नीरज सिसौदिया, बरेली
125 बरेली कैंट विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के ब्राह्मण दावेदारों का पत्ता साफ हो चुका है। ऐसे में यहां क्षत्रिय दावेदार अनुराग सिंह नीटू का रास्ता साफ नजर आ रहा है। हालांकि, अगर यह सीट मुस्लिमों के खाते में जाती है तो पहले पायदान पर इंजीनियर अनीस अहमद खां ही नजर आते हैं।
दरअसल, बरेली जिले की नौ विधानसभा सीटों में से एक सीट पर ब्राह्मण उम्मीदवार उतारा जाना है। बिल्सी विधायक आरके शर्मा के सपा में शामिल होने के बाद आंवला से उनकी उम्मीदवारी तय मानी जा रही है। ऐसे में अन्य सीटों पर दावेदारी कर रहे ब्राह्मणों को झटका लगा है। खास तौर पर कैंट विधानसभा सीट के कुछ ब्राह्मण दावेदार तो लखनऊ से बैरंग लौटा दिये गए हैं। उन्हें फील्ड में जाकर पार्टी की जीत के लिए मेहनत करने के निर्देश भी दिए गए हैं। बैरंग लौटाए जाने वाले दावेदारों में मिश्रा जी भी शामिल हैं। इनमें एक नहीं बल्कि दो-दो मिश्रा जी शामिल हैं। मिश्रा जी का निशाना इस बार चूक गया। वहीं, पंडिताइन की उम्मीदों पर भी पानी फिरता नजर आ रहा है। हालांकि, पंडिताइन को सीधे तौर पर मना नहीं किया गया है लेकिन आरके शर्मा की एंट्री के बाद माना जा रहा है कि पंडिताइन के सपनों का महल भी चकनाचूर होने वाला है। इसकी एक वजह जिला सहकारी संघ के पूर्व चेयरमैन महेश पांडेय की चुनावी मैदान में एंट्री को भी बताया जा रहा है। आरके शर्मा के अलावा अगर जिले में कोई दूसरा ब्राह्मण उतारने का मन अगर पार्टी बनाती है तो सबसे मजबूत ब्राह्मण महेश पांडेय ही नजर आते हैं। ऐसे में कैंट सीट के ब्राह्मणों को फिलहाल तसल्ली तक हासिल नहीं हो पा रही है।

कैंट सीट से ब्राह्मणों का पत्ता साफ होने के बाद क्षत्रिय दावेदार अनुराग सिंह नीटू की उम्मीदवारी की उम्मीदें कुछ बढ़ती नजर आ रही हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह पूर्व सांसद कुंवर सर्वराज सिंह के बेटे सिद्धराज सिंह की भाजपा में एंट्री बताई जा रही है। सपा के पास जिले में अब अनुराग सिंह नीटू के अलावा कोई भी दमदार चेहरा नहीं रह गया है। चूंकि सपा हर बार जिले की एक सीट पर क्षत्रिय उम्मीदवार उतारती रही है इसलिए पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अनुराग सिंह नीटू की दावेदारी को बल मिला है। बता दें कि सपा विधायक संग्राम सिंह यादव सहित कई ऐसे विधायक हैं जो छात्र राजनीति से ही मुख्य धारा की राजनीति में आए और यहां भी विजय पताका फहराई। नीटू भी उन्हीं की तरह विजय ध्वज फहराने में सक्षम हो सकते हैं अगर उन्हें पार्टी का साथ भी मिले।

नीटू के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती के रूप में मुस्लिम दावेदार इंजीनियर अनीस अहमद खां नजर आ रहे हैं। साफ सुथरी छवि और जमीनी स्तर पर इंजीनियर अनीस अहमद खां की ओर से की गई मेहनत के साथ ही बसपा की टीम को तोड़कर सपा में शामिल कराने से लेकर पदाधिकारी बनवाने तक के उनके कार्यों ने उनकी दावेदारी को बेहद मजबूत स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है। नीटू का प्लस प्वाइंट यह है कि वह हिन्दू हैं और सपा इस बार ज्यादा से ज्यादा हिन्दुओं पर दांव खेलना चाहती है। इसलिए क्षत्रिय होने का फायदा भी नीटू को मिल सकता है।
बहरहाल, जल्द ही बरेली कैंट विधानसभा सीट के उम्मीदवारों की घोषणा हो जाएगी।