नीरज सिसौदिया, बरेली
पारिवारिक झगड़े वैसे तो आम होते हैं लेकिन पुलिस की लापरवाही से कभी-कभी किसी की मौत का सबब भी बन जाते हैं। पुलिस की लापरवाही पीड़ितों के लिए किस तरह अभिशाप बन जाती है इसका जीता – जागता उदाहरण बरेली जिले के बिथरी चैनपुर थाना अंतर्गत पड़ती ट्रांसपोर्ट नगर चौकी इलाके के गांव मनपुरिया में देखने को मिला। यहां एक महिला और उसके पति को उसी के परिवार के लोगों ने पीट-पीटकर घर से निकाल दिया। महिला का सारा सामान हड़प लिया। उसके मकान की छत भी तोड़ दी और अंतत: महिला को ट्रैक्टर से कुचलकर जान से मारने का प्रयास भी किया गया। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर भी पहुंची लेकिन पुलिस ने आज तक इस मामले में कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं की। उल्टा पीड़िता जब चौकी इंचार्ज के पास फरियाद लेकर गई तो चौकी इंचार्ज ने उसे डांट डपटकर भगा दिया। यह कहना है पीड़िता शम्सीरन का।
शम्सीरन ने बताया कि लगभग पंद्रह साल पहले उसका भाई उसे मनपुरिया गांव के एक मकान में ले आया था। यहां शम्सीरन अपने पति के साथ रहने लगी। उस समय पूरी जमीन की कीमत लगभग छह लाख रुपये थी। शम्सीरन ने एक हिस्सा ले लिया और उसके एवज में अपने भाई को तीन लाख रुपये दे दिये। क्योंकि मामला अपनों से जुड़ा था इसलिए शम्सीरन के भाई ने रजिस्ट्री करवाने से मना कर दिया और बहन को बहला कर शांत करा दिया। यह जमीन कागजों में शम्सीरन की मां तौफीकन के नाम है।
पिछले पंद्रह साल तक सब ठीक रहा और शम्सीरन अपने पति और बच्चों के साथ खुशी खुशी यहां रह रही थी। कुछ माह पहले शम्सीरन के परिजनों के पास जमीन और मकान लेने के लिए कुछ लोग आए जिन्होंने पूरी जमीन की कीमत चालीस लाख रुपये देने की पेशकश की। जब शम्सीरन मकान छोड़ने को तैयार नहीं हुई तो उसे घर से निकालने की साजिश रची गई। इस साजिश के अहम किरदार शम्सीरन के मामा शम्सुद्दीन बने। उन्होंने तौफीकन से जमीन खरीदने की बात कहकर शम्सीरन को मकान खाली करने को कहा। जब शम्सीरन मकान खाली करने को तैयार नहीं हुई तो उन्होंने जबरन उसे और उसके पति को घर से निकाल दिया। विरोध करने पर पति-पत्नी के साथ मारपीट की और शम्सीरन को ट्रैक्टर से कुचलकर जान से मारने का प्रयास किया।
उसने पुलिस को सूचना दी और पुलिस मौके पर भी आई लेकिन पुलिस ने बेबस शम्सीरन की एक न सुनी। जब शम्सीरन चौकी इंचार्ज के पास फरियाद लेकर गई तो चौकी इंचार्ज ने उसे भगा दिया। शम्सीरन का कहना है कि जब शम्सुद्दीन के नाम जमीन है ही नहीं तो वह किस अधिकार से उन्हें प्रताड़ित कर रहा है और उनके साथ मारपीट क्यों कर रहा है। शम्सीरन ने पुलिस पर विरोधी पक्ष से मिलीभगत और रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। उसने कहा कि स्थानीय पुलिस बिक चुकी है। अब वह पहले सीओ, फिर एसएसपी, आईजी और एडीजी से गुहार लगाएगी। अगर फिर भी उसे इंसाफ नहीं मिला तो मुख्यमंत्री से भी गुहार लगाएगी। फिलहाल, शम्सीरन अपने पति और बच्चों के साथ कभी किसी जगह तो कभी किसी जगह जान बचाने के लिए छुपते फिर रहे हैं। उन्हें डर है कि आरोपी पक्ष उनके पूरे परिवार की हत्या भी कर सकते हैं।
वहीं, शम्सीरन के पड़ोसियों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि आरोपियों ने शम्सीरन को जबरन घर से निकाल दिया है। उन्होंने बताया कि शम्सीरन जब घर से गई थी तो खाली हाथ गई थी। उसके जाने के बाद आरोपियों ने उसका काफी सामान गद्दे वगैरह जला दिये और अन्य सामान कहीं ले गए। अब मकान पूरी तरह खाली है उसमें कोई सामान नहीं है। शम्सीरन के मुताबिक मकान में उसके गहने सहित करीब दस लाख रुपये कीमत का सामान था।
वहीं, विरोधी पक्ष के मुख्य आरोपी शम्सुद्दीन का कहना है कि शम्सीरन उनकी भांजी है लेकिन वह अपनी मां के मकान पर कब्जा करना चाह रही थी इसलिए उससे मकान खाली करवाया है। उसके साथ कोई मारपीट नहीं की गई है। यह जगह उसने अपनी बहन से खरीद ली है लेकिन कागजों में अभी भी उसकी बहन तौफीकन के ही नाम है। शम्सीरन ने शम्सुद्दीन, यूसुफ,तस्लीम और अन्य पर हत्या के प्रयास का आरोप लगाया है।