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बरेली शहर विधानसभा सीट : पंजाबी महासभा के ऐलान के बाद और मजबूत हुई पूर्व उपभापति अतुल कपूर की टिकट की दावेदारी, जानिए कैसे?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
एक अरसे से भाजपा का गढ़ रही 124 बरेली शहर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी की राह इस बार उतनी आसान नजर नहीं आ रही जितनी पिछले कई दशकों से रही है। इसकी मुख्‍य वजह खत्री पंजाबी समाज की ओर से की जा रही टिकट की मांग है। खास तौर पर जिस तरह से पंजाबी महासभा की ओर से भाजपा से उनके समाज के किसी व्‍यक्ति को टिकट देने की मांग की गई है उससे पूर्व उपसभापति और शहर विधानसभा सीट से टिकट के प्रबल दावेदार अतुल कपूर की दावेदारी को और मजबूती मिली है।
दरअसल, एक निजी समाचार पत्र से बातचीत में पंजाबी महासभा के अध्‍यक्ष संजय आनंद ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अगर शहर विधानसभा सीट से उनके समाज के किसी व्‍यक्ति को टिकट नहीं देगी तो उनके समाज का कोई व्‍यक्ति दूसरे दल से शहर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में भाजपा के खिलाफ उतरेगा। संजय आनंद ने यह भी कहा कि वह जल्‍द ही अपने समाज से जुड़े लोगों का बरेली में एक प्रदेश स्‍तरीय सम्‍मेलन कराने जा रहे हैं जिससे वह भाजपा को अपने समाज की ताकत का अहसास कराएंगे। बता दें कि अतुल कपूर काफी समय से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। उनके अलावा गुलशन आनंद, महानगर भाजपा अध्‍यक्ष केएम अरोड़ा के नाम भी लिए जा रहे हैं। बात अगर गुलशन आनंद की करें तो वह उस वक्‍त सपा के डा. मो. खालिद से डिप्‍टी मेयर का चुनाव हार गए थे जब सपा के पास एक दर्जन पार्षद भी नहीं थे और भाजपा के पास लगभग तीन दर्जन से भी अधिक पार्षद थे और गुलशन आनंद भाजपा के प्रत्‍याशी के तौर पर मैदान में उतरे थे। इससे यह साबित होता है कि गुलशन आनंद एक साफ-सुथरी छवि वाले नेता हैं मगर सियासी जोड़-तोड़ में सक्षम नहीं हैं। उसके बाद जब मेयर का चुनाव हुआ तो भी गुलशन आनंद पराजित हुए थे। ऐसे में वह विधानसभा सीट जीत पाएंगे या नहीं, इस पर संशय है। बहरहाल, भाजपा उन पर दांव लगाने की गलती कभी नहीं करेगी।
बात अगर महानगर अध्‍यक्ष डा. केएम अरोरा की करें तो उनकी दावेदारी मजबूत हो सकती है मगर इस दावेदारी से पहले उन्‍हें महानगर अध्‍यक्ष के पद से इस्‍तीफा देना होगा। यह हम नहीं कह रहे बल्कि भाजपा हाईकमान का कहना है। अगर केएम अरोड़ा अध्‍यक्ष पद से इस्‍तीफा देकर चुनाव मैदान में उतरते हैं तो इसका असर संगठन पर पड़ेगा जो चुनावी दौर में भाजपा की मुश्‍किलें बढ़ा सकता है। ऐसे में डा. केएम अरोड़ा की दावेदारी पर पेंच फंसा है।
अत: इस समाज का एकमात्र बड़ा चेहरा अतुल कपूर ही रह जाते हैं। जमीनी स्‍तर पर लंबे समय से संगठन के प्रति समर्पित होकर जनता की सेवा में जुटे अतुल कपूर जिलेभर के खत्री पंजाबी समाज का युवा चेहरा बनकर उभरे हैं। पहली ही बार में चुनाव जीतकर उपसभापति भी बन गए। इससे साबित होता है कि वह सियासी जोड़-तोड़ में भी माहिर हैं और जनसेवा में भी सक्रिय हैं। अभी तक अतुल कपूर अकेले ही अपने समाज की आवाज बुलंद कर रहे थे मगर अब उनके सुर में पंजाबी महासभा ने भी सुर मिला दिए हैं। भाजपा यह अच्‍छी तरह जानती है कि अगर खत्री पंजाबी समाज के वोट समाजवादी पार्टी के खेमे में चले गए तो उसके लिए जीत का सफर बेहद कठिन हो जाएगा। ऐसे में अतुल कपूर की दावेदारी और मजबूत होती नजर आ रही है।

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