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बरेली कैंट विस सीट : जातिवादी राजनीति में अपने समाज की ताकत दिखाने की तैयारी कर रहे दो अंसारी, पढ़ें कैसे बदल रहे हैं समीकरण?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
125 बरेली कैंट विधानसभा सीट पर वैसे तो दर्जनभर से भी अधिक प्रत्याशी मैदान में हैं लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में फिलहाल दो प्रत्याशी दिखाई दे रहे हैं। इनमें एक कांग्रेस के टिकट पर मैदान में डटे हैं तो दूसरे निर्दलीय प्रत्याशी स्टूल चुनाव चिह्न के साथ ताल ठोक रहे हैं। इन दोनों ही प्रत्याशियों के चर्चा में होने की मुख्य वजह इनकी बिरादरी है। जी हां, हम बात कर रहे हैं कांग्रेस उम्मीदवार हाजी इस्लाम बब्बू और स्टूल चुनाव चिह्न के साथ मैदान में उतरे निर्दलीय प्रत्याशी नफीस अंसारी की।
दरअसल, कैंट विधानसभा सीट के सबसे बड़े नेता पूर्व विधायक इस्लाम साबिर हुआ करते थे। उनके पिता कैंट सीट से ही चार बार विधायक रहे। उस वक्त अंसारी बिरादरी के सबसे बड़े नेता के रूप में मरहूम अशफाक अहमद जाने जाते थे। इस्लाम साबिर के बाद उनके सुपुत्र शहजिल इस्लाम भी इसी सीट से विधायक रहे। वर्ष 2012 में जब परिसीमन हुआ तो शहजिल इस्लाम भोजीपुरा चले गए और कैंट विधानसभा सीट से अंसारी समाज का वर्चस्व खत्म हो गया। राजेश अग्रवाल यहां से लगातार दो बार विधायक बने।
इतिहास के पन्ने खंगालें तो पता चलता है कि इस सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायक ही रहे जिनमें अंसारी बिरादरी के ही विधायक रहे। इस्लाम साबिर और शहजिल इस्लाम के भोजीपुरा जाने के बाद कैंट सीट पर अंसारी समाज हाशिये पर चला गया। फहीम साबिर चुनाव जरूर लड़े मगर जीत नहीं सके। अंसारी समाज बंट गया और इस समाज के नेता हाशिये पर चले गए। इस बार इस्लाम साबिर परिवार का कोई भी सदस्य कैंट विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में नहीं है। ऐसे में अंसारी समाज की आवाज कौन उठाएगा? समाजवादी पार्टी में वैसे तो मुस्लिमों के हित सुरक्षित बताए जा रहे थे लेकिन कैंट सीट पर इस बार इतिहास बदल गया। सपा ने अंसारी समाज तो क्या कोई मुस्लिम चेहरा भी मैदान में नहीं उतारा है। ऐसे में अंसारी समाज के सामने अपनी एकजुटता को साबित करने की बड़ी चुनौती है। फिलहाल अंसारी समाज के दो प्रमुख नेता मैदान में हैं जिनमें एक हाजी इस्लाम बब्बू हैं तो दूसरे नफीस अंसारी हैं। दोनों ही नेता यह दावा कर रहे हैं कि उनका पूरा समाज उनके साथ है लेकिन इसका फैसला तो आगामी दस मार्च को ही होगा।
अब सवाल यह उठता है कि अंसारी समाज की ताकत का आकलन कैसे होगा? इन दोनों नेताओं के खाते में आने वाले वोट यह तय करेंगे कि कैंट विधानसभा सीट पर अंसारी समाज की ताकत कितनी है और वह कितना एकजुट है। यह चुनाव तय करेगा कि क्या अंसारी समाज वाकई कैंट विधानसभा सीट पर उस स्थिति में है कि उसे विधायक बनने का सम्मान मिलना चाहिये अथवा नहीं। हाजी इस्लाम बब्बू और नफीस अंसारी को मिलने वाले वोट ही यह तय करेंगे कि अंसारी समाज का राजनीतिक भविष्य क्या होगा? अगर हाजी इस्लाम बब्बू और नफीस अंसारी को अंसारी समाज का वोट नहीं मिलता तो कैंट विधानसभा सीट पर अंसारी समाज की राजनीति का हमेशा के लिए अंत हो जाएगा। फिर कभी कोई भी पार्टी अंसारी समाज के किसी भी व्यक्ति को मैदान में उतारने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगी। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि गैर अंसारी नेता हमेशा से अंसारी समाज के मतदाताओं का आंकड़ा तीस-चालीस हजार के बीच ही बताते हैं जबकि अंसारी समाज के नेता अपने समाज के वोटर्स का आंकड़ा 80-90 हजार के बीच बताते हैं। सही आंकड़ा तो जातिगत जनगणना के बाद ही पता चल सकेगा लेकिन कैंट विधानसभा सीट पर हाजी इस्लाम बब्बू और नफीस अंसारी को मिलने वाले वोटों से यह स्पष्ट हो जाएगा कि अंसारी बिरादरी के वोट कितने हैं और कैंट में अंसारी नेताओं का कोई सियासी वजूद है भी अथवा नहीं। बहरहाल, चर्चाओं का बाजार गर्म है और अंसारी बिरादरी अपनी ताकत दिखाने की पूरी तैयारी कर चुकी है। समाज से जुड़े कुछ पुराने राजनीतिक जानकार लोगों का मानना है कि इस बार अंसारी समाज किसी के बहकावे में आकर बहकने वाला नहीं है। उसने अपनी ताकत दिखाने की पूरी तैयारी कर ली है। अंसारी वोट सिर्फ अंसारी समाज के इन्हीं दो नेताओं हाजी इस्लाम बब्बू और नफीस अंसारी को ही मिलेगा क्योंकि सपा से टिकट की दावेदारी कर रहे एक और अंसारी नेता डा. शाहजेब हसन को भी सपा ने टिकट नहीं दिया जिससे अंसारी समाज के लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। यही वजह है कि नाराज अंसारी वोटर्स ने अपनी ताकत दिखाने की पूरी तैयारी कर ली है। अब लड़ाई सिर्फ इतनी है कि इस्लाम साबिर के बाद कैंट विधानसभा सीट पर अंसारी समाज का बड़ा नेता कौन है? हाजी इस्लाम बब्बू या फिर नफीस अंसारी।

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