नीरज सिसौदिया, बरेली
विधानसभा चुनाव के बाद अब बरेली जिले की बहेड़ी तहसील में नगरपालिका के चेयरमैन पद का सियासी घमासान शुरू हो चुका है। विभिन्न राजनीतिक दलों में टिकट के दावेदारों की लंबी सूची है लेकिन मुख्य रूप से तीन चेहरों पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। इनमें दो चेहरे समाजवादी पार्टी से हैं तो एक भारतीय जनता पार्टी से। इन चेहरों में नगरपालिका के पहले चेयरमैन के पौत्र भी शामिल हैं।
बहेड़ी नगरपालिका के इतिहास पर नजर डालें तो यहां के पहले चेयरमैन मरहूम अब्दुल रशीद थे। बहेड़ी नगरपालिका के गठन से लेकर अब तक सबसे ज्यादा बार यहां चेयरमैन पद पर अब्दुल रशीद परिवार का ही दबदबा रहा है। अब्दुल रशीद लगभग चार बार चेयरमैन पद पर काबिज रहे। उनके बाद उनके सुपुत्र मंजूर अहमद उर्फ वकील साहब नगरपालिका के सदस्य रहे और अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे ले जाते हुए विधानसभा का सफर तय किया। वह तीन बार बहेड़ी विधानसभा सीट से विधायक भी रहे। वर्ष 1996 में उनकी पत्नी मुमताज जहां नगरपालिका की चेयरपर्सन बनीं। उस दौरान अपनी मां और पिता का पूरा चुनावी मैनेजमेंट पूर्व चेयरमैन अंजुम रशीद संभालते थे। वर्ष 2012 में अंजुम रशीद भी नगरपालिका के चेयरमैन पद पर काबिज रहे। वर्ष 2017 में यह सीट ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हो गई और फौजुल नसीम चेयरमैन पद पर काबिज हो गईं।
बहेड़ी नगरपालिका परिषद की एक खासियत रही है कि यहां चेयरमैन पद क चुनाव भले ही पार्टी के बैनर तले लड़ा गया मगर जीत हमेशा चेहरों के दम पर ही हासिल हुई है। सत्ता चाहे किसी की भी रही हो मगर चेयरमैन की कुर्सी पर वही काबिज हुआ जिसमें अपना दम था। यही वजह रही कि अंजुम रशीद का परिवार लगभग छह बार चेयरमैन के पद पर काबिज रहा और विगत चुनाव में प्रदेश में भाजपा की सरकार और भाजपा की लहर होने के बावजूद बहुजन समाज पार्टी की फौजुल नसीम चुनाव जीत गईं।
इस बार राजनीतिक परिस्थितियां कुछ बदलने जा रही हैं। बहेड़ी चेयरमैन का पद सामान्य महिला अथवा ओबीसी पुरुष होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। ऐसे में यहां तीन प्रमुख नामों के बीच सियासी घमासान शुरू हो चुका है। इनमें पहला नाम चेयरमैन पर पद सबसे ज्यादा बार काबिज रहने वाले अब्दुल रशीद परिवार के राजनीतिक वारिस और पूर्व चेयरमैन अंजुम रशीद का है, दूसरा नाम सपा के प्रदेश सचिव और मौजूदा चेयरमैन फौजुल नसीम के पति नसीम अहमद का है जबकि तीसरा चेहरा भाजपा के राहुल गुप्ता का बताया जाता है। चेयरमैन का चुनाव यहां इसलिए भी दिलचस्प नजर आ रहा है क्योंकि प्रदेश में भाजपा के काबिज होने के बावजूद यहां की जनता ने समाजवादी पार्टी का विधायक चुना है। जिस नगरपालिका क्षेत्र से विधायक अता उर रहमान को महज सात-आठ हजार वोट मिलते थे इस बार वहां से बीस हजार से भी अधिक वोट सपा विधायक अता उर रहमान के खाते में आए हैं। चूंकि भाजपा सत्ता में है इसलिए राहुल गुप्ता भी मजबूत नजर आते हैं। बहरहाल, चेयरमैन पद के प्रमुख दावेदारों में सबकी अपनी-अपनी खूबियां हैं और सभी ने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं। सबके निशाने पर मौजूदा चेयरमैन की नाकामियां ही हैं जिनके आधार पर वे चुनाव जीतने का सपना देख रहे हैं। बहरहाल, चुनावी संग्राम में अभी वक्त है। धीरे-धीरे मुद्दे गरमाएंगे और नए दावेदार भी मैदान में आएंगे।