट उम्मीदवार के चयन पर ही निर्भर करेगा. शहजिल इस्लाम को छोड़कर जिस किसी भी प्रत्याशी को पार्टी मैदान में उतारेगी वह इन चार गांवों का ज्यादातर वोट ले जाएगा.

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