उड़ रहा है गुलाल होली में ।
हो रहा है धमाल होली में ।।
आग की भेंट सब हुई जलकर ।
रात सूखी पुआल होली में ।।
सालियों ना गिला हो जीजा से ।
भूल जाओ मलाल होली में ।।
देवरों पास तुम नहीं जाना ।।
भाभियां हैं कराल होली में ।।
मोरनी भी लगाए ठुमका कुछ।
ताक में है मराल होली में ।।
बस पिएंगे तो मुफ्त की दारू ।
यार करते कमाल होली में ।।
छेड़खानी का पर्व होली क्यों ।
पूछ मत यह सवाल होली में।।
कुछ नवाचार आज हो जाए ।
दिल का सिक्का उछाल होली में ।।
सालियां न मिलीं तेरी गलती ।
तर्क कुछ कम उबाल होली में ।।
भाभी -देवर स्वयं निपट लेंगे ।
दूर हों सब दलाल होली में ।।
कुछ गलत आज तुम नहीं करना ।
खूब रखना खयाल होली में ।।
आज हो खैर होलिका मैया ।
कुछ न हो अब बवाल होली में ।।
– इंद्रदेव त्रिवेदी, 214, बिहारी पुर खत्रियान , बरेली, उत्तर प्रदेश