नीरज सिसौदिया, बरेली
भारतीय जनता पार्टी के नेता अक्सर समाजवादी पार्टी के कार्यकाल को गुंडाराज की संज्ञा देती रहती है। साथ ही प्रदेश में सपा सरकार की वापसी पर गुंडाराज की वापसी का डर भी दिखा रही है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव जहां इस छवि को मिटाने की जुगत में लगे हैं। साथ ही आपराधिक छवि वाले नेताओं से किनारा करने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं, सहयोगी दल में आपराधिक छवि वाले नेता को अहम जिम्मेदारी मिलने के बाद अखिलेश की इस मुहिम को करारा झटका लगा है।
दरअसल, सपा के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश जैन ने बिजनौर जिले के गौहर इकबाल को अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके बाद से लगातार घमासान मचा हुआ है। गौहर इकबाल पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं जिनमें धमकाने, मारपीट करने, कब्रिस्तान की जमीन पर अवैध कब्जे का प्रयास, नाबालिग युवती को बहला-फुसलाकर ले जाने समेत कई मामले शामिल हैं।
गौहर इकबाल की नियुक्ति के बाद यह चर्चाएं आम हो गई हैं कि अगर समाजवादी पार्टी की सरकार प्रदेश में बनेगी तो दोबारा से वही गुंडाराज वापस आ जाएगा जिसका डर भाजपा नेता अपने भाषणों में आम जनता को दिखाते रहते हैं। चर्चाएं तो यह भी होने लगी हैं कि अखिलेश यादव खुद भी आपराधिक छवि वाले नेताओं को टिकट देने की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि वह जानते हैं कि इन नेताओं के बिना उनका सत्ता पर काबिज होने का सपना पूरा नहीं हो सकता। बहरहाल, रालोद में आपराधिक छवि वाले नेता की प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति ने भाजपा को बैठे बिठाए बड़ा मुद्दा दे दिया है। अगर इसी तरह सपा और उसके समर्थक सहयोगी दलों में आपराधिक छवि वाले नेताओं को तवज्जो मिलती रही तो अबकी बार भी भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में आने से कोई नहीं रोक पाएगा क्योंकि जनता महंगाई की मार तो बर्दाश्त कर सकती है मगर गुंडों की मार बर्दाश्त करने का साहस आम जनता में नहीं है।