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कैंट विधानसभा सीट : चुपके-चुपके तैयारी में जुटे थे बीजेपी के हर्षवर्धन आर्य, अब खुलकर जुटे मैदान में, जानिये क्या है रणनीति?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
125 बरेली कैंट विधानसभा का सियासी दंगल जितना दिलचस्प समाजवादी पार्टी में देखने को मिल रहा है उससे कहीं ज्यादा भारतीय जनता पार्टी में है। इसकी सबसे बड़ी वजह पूर्व वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल हैं। संगठन के नियम राजेश अग्रवाल को विधानसभा चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं देते और उनकी विरासत संभालने की चाहत रखने वाले उनके सुपुत्र मनीष अग्रवाल की राह में कांटे ही कांटे हैं। फिलहाल मनीष अग्रवाल की राह का सबसे बड़ा कांटा प्रदेश सहकोषाध्य्क्ष संजीव अग्रवाल और मेयर डा. उमेश गौतम माने जा रहे थे लेकिन अब एक और चेहरा है जो अब तक अंदरखाने चुनावी बिसात बिछाने में लगा था। वह अब खुलकर मैदान में आ गया है। जी हां, यह चेहरा भाजपा के ब्रज क्षेत्र उपाध्यक्ष हर्षवर्धन आर्य का है।


लगभग 16 साल की उम्र से संगठन की सेवा में जुटने वाले हर्षवर्धन आर्य पिछले 25 वर्षों में कई राजनीतिक उतार-चढ़ाव देख चुके हैं। कई बार संगठन ने उन्हें सिर-आंखों पर बिठाया तो कई बार किनारे भी किया लेकिन हर्षवर्धन ने कभी संगठन का साथ नहीं छोड़ा और हमेशा सही वक्त का इंतजार किया। हर्षवर्धन आर्य ने खुद को साबित किया और आज ब्रज क्षेत्र के उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

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बता दें कि हर्षवर्धन आर्य वही शख्सियत हैं जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव की अजेय मानी जानी वाली बदायूं लोकसभा सीट के लिए ऐसी रणनीति बनाई की राजनीतिक पंडितों का सारा गणित धरा रह गया। बदायूं से स्वामी प्रसाद मौर्य की सुपुत्री संघमित्रा मौर्य सांसद बनीं। हर्षवर्धन आर्य को वर्ष 2019 में बदायूं लोकसभा सीट का प्रभारी बनाया गया था।


बता दें कि पिछले दिनों जब हर्षवर्धन आर्य को कासगंज का जिला प्रभारी बनाया गया तो 125 कैंट विधानसभा सीट के सभी भाजपाई दावेदार हर्षवर्धन की दावेदारी को खत्म बताने लगे थे लेकिन पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से विधानसभा क्षेत्र में हर्षवर्धन आर्य के होर्डिंग्स और बैनर-पोस्टर चौतरफा नजर आ रहे हैं उससे यह साबित हो गया है कि अब तक अंदरखाने टिकट की तैयारी में जुटे हर्षवर्धन आर्य को शुभ संकेत मिल रहे हैं। शायद यही वजह है कि पुराने शहर से लेकर नए शहर तक हर्षवर्धन आर्य नजर आ रहे हैं।


बहरहाल, कैंट विधानसभा सीट के उम्मीदवार की घोषणा जनवरी 2022 से पहले किसी भी सूरत में भाजपा नहीं करने वाली। इसलिए इस एक माह की राजनीतिक सरगर्मियां यह तय करेंगी कि राजेश अग्रवाल के लिए पार्टी अपने नियम बदलती है या उनकी राजनीतिक विरासत किसी समर्पित कार्यकर्ता को सौंपती है। मुकाबला कड़ा है और दिलचस्प भी है। हर्षवर्धन आर्य इसमें कितने सफल होंगे यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा।

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