यूपी

जगदीश चन्द्र सक्सेना का पितृपक्ष में अनोखा श्राद्ध

Share now

नीरज सिसौदिया, बरेली

मान्यता प्राप्त स्कूलों के संगठन बेसिक शिक्षा समिति उत्तर प्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष व कायस्थ चित्रगुप्त महासभा उत्तर प्रदेश के प्रदेश उपाध्यक्ष जगदीश चन्द्र सक्सेना ने बताया कि उनके पिता राम स्वरूप व माता राजेश्वरी देवी सात्विक प्रवृत्ति के आर्य समाजी थे। सन् 70 में राजकीय इंटर कालेज बरेली से इण्टर के बाद उन्होंने सन् 71 में राजकीय पालीटेक्निक बरेली में प्रवेश लिया जहां से उन्होंने दिन में एक दो सिगरेट पीना शुरू कर दी। वर्ष 80 से वे लगातार दो पैकेट सिगरेट पी रहे हैं।


वर्ष 71 में जब उनके माता-पिता को सिगरेट पीने की बात पता चली तब उनके शान्तिप्रिय माता पिता ने उनसे कुछ कहने के स्थान पर माताजी ने घर के मुख्य कमरे की दीवार पर लिखी दिया था कि धूम्रपान निषेध है।
माता का यह लिखित संदेश लगभग पांच दशक से उनके चेतन व अवचेतन मन पर अंकित है। जीवन के संध्याकाल में श्री सक्सेना ने भीष्म प्रतिज्ञा कर धूम्रपान त्याग दिया कि उनके माता-पिता को कनागत में तृप्ति मिले कि उनके अभागे पुत्र ने इतने समय बाद उनके आदेश का पालन किया।
श्री सक्सेना ने राय दी है कि यदि माता-पिता के जीवनकाल में ही उनके आदेशों का पालन किया जाये तो वह तृप्त रहें गे और हम भी अपराध बोध से गृसित नहीं होंगे।

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *