नीरज सिसौदिया, बरेली
उत्तर प्रदेश विधान परिषद की बरेली-रामपुर स्थानीय निकाय क्षेत्र सीट पर समाजवादी पार्टी लंबे समय से बरेली जिले के नेताओं की उपेक्षा करती रही है जबकि इस सीट पर बरेली जिले के मतदाताओं की संख्या रामपुर जिले के मतदाताओं के मुकाबले लगभग दोगुनी है। वहीं, भाजपा और बसपा ने बरेली के नेताओं को मैदान में पहले भी उतारा था।
वर्ष 2017 में सपा ने यहां से अनिल शर्मा को टिकट दिया था लेकिन ऐन वक्त पर हेलीकॉप्टर से उनका टिकट काटने का फरमान आया और घनश्याम लोधी को टिकट दे दिया गया।घनश्याम लोधी विजयी तो हो गए लेकिन अनिल शर्मा भाजपा में चले गए। दिलचस्प बात यह है कि विधानसभा चुनाव से पूर्व घनश्याम लोधी भी भाजपा में चले गए। हालांकि, सपा में इस सीट पर टिकट के दावेदारों की कोई कमी नहीं है। बरेली जिले से अब तक लगभग एक दर्जन दावेदार टिकट के लिए आवेदन कर चुके हैं और कुछ अन्य कतार में हैं। इनमें वे नेता भी शामिल हैं जो विधानसभा के टिकट के प्रबल दावेदार थे और टिकट न मिलने पर उन्होंने पार्टी उम्मीदवार को पूरे दमखम से चुनाव लड़ाया। अब उन्हें उम्मीद है कि पार्टी उन्हें वफादारी का ईनाम जरूर देगी।
अब नजर डालते हैं आंकड़ों पर। इस बार बरेली-रामपुर स्थानीय निकाय क्षेत्र में लगभग पांच हजार मतदाता हैं। इनमें लगभग 3500 मतदाता बरेली जिले के और करीब पंद्रह सौ मतदाता रामपुर जिले के हैं। बात अगर शिक्षक एमएलसी की करें तो उस चुनाव में भी सपा ने बरेली जिले के नेता को टिकट नहीं दिया। हालांकि उस चुनाव में मुरादाबाद के बीजेपी नेता जयपाल सिंह व्यस्त की जीत हुई। दोनों ही चुनावों में सपा ने बरेली जिले को प्राथमिकता देना जरूरी नहीं समझा। बताया जाता है कि इस बार बरेली जिले से पूर्व जिला अध्यक्ष शुभलेश यादव, कैंट सीट से विधानसभा टिकट के दावेदार रहे इंजीनियर अनीस अहमद खां, मीरगंज से विधानसभा के टिकट के दावेदार रहे भूपेंद्र कुर्मी, जिला प्रवक्ता मयंक शुक्ला मोंटी, सतेंद्र यादव, आदेश यादव, कम्बर एजाज शानू, प्रदेश सचिव नसीम अहमद, जिला अध्यक्ष शिवचरण कश्यप आदि टिकट चाहते हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस बार सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बरेली जिले पर मेहरबानी जरूर करेंगे। हालांकि, पार्टी नेताओं का मानना है कि एमएलसी चुनाव के लिए नामांकन शुरू होने से पहले ही विधानसभा चुनाव के नतीजे आ जाएंगे। विधानसभा चुनाव में बरेली सहित उत्तर प्रदेश के परिणामों के आधार पर एमएलसी के प्रत्याशी का चयन किया जाएगा। अगर विधानसभा चुनाव में बरेली जिले की परफॉर्मेंस अच्छी रही तो एमएलसी का उम्मीदवार बरेली जिले से हो सकता है। अन्यथा एक बार फिर बरेली के नेताओं को निराशा का सामना करना पड़ सकता है।